Saturday, June 11, 2016

सीमा को न्याय मिले न मिले लेकिन आरोपी दबंग है यह समाजवाद ने दिखला दिया !

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' पांच महीने से लापता राजा भैया यादव का सिपहसलाकार कौन है '  

बाँदा 10 जून - बीते 25 फरवरी 2016 को बाँदा के अतर्रा थाने में देर शाम बसपा प्रत्याशी मधुसुदन कुशवाहा,गयाचरण दिनकर और स्थानीय लोगो के सहयोग से पीड़िता सीमा विश्वकर्मा निवासी ग्राम अनथुआ ने आरोपी राजा भैया यादव पर बंधुआ मजूदर बनाकर एक वर्ष तक यौन शोषण करने का मुकदमा दर्ज करवाया था ! इसके बाद न्याय की आस में सड़ते सिस्टम के आगे- पीछे उसने अब तक कई बार चक्कर लगाये,गिडगिडाने के बाद और उच्च न्यायलय के आदेश बावजूद स्थानीय पुलिस महकमा उसको गिरफ्तार नही कर सका ! या यूँ कहे करना नही चाहता है ! धन में और सत्तासीन यादव सरकार में बड़ा दम है भाई ! 
तब से आज तक फरार चल रहे आरोपी को किस भूमिगत तहखाने में रखा गया है यह सिस्टम ही जानता है ! लेकिन वो फंडिंग एजेंसी एक्शन एड जो लगातार कई वर्ष से इस आरोपी की संस्था ( विद्याधाम समिति,अतर्रा) की पोषक रही है ने गत 22 मार्च को पांच सदस्यों की एक जाँच समिति बनाई थी ! उसमे सपा के नेता/ अधिवक्ता / आरोपी की संस्था में कार्यकारिणी सलाहकार द्वारिकेश मंडेला को भी पक्ष रखने को रखा गया था ! 17 अप्रैल को ( तस्वीर में मौजूद एक्शन एड की जाँच टीम,आरोपी खुद ) ने आरोपी की संस्था में आकर उसकी मौजूदगी में बाँदा के अन्य बड़े संस्था संचालक मसलन गया प्रसाद गोपाल,चित्रकूट / अन्य के समक्ष पड़ताल की और अपनी रिपोर्ट रखी थी ! आरोपी बैठक में था ये बात भी पीड़िता को नही बतलाई गई ! पीड़िता के अनुसार जाँच में आरोपी की दोषी पाया गया है लेकिन जाँच रिपोर्ट की कापी पीड़िता के मांगने के बाद भी नही प्रदान की गई है ! जबकि उसने मेल / निवेदन किया टीम की मनीषा,खालिद चौधरी और राजन जी से ! मगर पिछली बार की तरह इस मर्तबा भी सब चुप है ! इनका दावा है कि यह सीमा को न्याय दिलाएंगे मगर बिना रिपोर्ट दिखालये !!!
                                              


जाहिर है एक साधारण सा आदमी इतने बड़े रुतबे तक बिना एक्शन एड के नही पहुंचा है !...तब से कई बार सीमा के गाँव जाकर पावर - रुपयों ( डेढ़ लाख ) सुलह करने की हिदायत दी गई ! आज 10 जून को लखनऊ के सहभागी शिक्षण केंद्र की इकाई ' उपवन ' ( उत्तर प्रदेश वालेंन्ट्री एक्शन नेटवर्क ) के सदस्य सीमा के गाँव गए राजा भैया से मिलने के बाद ! उन्होंने सीमा से मिलने की इक्षा जताई है ताकि सुलह किया जा सके ! उनके साथ आरोपी का वर्कर सुरेश कुशवाहा भी था ! गौरतलब है 'उपवन' के अध्यक्ष बाँदा के त्रिपाठी जी है और गोपाल भाई,आरोपी सदस्य भी ! या ये कहे चमड़ी का पेशा करके नाम और दाम कमाने वाले बुंदेलखंड के लगभग सभी बड़े एनजीओ इसके सदस्य है ! .....क्या एक पिता के साए से वंचित सीमा को दबाने का कारनामा वैसे ही किया जाता रहेगा यथा मुझे फर्जी दुराचार केस में उलझा कर 52 साल से अधिक महिला गुडिया का शिकार बनवाना ! ? देश का न्याययिक सिस्टम कितना बदबूदार है यह केस उसकी जिंदा कहानी है ! उच्च नायालय के स्टे ख़ारिज करने / कार्यवाही के आदेश करने को भी घुटने में रखे सरकारी अमला कैसा न्याय करेगा मुझे पुनः बतलाने की आवश्यकता नही है ! दहशत में जी रही सीमा को भगवान ही बचा सकता है सामाजिक दबगों के अत्याचार से !

Thursday, June 09, 2016

बाँदा जिलाधिकारी योगेश कुमार को खोखले पहाड़ नहीं दिखते है !

