सरकारे बोली किसानो ने नही की आत्महत्या !
22 अप्रैल जारी -
अमर उजाला में देश -विदेश पेज पर प्रकाशित यह खबर देखे.सात राज्यों की इस रिपोर्ट में सभी ने एक सिरे से अपने राज्यों में किसान आत्महत्या पर इंकार किया है.सिर्फ महाराष्ट्र ने अपने यहाँ किसानो के मरने की बात स्वीकार की है.इसका मतलब अन्य जगह पंजाब,मध्यप्रदेश,बुंदेलखंड (उत्तर प्रदेश ),यूपी के अन्य शहरो में इस वर्ष आई किसान आपदा से कोई मौत नही हुई है ! ये राजनितिक पार्टियों के बयान है. उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार ने किसानो से बीमा कंपनी के साथ मिलकर डाका डाला है....l
बीमा कंपनी ने झाँसी में किसानो को 79 रूपये से लेकर 165 रूपये तक के चैक दिए है. वही किसानो की बर्बाद शेष बची उपज अपने खलिहान पहुँच चुकी है मगर अभी तक सबको राहत राशी नही मिली है. नेताओ और विधायको ने अपने मर्जी से वेतन में 50 हजार तक का इजाफा किया है. इसके लिए उन्हें लोक से पूछने की आवश्यक नही है आखिर आपने 5 साल के लिए उन्हें अपने सारे अधिकार सौप दिए है.बाँदा में बीते 19 अप्रैल को नरैनी के बरसड़ा मानपुर में हुई किसान आत्महत्या राजाराम यादव की तेरहवी भी कर्जा मांगकर की बेटे ने.उसके बेटे की आगामी 27 अप्रैल को शादी थी.विवाह केंसिल हो गया है.पिता दिल्ली में मजदूरी करा था,खेती काटने आया और उजड़ी फसल देखकर आत्महत्या कर ली.यही मृतक किसान रामखिलावन रैदास ग्राम खपटीहाँ कला (बाँदा )के यहाँ हुआ उसके यहाँ खुद उपजिलाधिकारी राशन की मदद दे कर आये.किसान क्रेडिट कार्ड ने किसानो की मौतों की सुन्योजित साजिश सरकारों के साथ मिलकर की है. बीमा कंपनी इसका दलाल है.राजनितिक दलों के ये ओछे बयान उनकी विकृत मानसिकता का प्रमाण है.अंग्रेजी लगान विचारधारा से प्रेरित लगते है ये सरकारी अफसर.किसान का भविष्य देखकर लगता है कि उसको अब खेती के साथ सरकार खुद बनाने के विचार पर गौर करना चाहिए.लाजमी होगा कि वो अपनी असली ताकत पहचाने.
http://www.bhaskar.com/…/UP-insurance-companies-give-compen…
मामले की पड़ताल करती ये रिपोर्ट शायद यह बता पाने में कामयाब हो जाए कि आखिर किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं.
हाँ, तुम इसी लायक हो. तुम्हारी गलती ये है कि तुम इस व्यवस्था पर भरोसा कर लेते हो. इसलिए फसल बर्बादी के बाद चिंता से दिमाग की नस फटेगी तो तुम्हारी. बेटी की शादी नहीं हो पायेगी, ये मुसीबत भी तुम्हारी. पत्नी-परिवार के भूखे रहने की समस्या भी तुम्हारी. तुम फांसी लगाओ, ज़हर खाओ, छत से कूदो तो जान भी जायेगी तुम्हारी. किसी और का कुछ नही बिगड़ेगा और बिगड़ भी नहीं रहा. तुम्हारी बदहाली पर कोई क्यों रोये.
किसान बेमौसम बारिश के बाद कर्ज में झुलस रहा है. वहीं, बीमा कंपनियां मुआवजे के नाम पर किसानों को कुछ ऐसा ही सन्देश दे रही हैं. बीमा प्रीमियम के रूप में हजारों रुपए वसूलने के बाद कंपनी ने किसानों को राहत देने के नाम पर 22.81 और 21.05 रुपए दिए हैं। कुछ दिन पहले शासन-प्रशासन द्वारा कुछ 100 रुपये की आर्थिक सहायता के रूप में चेक देने का मामला सामने आया था. ऐसे में भला बैंक और फसल बीमा कंपनी कैसे पीछे रहते. बुंदेलखंड में अब तक लगभग 150 किसानों की मौत हो चुकी है. मरने के लिए पहले फसल की बर्बादी ने प्रेरित किया, अब बीमा कंपनिया और दूसरे जिम्मेदार कमी नहीं छोड़ रहे.
