बाल श्रमिक
सरकारी आंखों को नहीं नजर आते बाल श्रमिक
बच्चों के मामले में विसंगतियों की चाहरदीवारी इतनी ऊंची है कि कोई इसे चाह कर भी नहीं लांघ सकता. 0-6 वर्ष तक के बच्चों के लिये महिला एवं बाल विकास विभाग उत्तरदायी है. उसके बाद यानी 6-14 वर्ष तक के बच्चों के लिए शिक्षा विभाग की जिम्मेवारी तय की गई है. लेकिन 14-18 वर्ष तक की उम्र का कोई माई-बाप नहीं है.
हम ये बात बखूबी जानते हैं कि जो बच्चे आज बाल मजदूर के रूप में खट रहे हैं, वे कभी भी राष्ट्र निर्माण में अपनी उत्पादक भूमिका नहीं निभा पायेंगे लेकिन यह भी निर्विवाद सत्य है कि आज सरकारें महज़ थेगडे लगाने का काम ही कर सकती हैं, इस कुव्यवस्था को समूल नष्ट करने का नहीं, और जब यह कुव्यवस्था रहेगी ही तो फिर क्यों न वे स्थितियां बनाई जायें जिनमें सरकारें कम से कम यह स्वीकारें तो कि हमारे यहां बाल श्रमिक हैं और उनके लिये बेहतर स्थितियां बनाये जाने की ईमानदार कोशिश की जाए
Labels: http://ashish-gadha.blogspot.com