' एक दिन अपना सारा तेज़ाब इन्ही पहाड़ों में रख जाऊंगा,एक दिन बिना किसी वजह के इसी दुनिया में मर जाऊंगा ! ' 

 इस पोस्ट में दी गई तस्वीर बुंदेलखंड के उस हाल को बतलाने के लिए काफी है जिसमें रोते -सिसकते और सूखे से झुझते बुंदेलखंड के आंसू है ! तस्वीर में  प्रथम जिला बाँदा के नरैनी मार्ग में पनगरा के आगे आबादी के मध्य में दिन- रात जारी मानकों के विपरीत पहाड़ खनन एवं दूसरी क़स्बा मटोंध में पुलिस थाने के ठीक सामने शैलेन्द्र सिंह का पहाड़ पट्टा है जिसमे दो सौ मीटर ऊँचे पहाड़ पर बस्ती के अन्दर,नेशनल हाइवे 76 की चौहद्दी में पताल तोड़ खुदाई की जा रही है ! क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,कार्यालय चित्रकूट मंडल के विजय मिश्रा की मौज है ! 
                                                      


कभी इन्ही खदानों में जाकर बाँदा जिलाधिकारी योगेश कुमार जी देखिये रूह काँप जाएगी गहराई और उजाड़ देखकर ! ताबड़तोड़ चलने वाले इस पेशे की हनक और गूंज बाँदा के इलेक्ट्रानिक मिडिया को भी नही दिखती क्या कभी इन्ही पहाड़ों पर ग्राउंड कलमकार देखे है ? फेसबुक में अपने छोटे - छोटे कार्य की तस्वीर पोस्ट करके वाहवाही लेने वाले जिलाधिकारी बाँदा को क्या यह सब नही दिखता है या जानकारी नही है ? वैसे सपा - बसपा की सत्ता में यह धरती का उजाड़ ही बुंदेलखंड की मूल वजह है जलसंकट के लिए ! ) मानक अनुसार आबादी से एक किलोमीटर दूर,नेशनल हाइवे से 500 मीटर दूर ब्लास्टिंग - खनन का प्रावधान है ) अगर मन दुखे तो नराज हो सकते है जिलाधिकारी जी मगर सच अन्दर चुभता है क्योकिं वह छलनी होने के बाद हूकता / बोलता है ! यह नही रोका जा तो हमें नैतिकता को खूंटे में टांग देना चाहिए ! तब जब महोबा के गुसियारी जैसे ब्लास्टिंग कांड और सूखे बुंदेलखंड में पानी आंसू के मोल मिलता है,किसान आत्महत्या के दरवाजे पे खड़ा रहता हो ! सरकारी योजनायें राजनीतिक चश्मे से देखकर वितरित की जाती हो !

Tuesday, June 07, 2016

देश बदल रहा है - आगे बढ़ रहा है मगर यहाँ पानी बेदम है !


' अगर देश बदलता है तो बदले हमें यूँ ही बसर करना है ' !
इन्हे बुलट ट्रेन नही पीएम पानी दे दो, गन्दा ही सही !

तस्वीर झाबुआ के मध्यप्रदेश के ग्राम कुन्दनपुर की !!

मध्यप्रदेश के झाबुआ में सरकारी मुलाजिम नीलम नील ने जब फेसबुक में यह वाकया शेयर किया तो अन्दर से हिल गया ! यह तस्वीर अकेले झाबुआ आदिवासी क्षेत्र की नही लगभग बुंदेलखंड में महोबा के खन्ना,गुसियारी,कपसा चित्रकूट के पाठा की है. पन्ना और उन तमाम बीहड़ वाले गांवों की है जहाँ पानी की कीमत ज़िन्दगी की भीख है ! जहाँ पानी को लेकर मुक़दमे / जूतम - पैजार सामान्य बात है ! नीलम नील फेसबुक में लिखते हुए कहती है कि - दो दिन पहले ही 5 तारीख को हमने विश्व पर्यावरण दिवस मनाया.बहुत संगोष्ठी हुई,कई चर्चा हुई !  कई डिबेट्स तो कई वार्तालाप हुए. एक-दूसरे को दिन भर बधाई दे-दे के थके नही ।
हमारा देश हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है....विदेशों में भारत के डंके बज रहे हैं और ये गर्व की भी बात है ।
मगर भारत के जो हालात है वो बहुत दयनीय है । मुलभुत सुविधा भी लोगों को उपलब्ध नहीं हो पा रही । ऐसा भी नहीं के हमारे यहाँ संसाधन नहीं है,, बहुत संसाधन है मगर उपयोग सही दिशा में नहीं हो पाते ।

                                         




पानी हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और ये मुझे बताने की ज़रूरत नहीं । इस विषय पर मैं कई बार लिख चुकी हूँ ।
लिखना तब सार्थक होता है जब उस पर अमल भी हो, अन्यथा वो सिर्फ एक लेख बन कर रह जाता है ।
ये तस्वीरें मैंने ली हैं कल..... आप देख सकते हैं पानी के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ रही है।नदी में गड्डा कर के घंटो इंतज़ार करना पड़ रहा है पानी का । पानी थोडा-थोडा आ रहा, और गड्ढे में पानी इकठ्ठा होने के बाद बर्तनों में भरा जा रहा ।
सोचिये.... घर की महिला का पूरा समय सिर्फ पानी भरने में ही निकल जाता है ।। दिन भर सिर्फ पानी के बारे में सोचती होगी और नींद में भी पानी ही दीखता होगा सपने में ।।
सरकार को कुछ ठोस कदम उठाना चाहिए जिससे जो भी जल बारिश के रूप में गिरता है वो धरती के अंदर ही जाये ।
हर मकान में हार्वेस्टिंग सिस्टम कंपलसरी कर देना चाहिए,जगह जगह नदी-नालो में छोटे-छोटे डेम बना कर पानी रोकना चाहिए ।
हालात देख कर बहुत दुःख हुआ कि कहाँ हम बुलेट ट्रेन बना रहे, मिसाइलें बना रहे और पानी की सुविधा नहीं । अन्तरिक्ष में जाने,बुलट ट्रेन के सपनें और टीवी चैनल में दिखने वाले विज्ञापन पर कोफ़्त होता है ! क्या ऐसा नही लगता कि हम इस देश में सपने बेचने का राजनीतिक व्यापार मात्र कर रहे है !