Saturday, August 20, 2016

' सूखे बुंदेलखंड में अब बाढ़ की त्रासदी !! '

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बुंदेलखंड - 21 अगस्त

' सूखे से जली थी फसल अब बाढ़ से डूब गई ' बेपानी बुंदेलखंड में बारिश का कहर !अकेले बाँदा के 200 गाँव पानी से हलकान ! चित्रकूट में मंदाकनी तो हमीरपुर में यमुना का तांडव ! किसानों की किस्मत में क्या लिखी है मात्र बर्बादी ? खबरों का बजार बुंदेलखंड फिर सहमा !!ओलम्पिक विजेता पर करोड़ो लुटाने वाले क्या किसान का कर्जा माफ़ करेंगे ?सोशल मीडिया में आखिर इस किसान की आवाज क्यों दब जाती है ?देश का क्या ऐसा एक भी नागरिक है जो अन्न नही खाता ?इन किसानों के लिए जश्न तो नही मना सके,मातम कर ले !  

गौर से देखे इन तस्वीरों को ये वही बुंदेलखंड है जो दो माह पहले सूखे की त्रासदी झेल रहा था ! देश का मीडिया जिसमे दो माह पहले पानी की कसक तलाश कर रही थी अब वो पानी - पानी है ! इतना पानी की लोगो के आँख से पानी निकल रहा है ! बीते तेरह अगस्त से ये बारिश बेरहम बनी है ! बुंदेलखंड आज एक ही साल में सूखे और बाढ़ दोनों की विभीषिका झेल रहा है ! तीन साल के सूखे के बाद पानी का ऐसे बरसना भी बुंदेलो पर भारी है ! गौरतलब है यह सब है प्रकृति सम्यक स्रोतों पर कब्जे करने और जल राशियों को अतिक्रमित करने से हुआ है ! तालाबो पर कब्जे,कुओं,पोखे,खेत की बंधी सबपर कब्ज़ा किया गया उधर खेत तालाब बनवाकर सरकार कितना जल धन बचा पाई है ये बाढ़ उसकी नजीर है !
छतरपुर में लगातार बारिश से धसान नदी में जलस्तर बढ़ गया है ! छतरपुर नौगॉंव तहसील के चपरन गॉंव नदी पानी घुस चुका है ! लोगों को सुरक्षित जगह प्रशासन ने पहुँचाने की कवायद की है ! दर्जनभर मकान डूबे गॉंव का संपर्क टूट गया है ! खजवा पुल के 10 फ़ीट ऊपर से पानी बह रहा है ! 
धसान नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुये प्रशासन ने एमपीयूपी सीमा पर स्थित लहचूरा डैम के पुरे 17 फाटक खुलवाये जिस से शनिवार शाम तक 2 लाख 56 हजार कयूसिक पानी छोड़ा गया ! यही हाल बाँदा में शहर के मानिककुइया , केन के सीमावर्ती कनवारा,दुरेड़ी,मरोली,गंछा आदि गाँव का है ! पन्ना से लगे बरियार पुर बांध में जलस्तर बढ़ने से जिला प्रसाशन ने फाटक खोलने की चेतवानी दी है ! चित्रकूट में मंदाकनी का कहर जारी है हाल - फ़िलहाल एनडीआरएफ की टीम मोर्चा लिए है ! किसानो की बोई गई फसल पानी में डूबी है ! 
                                                        तस्वीर साभार- सुनील रिछारिया से





बारिश में छत और सड़क का बहता पानी रिचार्ज करो !

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साभार - Divya Gupta Facebook -

Water Harvesting के लिए बनाया देशी सिस्टम, छतों के साथ सड़क का पानी भी रीचार्ज !


