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एक अदने से कृष्णा ने जीत लिया बुंदेलखंड का दिल
- बिना किसी की मदद के आज भी कारगुजारी में लगा है गुड्डू
आमुख
जहा आज के इस एकला चलो माहोल में लोग खुद के लिए ही जीवन को जीने का जरिया मानते है उन्ही मुस्किल भरी पगों का फासला तय करते हुए बुंदेलखंड में कभी बसने वाला कृष्णा आज भले ही ज़मीन से कुछ हदों की दुरी पर गया हो , मगर ये एक ज़मीनी हकीकत है अब अल्हाबाद में रहकर समाज को अंगीकार करते हुए जीवन प्रत्याशा में गुज़र - बसर कर रहे कृष्णा उर्फ़ गुड्डू अब किसी सामाजिक कार्य के लिए परिचय का मुहताज नहीं है , कभी बांदा के सिविल लाइन इलाके में रह कर बचपन बसर करने वाला यह युवा अब अल्ल्हाबाद के चांदपुर सलोरी में जीवन के पल उन तबको के बीच समाज कार्य करते हुए HIV AIDS से पीडित इंसानों को अपने हाथ का सहारा देता है और काबिले तारीफ ये बात है की जहा NGO लाखो का प्रोजेक्ट सिर्फ रुपयों को गर्त करने में ही लगे हुए है!

यह युवा बिना किसी मदद के ही एड्स से पीडित लोगो के बीच जाकर काम कर रहा है और प्रमुख बात यह है की वर्ष 2008 के बीते सालो में इनको अपनी इस उपमान के आयाम चुनने के लिए ही UNAIDS and NACO की तरफ से बेस्ट संगठन वर्क और वालेंटरी NGO का पुरुस्कार भी मिल चुका है मगर साहब ने आज तक इस बात को अपनों और अपने चाहने वालो से छुपा रखा था ये और खबर थी की ज़मीनी हकीकतो का हम से ही सामना हो गया , आज भी ये लगातार एड्स पीडितो को अपना जीवन का होसला अफजाई काम मानकर लगे हुए है इन बेसहारा और समाज से दुत्कारे हुए मजरों को एक उम्मीद की किरण , ज़ीने का सपना देखने की खातिर बुंदेलखंड के इस सज़र को ज़िन्दगी के इस प्रवास और इंसानियत के पैरिविकारो की मुबारक बाद !
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आशीष सागर
आशीष सागर
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