Sunday, August 02, 2015

काम का दोष पोर्न वेबसाइट से अधिक परवरिश में है ....

एक तरफ यियल स्टेट का कारोबार, डिस्कोथेक और बियरबार चलाने वाले एसी भोगी को सचिदानंद गिरी को महामंडलेश्वर की उपाधि से अलंकृत करे और उधर दूसरी खबर के मुताबिक देश में 857 पोर्न वेबसाइट के लिंक को ब्लाक किया जा रहा है - ( Indian internet service providers (ISPs) received a notice from the Department of Telecommunications (DOT) two days ago (31 July), ordering the blocking of 857 websites, many of which appeared to host pornography, according to an authoritative source at an ISP.)....लेकिन भारतीय प्राचीन मंदिरों में फैले काम शास्त्र और नेपाल जैसे हिन्दू राष्ट्र में देवी के मंदिरों में ऐसी तस्वीरो पर रोक कब और कैसे लगेगी ये बड़ा सवाल है उन लोगो से जो सेक्स / काम की अवधारणा को पोर्न वेबसाईट के चश्मे से देख रहे है ......!





नोट - सभी तस्वीर इंटरनेट से साभार है गूगल ....
असम के कामख्या देवी मंदिर में यूनी पूजा के नाम पर छद्म खेल और खजुराहो तक फैला काम तंत्र क्या कहता है ?  नेपाल के उन मंदिर का क्या करेंगे जहाँ हिन्दू देवी - देवताओ को काम मुद्रा में अलग - अलग आसनों के साथ प्रदर्शित किया गया है .....क्या ये काम का खुला आस्थावादी गुरूकुलम नही है ! ये न कहना तुम्हे देवी में काम / सेक्स नजर आता है .....प्रकृति के नैसर्गिक कार्य अभिप्रेरणा में प्रतिबन्ध / रोक पोर्न वेबसाइट के लिंक से नही आज के युवा साथियों में परिवारिक - सामाजिक विचार उन्मुखीकरण और नैतिक, संस्कार परिवर्तन से करिए ... क्योकि ये काम चेतना तो अब स्कूली कोचिंग सेंटर के गलियारे तक बदबू मार रही है ....मोबाइल के ढक्कन पीढ़ी में नाचती नवांकुर फ़ौज अब जुगाड़ तकनीकी पर चल रही है प्रतिबन्ध से क्या होगा ....? आज शहर से गाँव तक हिजाब ( मुंह ढक कर चलने की कला ) चलन इस अंधे काम की जुगाड़ का साधन भी है .....हवा में सेक्स का प्रदूषण इतना नही है जितना हमारे आस - पास उपलब्ध विकृत प्रतिमानों से है .....!