रायपुर. पानी की कमी की दिक्कतों से आज कई लोग जुझ रहे हैं और पानी बचाने के कई तरकीबों की खोज की जा रही हैI इसी दिशा में गुढ़ियारी में रहने वाले टीचर रामसिंह कैवर्त ने वाटर हार्वेस्टिंग के लिए बहुत कम खर्च वाली एक देशी तकनीक विकसित कर डाली है और यह प्रयोग कामयाब भी रहा है। अभी सरकारी एजेंसियां मकानों और कॉम्प्लेक्सों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने पर जोर दे रही हैं, लेकिन इस टीचर ने अपने सिस्टम से छतों ही नहीं, सड़क के पानी को भी रीचार्ज करने का इंतजाम कर लिया है। नतीजातन काॅलोनी के दर्जनों बोर और कुछ कुएं इस साल गर्मी में भी पूरी तरह नहीं सूखे।
– जनता क्वार्टर में रहने वाले रामसिंह अर्धशासकीय स्कूल में शिक्षक हैं। वे 1988 में इस कॉलोनी में रहने आए। चार-पांच साल बाद से ही अप्रैल-मई में यहां के बोर और कुएं पूरी तरह सूखने लगे।
– तब यहां निगम की वाटर सप्लाई नहीं थी। ऐसे में गर्मी में लोग टैंकरों के भरोसे ही रह गए। ऐसे में टीचर कैवर्त ने हार्वेस्टिंग सिस्टम पर काम शुरू किया।
– सबसे पहले उन्होंने घर के पास एक प्लाट का कचरा साफ करवाया और वहां 18 फीट गहरा गड्ढा करवा दिया।
– कुएं के आकार के इस गड्ढे के किनारे कंक्रीट रिंग और सीमेंट-ईंट से बनाई गई। इसी में अलग-अलग दिशा में छेद करते हुए पाइप लगाए गए।
– सड़क और आसपास का पानी इन्हीं पाइप के पास आए, इसका रास्ता भी बना दिया। पाइप में छन्नियां लगा दी गईं।
– इसके बाद गड्ढे में 10 फीट ऊंचाई तक गिट्टी और नारियल के छिलके डलवाए, ताकि जो पानी पाइप से नहीं छन पाए,इनसे छनकर नीचे जाए।
सिर्फ पांच हजार खर्च....
– रामसिंह ने बताया कि 1999 में उन्होंने इस देशी हार्वेस्टिंग सिस्टम को बनाने के लिए गड्ढा कराया था। इसके बाद ईंट, सीमेंट और कंक्रीट रिंग लगाने में करीब 5 हजार रुपए खर्च हुए।
– साल में एक बार इस गड्ढे की सफाई और मरम्मत की जाती है। इसमें न कोई मशीनरी लगती है, और न ही दूसरा खर्च। यह लाइफ टाइम चलने वाला वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है, जिससे पूरी कालोनी लाभान्वित हो रही है।
बरसों से नहीं सूखे कुएं
– इस सिस्टम ने पहले ही साल असर दिखाया। छतों से गिरकर सड़क पर बहनेवाला आसपास का बारिश का पूरा पानी बनाए गए नालीनुमा रास्तों से बाहर निकाले गए पाइप के जरिए कुओं में गिरने लगा।
– इस सिस्टम की वजह से पिछले कई साल से आसपास के बोर और कुएं गर्मी में नहीं सूखे हैं। लोगों के आग्रह पर अब पाइप दूर तक बिछाने की तैयारी है, ताकि दूसरी सड़क का पानी भी यहां अआए।
– कॉलोनी के प्रहलादनाथ अग्रवाल और पीतांबर परिछा के मुताबिक इससे काफी वर्षाजल संचित होता है, जिसका लाभ मिल रहा है। @ प्रवासनामा डेस्क 

Friday, August 19, 2016

' बंजारपुर से निकली कान्हा की बंजर नदी '

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19 अगस्त - ‪#‎बंजरनदी‬ 
 बंजारपुर से निकली बंजर नदी नर्मदा की सहायक है !
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' कैसे हो गई मै बंजर ये जान लो सागर,कि अपने दूध से मैंने ये कान्हा उपवन सींचा है ' !!

