Saturday, November 07, 2015

' मुख्यमंत्री ने किया विश्व रिकार्ड बनाने को दस लाख पौधरोपण ' !

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हरियाली के लिए बनेगा मुख्यमंत्री का विश्व रिकार्ड ! 

( तस्वीर - फाइल फोटो बाँदा के सढा ग्राम पंचायत में थाने के सामने लगा कदम्ब का पौधा )
7 नवम्बर बुंदेलखंड / बाँदा - हमीरपुर -
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गीनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज करवाने के लिए आज नौ जिलों के दस स्थानों पर दस लाख पौधे रोपित करने का काम किया है ! इसके लिए ध्राशी 14वें वित्त आयोग से जारी की गई है.इनकी देखरेख के लिए अलग से योजना बनी है..इसके पहले 8.50 लाख पौधे एक दिन में रोपित करने का रिकार्ड है..पौधरोपण के स्थान पर ग्रिड बनाये जायेंगे.जिनमे पौधों की संख्या दर्ज होगी ! इन पौधरोपण में पीपल,नीम,जामुन,पाकड़,शीशम,कांजी ,आवंला,चिलबिल और इमली के पौधे है ! ..बुंदेलखंड में हमीरपुर- महोबा,चित्रकूट,कैमूर वन्य क्षेत्र रेंज ,ललितपुर शामिल है...इसके अतरिक्त फर्रुखाबाद,उत्तर खीरी- 2,उत्तर खीरी - 1,श्रावस्ती -बलरामपुर,ग्रेटर नोयडा में कुल 10,55,900 लाख ( करीब दस लाख से ऊपर पौधे लगाये गए है ) गीनीज बुक रिकार्ड की टीम के कुछ अधिकारी इन पौध रोपण स्थान में रहे मसलन चित्रकूट के बरगढ़ वन रेंज के देसाह वनखंड में 61 हजार पौधे 50 हेक्टेयर में रोपित किये गए है ! चित्रकूट मंडल के वनसंरक्षक केएल मीणा ने यह जानकारी दी है. हमीरपुर के मौदहा बांध पर एक दिन में प्रदेश में 10 लाख पौधे लगाये जाने के कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए आज मुख्यमंत्री ने की माने तो यह पौधरोपण अपने लिए नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए है ! उल्लेखनीय है कि आगामी 21 नवम्बर को सैफई में एक जलसे में गीनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड की टीम सरकार को इसका प्रमाण पत्र देगी !
मुख्यमंत्री जी मानसून की विदाई के बाद इस पौधरोपण करवाने की आपको बधाई ! वैसे भी वनविभाग अपना लक्ष्य धरातल में कहाँ पूरा कर पाया है अबकी साल बारिश न होने के चलते ! वैसे आपको ये भी बतलाना चाहूँगा कि पूर्व बसपा सरकार में मायावती जी ने भी मनारेगा से विशेष पौधरोपण अभियान चलाकर ' 10 लाख पौधे-100 दिन का रोजगार ' नाम से स्कीम चलाकर बुन्देलखंड के सात जिलो में ये कारनामा किया था जिसकी आज भी सीबीआई जाँच चल रही है ! जेल कोई नही जायेगा ये अलग बात है ! ....साथ ही पिछले एक दशक में बुंदेलखंड में वनविभाग 200 करोड़ के पौधे लगवा चूका है जिनमे इस वर्ष के  पौधरोपण का आंकड़ा शामिल नही है जुलाई - सितम्बर का जिसमे अकेले बाँदा में 29 लाख पौधे लगाये गए है ! वैसे बाँदा का वनक्षेत्रफल 1.21 फीसदी है मुकाबले 33 % राष्ट्रीय वन नीति के ! ...नवम्बर के माह में यह  मौसम क्या पौधरोपण के लिए अनुकूल है ? सवाल पौधरोपण का नही है आपकी सरकारी मिशनरी सक्षम है मगर ये दस लाख पौधे अगर 50% भी न बच सके तो क्या फायदा होगा इस वर्ल्ड रिकार्ड का ? सुभ कामना है हरियाली के इस विश्व रिकार्ड में हरा - भरा खेल न हो और पर्यावरण सुन्दर बने ! - आशीष सागर,बाँदा

Sunday, November 01, 2015

केन - बेतवा नदी गठजोड़ के बांध स्थल में नही है पानी !


