Saturday, February 20, 2016

सूखे बुंदेलखंड में कही अनाज की लूट तो कही किसान की मौत !

इस देश में जातिगत आरक्षण पर राष्ट्र की सम्पति जला देना,चौराहे जाम करना और रेलवे ट्रैक को पशुबाड़ा समझना आन्दोलन है !( जाट / गुर्जर) और किसान  कर्जमाफी - आत्महत्या , अपनी ज़िल्लत, व्यवस्था के खिलाफ चिल्लाना देशद्रोह माना जाता है !  

झाँसी / बुंदेलखंड - घटना 19 फरवरी 
सूखे से आहत बुंदेलखंड के जिला झाँसी के मऊरानीपुर के किसान रघुराज अहिरवार उम्र 32 वर्ष ने जहरीला पदार्थ खा कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली ! मृतक किसान के आश्रित तीन मासूम बच्चे और पत्नी है ! किसान यूनियन के प्रमोद चतुर्वेदी ने बतलाया कि तीनों पिता विहीन बच्चे असहज थे और बड़ी बिटिया छोटी बहन के आंसूं पोछ रही थी ! शायद इन्हे तो यह भी नही पता होगा कि मृत्य है क्या और पिता गए कहाँ ? नेताओं का महिमा मंडन करने वाले अधिकारी नही पहुंचे ! उधर उपजिलाधिकारी मऊरानीपुर ने किसान के घर पहुँचे तो किसान के के चाचा ने बतलाया कि रघुराज के पास 2 बीघा जमीन लेकिन एक लाख सत्तर हजार मुआवजा में अधिग्रहीत पर लिखी है ! कर्जा किसान क्रेडिट कार्ड में 56 हजार स्टेट बैंक का और 1.50 साहूकारों का कर्ज है ! झाँसी जिले की तहसील मऊरानीपुर के गांव तिलेहरा की घटना है, भारतीय किसान यूनियन के बुंदेलखंड अध्यक्ष शिवनारायण सिंह परिहार बतलाते है कि फसल ठीक होने पर भी किसान मर गया ! कारण बैंक और सूदखोरी का कर्जा उसको सालता रहा ! अब मृतक किसान के परिवार में बेवा पत्नी गायत्री देवी,माँ विधवा जानकी देवी,बच्चे सोनम 8 वर्ष,पेन्सी 6 वर्ष,अरुण 4 वर्ष है ! अभी तक पीड़ित किसान परिवार सरकारी राहत से दूर है ! ' जिसने जो चाहा वो छांट लिया, कुछ मुट्ठी भर कौओं ने सारा उपवन बाँट लिया ! ' 

' बुंदेलखंड का अन्नदाता कर रहा अनाज की लूट ' ! 

जिला बाँदा के नरैनी तहसील के मुकेरा गाँव में यह घटना हुई है ! 
चटियल सूखे बुंदेलखंड में पेट की भूख शांत करने को अब अन्नदाता ही अनाज लूट रहा है ! यह आजाद देश की सच्ची देशभक्ति है ! तब जब पूरा भारत मीडिया ट्रायल और चंद नेताओं की सरपरस्ती में युवाओं को बरगलाकर जिंदाबाद बुलंद कर रहा है ! तब जब मजहबी लोग दलित उत्थान पर अपनी सियासी खेती पका रहे है ! बीते 19 फरवरी को बाँदा में नरैनी तहसील के मुकेरा गाँव में 50 ग्रामीणों ने धावा बोलकर 76 बोरी गेंहूँ लूट लिया ! हर बोरी में करीब पचास किलो अनाज था ! ....ग्रामीणों पर अब प्रसाशन कार्यवाही की बात कह रहा है ! कोटा बुजुर्ग महिला झुर्री देवी के नाम है जिसको उसका कर्मचारी भरत त्रिपाठी चलाता है !....गाँव वालों का कहना है आये दिन कोटेदार घटतौली करता है, समय




से राशन नही मिलता, हाल ये है गाँव की पंसारी दुकान का कि वहां अब कोई राशन पर परचून का सामान नही ले रहा है क्योकि गाँव के बड़े किसानों ने गरीबों/ बटाईदार किसान को ज्योंरा ( परजो को दिया जाने वाला अनाज जो हल की संख्या पर दिया जाता था ! मसलन एक जोड़ी हल- बैल पर 40 मन गल्ला जो अब कोई नही देता ! )
गेंहूँ की इस लूट के बाद मौके पर गए उपजिलाधिकारी नरैनी पुष्पराज सिंह,आपूर्ति निरीक्षक मोहम्मद याकूब और कोतवाली प्रभारी केएन सकते में है कि करे तो क्या करे ? किसान ही जब गेंहूँ की डकैती डालने लगे तो क्या होगा ? ग्रामीणों की इस सामूहिक वारदात से पहले सुबह बाँदा- खजुराहो मार्ग पर सड़क जाम किया गया कोटेदार की शिकायत लेकर जिसको मान - मनौअल के बाद एसो खुलवा सके ! यहाँ के हालत देखकर खाद्य सुरक्षा कानून पर भी सवाल खड़ा होता है , सच ये भी है कि शहर से लेकर गाँव तक अभी भी सबको राशन कार्ड वितरित नही है ! ....उसको बनवाने में भी घूस देनी पड़ती है !....इनके लिए कोई देशद्रोही नही बनता ! इनकी खातिर कोई ' हमें निजामों से चाहिए - आजादी !' हमें बेईमानों से चाहिए - आजादी ' सत्ता के दल्ले दें- आजादी ' !!! नही मांगता ! कोई यह जंतर - मंतर पर नही गाता ' ले मशाले चल पड़े है लोग मेरे गाँव के, अब अँधेरा जीत लेगें लोग मेरे गाँव के !...राह संघर्ष की इसलिए हम चुने....!