विकास संवाद के दसवें मीडिया संवाद से लौटकर आज दिन तक मै इस बंजर नदी के उद्गम स्थल / गर्भ गृह को लेकर उहापोह में था ! पिछली पोस्ट में लिखा ' क्या नदी भी बंजर होती है ' ? तब तक इसके उद्गम स्रोत से वाकिफ नही था ! गूगल को खंगाला और कुछ नदियों के बारे में पढ़ा खाशकर नर्मदा की दौड़ पर तब ' बंजर नदी ' की खलबली शांत हो सकी ! कान्हा के बैगा समुदाय सहित आस-पास के बालाघाट के बाशिंदों की प्यास बुझाने वाली ये नदी असल में बंजर नही बंजारों की नदी है                               

उल्लेखनीय है कि ' बंजर नदी' का उद्गम स्थल बंजारपुर ( राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़) है ...! 
सुविख्यात लेखक / चित्रकार एवं पर्यावरणवादी अमृतलाल बेगड़ जिनका जन्म 1928 को जबलपुर में हुआ ! उन्होंने 1948 से 1953 तक शांति निकेतन में कला का अध्ययन किया ! फिर 1988 तक जबलपुर में चित्रकला के अध्यापक रहे ! इन्होने ऋषि मार्कंडेय द्वारा की गई नर्मदा परिक्रमा पदयात्रा में पूर्ण की ! यह परिक्रमा नर्मदा और बंजर नदी के संगम स्थल महराजपुर ( मंडला ) से प्रारंभ की.जंगल,गाँव और कान्हा रिजर्व के हरित वनों से होते हुए उनके साथी ' बंजर नदी ' के उद्गम स्थल बंजारपुर ( राजनांदगाँव,छतीसगढ़ ) पहुंचकर वापस दूसरे छोर इसके संगम स्थान महराजपुर तक आये थे ! इस यात्रा में उन्हें अपनी पत्नी कान्ता बेगड़ ( 73 वर्ष ) का पूरा सानिध्य - साथ मिला ! उनके कांरवा में शामिल लोग पैदल होने के चलते बीच में छूटते रहे लेकिन पति - पत्नी का संकल्प बना रहा ! भीषण गर्मी में इन्होने 375 किलोमीटर की लम्बी यात्रा 19 दिवस में पूरी की ! संभवत अमृतलाल बेगड़ पहले ऐसे व्यक्ति रहे जिन्होने मार्कंडेय ऋषि के बाद ' बंजर नदी ' की पदयात्रा पूरी की ! 
तस्वीर - कान्हा नेशनल टाइगर,मंडला,मध्यप्रदेश !
( स्रोत - लोकमत समाचार,नागपुर साभार @ यात्रा के दौरान प्रकाशित ) प्रस्तुत - आशीष सागर

Wednesday, August 17, 2016

जब कान्हा का रामलाल मेरा ' मीत ' बन गया !

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‪#‎रक्षाबंधन‬ ‪#‎राखी‬ 
17 अगस्त - बीते दिवस कान्हा नेशनल टाइगर में प्रवास के दौरान ग्राम खटिया में यह श्यामलाल साधुराम बिसेन मिले ! रहवासी ग्राम सरेखा,तहसील जिला बालाघाट,मध्यप्रदेश से है ! अपनी दो पहिया की फटफटिया / मोटर साइकिल में सुदूर गाँव में बहनों / माताओं को राखी पहुंचा रहे है ! शुद्ध गवई अंदाज में अल्ताफ राजा के ' तुम तो ठहरे परदेशी साथ क्या निभाओगे ' गीत जुगाड़ के टेपरिकार्डर में बजाते सरपट राखी बेचते हुए ! ये कहते है यहाँ राखी नही मिली तो गाँव वाले कैसे खुश होंगे त्यौहार में ? इनसे मिलकर मजा आया !! मेरे साथ दिनेश दर्द,अखिलेश पाठक भी थे,हम तीनो ने इनका दर्शन 14 अगस्त की शाम में चार मर्तबा किया ! मजेदार बात ये है कि वापसी में मेरा मोबाइल एक चाय की दुकान में छूट गया था लेकिन कान्हा में बसते शेरो के ' मीत ' रामलाल ने उसे सहेज के रखा ! 
                         


