Wednesday, November 19, 2014

'पर्यावरण प्रहरी सम्मान' 2014

सामाजिक कार्यकर्ता को मिला  'पर्यावरण प्रहरी सम्मान' 2014




 ग्रीन केयर सोसाइटी ' का स्थापना दिवस गत 16 नवम्बर 2014 को प्रातः दिन - रविवार , चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स , हनुमान चौक, सदर , मेरठ , ( उत्तर प्रदेश ) में मनाया गया l  इस अवसर पर " प्लास्टिक - पॉलीथीन व  औधोगिक कचरे से नदिया - धरती सब बेहाल , समस्या और सुझाव "  विषय पर अंतराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया l
इसके साथ पर्यावरण सरंक्षण - जल संचय - कचरा निस्तारण के क्षेत्र में ज़मीनी स्तर पर उत्त्कृष्ट कार्यो में सलंग्न विभूतियों को “ पर्यावरण प्रहरी सम्मान - 2014 " प्रदान किया गया l बुंदेलखंड के सामाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर दीक्षित को उनके पर्यावरण संरक्षण कार्यो के सन्दर्भ में ‘ पर्यावरण प्रहरी सम्मान – 2014 प्रदान किया गया l उन्होंने बुंदेलखंड के बिगड़ते पर्यावरण और सूखे के हालत पर विस्तार से अपने शोध पत्र को प्रस्तुत किया l उल्लेखनीय

वार्षिक अधिवेशन में अनेक सम्मानित कवि - लेखक - साहित्यकार बन्धु - पर्यावरणविद - सामाजिक कार्यकर्ताओ - अधिकारियो - जन प्रतिनिधियों के साथ - विशिष्ट अतिथि श्री सुरेन्द्र आचार्य - निदेशक – राष्ट्रीय वातावरण प्रदूषण नियंत्रण संस्थान - काठमांडू - नेपाल
डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा "अरुण" - शिक्षाविद - वरिष्ठ कवि - लेखक - साहित्यकार - संरक्षक - ग्रीन केयर सोसाइटी - रूड़की (उत्तराखंड)
डॉ ईश्वर चंद गंभीर -वरिष्ठ कवि - अध्यक्ष - हिंदी सेवा समिति
श्री नारायण कपूर पाठक - CEO - 'अर्निको डवलपमेंट बैंक' - नेपाल होंगे ,
श्री आशीष सागर जी - पर्यावरणविद , बुंदेलखंड 
डॉ चंद्रमणि ब्रह्मदत्त - अध्यक्ष - अंतराष्ट्रीय किसान परिषद - नई दिल्ली
डॉ अरविन्द त्यागी , सामाजिक कार्यकर्ता - नई दिल्ली
श्री अरुण सक्सेना - पर्यावरण प्रहरी , लखनऊ 
श्री विजयपाल सिंह बंघेल - पर्यावरणविद , ग़ाज़िआबाद 
श्रीमती अतुल शर्मा - सामाजिक कार्यकर्ता
श्री महंत विनोद दास जी मंडलेश्वर
सुश्री बबली वशिष्ठ - वरिष्ठ कवि - हिंदी सेवी , नयी दिल्ली 
श्री पीयूष शुक्ला - सामाजिक कार्यकर्ता - नयी दिल्ली
मंच सञ्चालन - श्री कुमार पंकज - वरिष्ठ गीतकार , साहित्यकार
इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में मौजूद रहे है l

Tuesday, November 18, 2014

वनविभाग की हरियाली का खेल....!

अमर उजाला समाचार 19 नवम्बर 2014 बुंदेलखंड पेज से ..आज जारी -
वनविभाग की हरियाली का खेल जनसूचना अधिकार कानून से सामने आया l 
बुंदेलखंड का वन क्षेत्र बाँदा में 1.22 % मात्र रह गया है l यहाँ गत 5 सालो में 200 करोड़ का पौधरोपण हुआ सरकारी l जिसमे 29 लाख इस वर्ष के अलग से है शामिल है और वर्ष 2010 के 10 करोड़ पौधे हरित अभियान अलग से है l बड़ा सवाल ये है कि बुंदेलखंड में इस वर्ष 19 सूखा पड़ा है l इस सूखे के असल गुनाहगार कौन है ? उन्हें क्या सजा देना चाहिए सुप्रीम कोर्ट को ? जंगलो के रखवाले एक साल में 36152875.00 करोड़ रूपये की पगार ले रहे है l क्या इसके बदले में ये हरियाली लगाने का काम केंद्र सरकार किसानो और आदिवासियों को नही दे सकती ?
क्यों नही वनविभाग को समूल ख़तम कर देना चाहिए ? बुंदेलखंड की किसान आत्महत्या का ज़िम्मेदार है ये जंगल दफ्तर l सजा कौन देगा सूखे की ? 
उत्तर प्रदेश समेत बुंदेलखंड के सातो जिलो में प्रत्येक वर्ष ये पौधरोपण अभियान बारिश में किया जाता है l मगर परिणाम सिफार निकलता है l आखिर क्यों संवेदन हीन हो गए है हरियाली के रखवाले , क्या उन्हें पर्यावरण और प्रकृति से नफरत है या वे अपने भविष्य को अस्तित्व सहित मिटाना चाहते है ? 
जवाब मुझे पूछना है देश के पर्यावरण मंत्रालयों से कि जंगल विभाग पहाड़ो , वनों और किसानो को मारने के लिए बनाया गया है क्या ? बंजर धरती के लुटेरो तुम्हे  प्रकृति  माफ़ नही करेगी ....