मामले की पड़ताल करती ये रिपोर्ट शायद यह बता पाने में कामयाब हो जाए कि आखिर किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं. आशीष सागर / जीशान अख्तर
बीमा कंपनी ने झाँसी में किसानो को 79 रूपये से लेकर 165 रूपये तक के चैक दिए है. वही किसानो की बर्बाद शेष बची उपज अपने खलिहान पहुँच चुकी है मगर अभी तक सबको राहत राशी नही मिली है. नेताओ और विधायको ने अपने मर्जी से वेतन में 50 हजार तक का इजाफा किया है. इसके लिए उन्हें लोक से पूछने की आवश्यक नही है आखिर आपने 5 साल के लिए उन्हें अपने सारे अधिकार सौप दिए है.बाँदा में बीते 19 अप्रैल को नरैनी के बरसड़ा मानपुर में हुई किसान आत्महत्या राजाराम यादव की तेरहवी भी कर्जा मांगकर की बेटे ने.उसके बेटे की आगामी 27 अप्रैल को शादी थी.विवाह केंसिल हो गया है.पिता दिल्ली में मजदूरी करा था,खेती काटने आया और उजड़ी फसल देखकर आत्महत्या कर ली.यही मृतक किसान रामखिलावन रैदास ग्राम खपटीहाँ कला (बाँदा )के यहाँ हुआ उसके यहाँ खुद उपजिलाधिकारी राशन की मदद दे कर आये.किसान क्रेडिट कार्ड ने किसानो की मौतों की सुन्योजित साजिश सरकारों के साथ मिलकर की है. बीमा कंपनी इसका दलाल है.राजनितिक दलों के ये ओछे बयान उनकी विकृत मानसिकता का प्रमाण है.अंग्रेजी लगान विचारधारा से प्रेरित लगते है ये सरकारी अफसर.किसान का भविष्य देखकर लगता है कि उसको अब खेती के साथ सरकार खुद बनाने के विचार पर गौर करना चाहिए.लाजमी होगा कि वो अपनी असली ताकत पहचाने.
http://www.bhaskar.com/…/UP-insurance-companies-give-compen…
मामले की पड़ताल करती ये रिपोर्ट शायद यह बता पाने में कामयाब हो जाए कि आखिर किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं.
हाँ, तुम इसी लायक हो. तुम्हारी गलती ये है कि तुम इस व्यवस्था पर भरोसा कर लेते हो. इसलिए फसल बर्बादी के बाद चिंता से दिमाग की नस फटेगी तो तुम्हारी. बेटी की शादी नहीं हो पायेगी, ये मुसीबत भी तुम्हारी. पत्नी-परिवार के भूखे रहने की समस्या भी तुम्हारी. तुम फांसी लगाओ, ज़हर खाओ, छत से कूदो तो जान भी जायेगी तुम्हारी. किसी और का कुछ नही बिगड़ेगा और बिगड़ भी नहीं रहा. तुम्हारी बदहाली पर कोई क्यों रोये.
किसान बेमौसम बारिश के बाद कर्ज में झुलस रहा है. वहीं, बीमा कंपनियां मुआवजे के नाम पर किसानों को कुछ ऐसा ही सन्देश दे रही हैं. बीमा प्रीमियम के रूप में हजारों रुपए वसूलने के बाद कंपनी ने किसानों को राहत देने के नाम पर 22.81 और 21.05 रुपए दिए हैं। कुछ दिन पहले शासन-प्रशासन द्वारा कुछ 100 रुपये की आर्थिक सहायता के रूप में चेक देने का मामला सामने आया था. ऐसे में भला बैंक और फसल बीमा कंपनी कैसे पीछे रहते. बुंदेलखंड में अब तक लगभग 150 किसानों की मौत हो चुकी है. मरने के लिए पहले फसल की बर्बादी ने प्रेरित किया, अब बीमा कंपनिया और दूसरे जिम्मेदार कमी नहीं छोड़ रहे.
मामले की पड़ताल करती ये रिपोर्ट शायद यह बता पाने में कामयाब हो जाए कि आखिर किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं. आशीष सागर / जीशान अख्तर