Sunday, February 14, 2016

ददुआ डकैत बन गया भगवान !

' बीहड़ का बागी ददुआ अब पूजा जायेगा



! ' 
प्रेम दिवस पर मिला डकैत ददुआ का प्यार !सत्ता की हनक में ददुआ की चमक !बालकुमार पटेल ने चित्रकूट में वसूल की करोड़ों की रंगदारी मूर्ति का जलसा व्यापारी के धन से !कुर्मी वोट के लिए समाजवाद का दांव !ग्रामीण जनता ने किये अपने भगवान ददुआ के दर्शन !क्या लोकतंत्र में अब खाकी ,नेता और डकैत को एक स्वीकार कर लिया जाए ? 

फतेहपुर / चित्रकूट - बुंदेलखंड के बीहड़ो में दो दशक तक आतंक की दुनिया का सरगना बना रहा दुर्दांत डकैत दस्यु शिवकुमार पटेल और ददुआ की मूर्ति लगने को लेकर बेतरतीबी से विरोध देखा जा रहा था ! पर आज फतेहपुर से 80 किमी दूर धाता ब्लॉक के कबरहा गाँव में हनुमान मंदिर में वैदिक मंत्रोचारण के बीच दुर्दांत डकैत ददुआ की मूर्ति स्थापित कर दी गई है ! जिसको देखने के लिए दूर दराज़ के गाव से लोगो के भीड़ जमा हो रही है !
गौरतलब हो कि एक लम्बे समय तक बुंदेलखंड के बीहड़ो में अपने आतंक का सिक्का जमाये रखने से लेकर बुंदेलखंड की सियासत की दुनिया में अपने हुक्म की नाल ठोंककर मनचाहे प्रत्याशियों को सियासत की दुनिया का बेताज बादशाह बनाने वाला डकैत ददुआ जुलाई 2007 में एसटीएफ मुठभेड़ में मार गिराया गया था जिसके बाद एक के बाद एक डकैतो ने सर उठाना चाहा लेकिन ददुआ की तर्ज़ में कोई और डकैत बीहड़ो का सरदार लम्बे अरसे तक बन नही पाया, हालांकि सूत्रों की मानें तो ददुआ की मौत से संभ्रांत और धनाढ्य लोगो में ख़ुशी का माहौल था तो वही दूसरी तरफ गरीब-मज़लूमो की हमदर्दी भी थी ! बीहड़ सूत्रों के मुताबिक़ डकैत ददुआ गरीबो का हमदर्द था तो वही दूसरी तरफ रसूखदारों का मुखालिफ भी ! यह बात तब जगज़ाहिर हुई जब मुठभेड़ में मारे गए डकैत के पास से मिली रहस्यमयी डायरी में बुंदेलखंड के तमाम रसूखदारों, व्यापारियों का हिसाब किताब दर्ज पाया गया ! फिलहाल कबरहा हनुमान मंदिर में जन-सैलाब के लाख विरोधो के बावजूद इस वक़्त दस्यु ददुआ व पत्नी केतकी, व उसके माता पिता की मूर्ति मंदिर में स्थापित कर दी गई है ! उसके बाद मंदिर परिसर में बड़े पैमाने पर भंडारे का आयोजन चल रहा है जिसमे शरीक होने समाजवादी लोकनिर्माण मंत्री मंत्री शिवपाल यादव भी शरीक हुए ! उनके इस्तक़बाल के लिए प्रशाशनिक अमला पुरज़ोर तैयारियों के साथ मौके पर मौजूद है ! वही दस्यु ददुआ के भाई मिर्ज़ापुर के पूर्व सांसद बालकुमार पटेल,कर्वी सदर विधायक वीर सिंह पटेल समेत भारी समाजवादी परिवार व्यवस्थाओ में मशरूफ है. देखना ये है कि क्या हनुमान भक्त कबरहा मंदिर में हनुमान जी की पूजा के साथ-साथ ददुआ को पूजते हैं या फिर नज़र अंदाज़ करते हैं ये बात दीगर होगी !