पन्ना टाइगर्स के अन्दर भयानक जलसंकट ग्रेटर गंगऊ बांध में पानी कहाँ से आएगा जब केन में पानी नही !


पन्ना / बाँदा - कांग्रेस और भाजपा केंद्र सरकार के साए में पिछले ग्यारह साल से लटका है ' केन -बेतवा नदी गठजोड़ ' ! उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के जिस इलाके को पानी से तरबतर कर देने का दंभ भर रहा है यह गठजोड़ जरा देखे केन नदी की तलहटी में बसे बांध के केंद्र बिंदु ( ग्रेटर गंगऊ डैम,ग्राम दौधन,तहसील बिजावर ) जहाँ बाँध स्थल प्रस्तावित है उस गाँव में ही आज पेयजल का संकट है.इस पन्ना टाइगर्स डूब क्षेत्र के अन्दर आने वाले 6 गाँव के बीच दो कुयें है जिनमे पानी है ! यहाँ आदिवासी रहवासी करीब 5 हजार से ऊपर कोंदर और गौड़ बसते है.इस जंगल में ही एक गाँव है पाठापुरा जहाँ तीन किलोमीटर दुर्गम घाटी से सुबह चार बजे नीचे आकर आदिवासी लड़कियां वापसी दोपहर बारह बजे तक पानी भरती है ! वे स्कूल इसलिए नही जा पाती क्योकि उन्हें घर का पानी भरना होता है ! आप विस्वास न करेंगे जिस घाटी में हम कैमरा लेकर न चढ़ पाए और गिरने का भय हो वहां ये लड़कियां कठपुतली की तरह तेज रफ़्तार से ये काम बखूबी कर लेती है लेकिन इनका हुनर इनकी बेबसी की देन है जो उनको मज़बूरी ने सिखलाया है ! बिजावर के साथी अमित की माने तो ये बेटियां अपना दिन और रात पानी की दहशत में काट रही है ! इन्हे ये डर लगता है कि डेरा में कोई बेटी न जन्मे !!! बुंदेलखंड के लगातार पड़ रहे सूखे ने केन नदी का पानी बरियार पुर डैम और रनगवां के साथ गंगऊ में भी ख़तम कर दिया है ! ग्राम दौधन का गंगऊ डैम साल 2015 में सूखा है और उससे जुड़ने वाले अन्य बांधो में भी पानी नही है ! आने वाले गर्मी के माह में क्या होने वाला है इसका अंदाजा अभी हो जाये तो बेहतर है ! पानी की जंग के लिए तैयार हो रहे है बुंदेले !
केंद्रीय जल मंत्री उमा भारती जिस केन (निचले हिस्से की नदी ) का पानी बेतवा में डालने की कवायद में जलसंसाधन मंत्रालय के 11 हजार करोड़ रूपये खर्च करेंगी उसका समाधान पहले वे बांध स्थल में ही कर लेवे जो सर्वाधिक जल संकट की चपेट में है ! 33 हजार पेड़ो की कुर्बानी के बाद ये पानी कहाँ से आएगा सूखी केन में ? माह नवम्बर के महीने में पन्ना टाइगर्स के अन्दर पानी नही है खाशकर केन के आस पास - रहने वाले वन्य जीवो और लोगो,मवेशी के लिए तो हरगिज भी नही ! ...ये बांध क्या खाक पानी देगा झाँसी और हमीरपुर को जो बाँदा और पन्ना टाइगर्स को पानी न दे पा रहा हो ! नीति आयोग के आला अफसरान जरा सद्बुद्धि आये तो इस बुंदेलखंड के भौगोलिक परिवेश और पर्यावरणीय स्थति पर मंथन करो ! एक जलसंकट वाले क्षेत्र में यह बांध कही आपको निःशब्द न कर देवे भविष्य में !