जब वापस रिसार्ट में आये तो मोबाइल की सुध आई ! घंटी लगा के दर्द ने देखा तो कमरे में नही बजी ! समझ आया की हो गया जंगल में मंगल ! आखिर हम शहरी जो थे ! ...वैसे ही जो मरे आदमी की जेब से मोबाइल निकाल लेते है ! वही जैसे केदार घाटी में पंडो,जिंदा यात्रीयों ने लाशों से सोने की चेन,रूपये लूटे थे ! पर जब फोन उठा तो उधर से आवाज आई ' फोन चाय की दुकान में छोड़ गए है भाई साहेब ' ! ...साधन से दर्द और भाई राकेश मालवीय को साथ लेकर वापस जब उसी चाय दुकान में पहुंचे तो खिड़की के पट्टी में मोबाइल रखा था !! अँधेरे में रामलाल का तस्वीर नही लिए कैमरा कमरे में ही रह गया था ! ...उसको धन्यवाद किये इससे अधिक की औकात क्या है हम शहरी की !! और बरबस बोल गए ' रामलाल सच में इमानदारी के मीत हो तुम ' !! जंगल के पहरु बने वनविभाग देख रहे हो न ये गरीब है मगर लकड़ी चोर नही ! 
प्रिये गाँव मेरे तू चल,शहर में क्या धरा है,यहाँ बोतलों में शहद,वहां बोलियों में भरा है !

' अखिलेश ने राखी पर जनता से मांग लिया सरकारी आवास '

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18 August - 
- यूपी सीएम को ताउम्र चाहिए सरकारी आवास !

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गत बुधवार को हुई कैबनेट की बैठक में जनता को नए प्रस्ताव पारित करके राखी बाँधी गई ! मुख्यमंत्री / कैबनेट मंत्री के वेतन में तीन गुना वृद्धि बिना जनता से पूछे की गई है ! अब मुख्यमंत्री का वेतन 40 हजार एवं राज्यमंत्री का 35 हजार रूपये मासिक होगा ! इसमे भत्ते और अन्य सरकारी सुविधा जोड़कर देखे तो यह लगभग 50 हजार के आस - पास पहुचेगा ! 


साथ ही हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी सहित 5 अन्य के आज भी सरकारी बंगला कब्जाने के चलते सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के क्रम में समाजवादी सरकार नया कानून बनाने जा रही है जिसके तहत पूर्व मुख्यमंत्री को ताउम्र सरकारी आवास में रहने का अधिकार मिलेगा ! ये प्रस्ताव भी सत्रह अगस्त को कैबनेट ने पास किया ! अर्थात आने वाले सौ वर्ष में राजधानी लखनऊ के आधे हिस्से में मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ही खड़े होंगे !!
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर थूककर उसे पीकदान में दाल दिया है ! यूपी मुख्यमंत्री ने अपनी प्यारी जनता से अपने रहते ये भेंट ' राखी ' पर मांग ली है ! देखना ये है जनता क्या आगे भी ऐसे बोझिल और संकुचित मानसिकता के नेताओं को अपना भाग्य विधाता बनाये रखेगी जो उसकी विकास की अस्मत पर अपनी भौतिक हवस पूरी करना चाहते है !
ये घटनाक्रम मुझे इसलिए अचंभित नही कर रहा जब बाँदा जिले के पंडित जेएन. कालेज का कथित प्राचार्य डाक्टर नन्दलाल शुक्ल अपर जिलाधिकारी राजस्व से मिलकर अपना सरकारी आवास लीज / पट्टे में लिखवा सकता है और सब चुप है ! तब अगर मुख्यमंत्री ये काम कर रहे है तो अचरज क्या है ?? यथा राजा तथा प्रजा !
‪#‎आजादीऔरविकास‬ ‪#‎UPCM‬