गरीबतंत्र का कैसे मने वेलेंटाइन डे !

' जिंदगी संघर्षो की नांव है जो जिंदादिली से तैर गया वो पार जो थका वो डूबा ! ' यहाँ आग से सुबह और रात होती है क्योकि यहाँ जिंदगी ही आग है ! मौलिक भारत में डिजिटल प्रेम दिवस की शुभ कामनाएं ! 14 फरवरी 

चलो एक कारवां इनके लिए बनाये साथी , यह सच संसद को दिखलाये साथी ! कभी प्रेम की भूख और कभी रोटी की तपिश में ये जो जलते है, इनके लिए भी ' वेलेटाइन डे ' मनाये साथी ! 

इस जिल्लत की पुरानी और विस्तार रिपोर्ट के लिए लिंक देखे -http://bundelkhand.in/…/gadtantra-banam-gareeb-tantra-by-as… 
तस्वीर - बुंदेलखंड के जिला बाँदा के फतेहगंज क्षेत्र के ग्राम गोबरी मवान से ! ये मवेशी और गौड़ आदिवासी बस्ती के रहवासी जंगल से लकड़ी,महुआ बीनकर और वन-विभाग के दिए हुए पट्टो पर खेती करके जिंदगी बसर करते है ! लेकिन जंगल के कथित रखवालों ने विंध्यांचल की हरियाली तो लूटी ही साथ ही इन्ही आदिवासियों पर जंगल की तरफ जाने ,लकड़ी काटने पर पहरा लगा रखा है ! यह विकास से महरूम 405 परिवार प्रति लकड़ी के गट्ठे पर वनविभाग के वाचर - चौकीदार प्रजापति उर्फ़ बहरा को 10 रूपये सुविधा शुल्क / रंगदारी देते है,जो ढाबों या होटल में 50 से 70 रूपये की बिकती है ! बीहड़ से उस ढाबे तक का सफ़र बाँदा - कानपुर पैसेंजर या अन्य ट्रेनों में होता है इन महिलाओं का ! आदिवासी परिवारों का ! यह सिलसिला मानिकपुर से अतर्रा स्टेशन तक चलता है वे तमाम तरह की मुसीबतें झेलकर जो सामान्य यात्री,लड़के इनकी बेटियों या महिला को देते है !...जंगल से लकड़ी काटने से लेकर दस रूपये प्रति गट्ठा देने तक इन्हे अपना बहुत कुछ देना पड़ता है ! कभी दस्यु के गुर्गो को और कभी जंगल के रखवालों को ! '' स्थानीय डिप्टी रेंजर नफीस खान से जब मौके पर बात की तो वे कहते है कि अगर आदिवासी हनुमान मन्दिर ( जहाँ वन चौकी स्थित है ) में कसम खा लेंगे तो मै वाचर को हटा दूंगा ! '' नफीस खान का नंबर है - 9838077786. ' जब आजादी नग्नता पर उतर आती है तंत्र की चाबुक से तब नक्सली पैदा होते है...! ' 
गोबरी मवान के रामगरीब,राजाराम,पप्पू,रामबिलास,बुद्धू,संतोष,रामबली( किशोर बालक),सालिगराम,श्यामकली(



किशोरी),माया,शोभा ने बतलाया कि प्रजापति हमसे जंगल से लकड़ी निकालने का प्रति गट्ठा 10 रूपये लेता है इसके अतिरिक्त दरोगा और पुलिस वाले की रंगदारी ब्याज में है ! ट्रेन में अगर बिना टिकट जाते है तब वहां की सुविधा का चेहरा अलग है ! जब कभी महुआ बीनकर देना पड़ता है या शराब ! बड़ी बात यह है कि इस इलाके में ग्यारह प्राथमिक स्कूल है लेकिन सब तालाबंदी में है ! कही प्राइमरी मास्टर जी नही आते उनके पास रटा हुआ वही जुमला बीएसए के लिए कि डकैतों का डर है ! यानी स्कूल का मध्यान्ह भोजन और वजीफा सब अंदरखाने में ! सूत्र कहते है कि बीएसए से संकुल प्रभारी तक स्कूल न जाने की रिश्वत दी जाती है ! न कोई आंगनबाड़ी और न टीकाकरण यहाँ सब कुछ वैसा ही जो खुद से कर लिया जाए ! जुगाड़ तकनीति पर मयस्सर प्रसव से लेकर परिवार नियोजन तक ! ....शिक्षा के आभाव में यह बच्चे माता- पिता के साथ लकड़ी बीनते ,खेलते और लकड़ी ही बेचते है ! जहाँ कभी डाकुओं की तूती बोलती थी आज वनविभाग की हनक है ! सूखे बुंदेलखंड का यह इलाका आज भी राष्ट्रीय मीडिया की निगाह से अछूता है क्योकि खबरें बीहड़ में दफन है ! 

( सभी तस्वीर स्वयं की बीते 12 फरवरी 2016 )