Saturday, February 13, 2016

बुंदेलखंड में पुराने तालाबों को दफ़न करके नए बनाने का खेल !

' हमने छोड़ दी कश्ती कागज की ,अब समंदर की जिम्मेदारी है ! '--------------------------------------------- 

'' अवैध कब्जो की मार में पुराने तालाब की अंत्येष्टि '' - फिर बनेंगे 2000 नए तालाब !

बाँदा 13 फरवरी - केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमाभारती ने बीते शुक्रवार झाँसी में हवा से लैंड करके मध्यप्रदेश के नौगांव,महोबा के चरखारी ( तालाबो की नगरी ) औरैया में जलस्रोतों का फौरी निरीक्षण किया है ! ख़तम होते जल स्रोतों का हवा मार्ग से आंकलन करना भी अपने आप में बढ़िया और क्रांतिकारी अनुभव है !...तब जब झाँसी के प्राचीन लक्ष्मी तालाब को पाट कर जल मंत्री का डिजिटल ऑफिस एक बिल्डर के सौजन्य से भेंट किया गया हो ! अब इस तालाब के एक हिस्से में आवासीय कालोनी बन चुकी है ! अकूत जल संपन्न चन्देल कालीन धरोहर को दफन कर दिया हमने ! जब कभी जल बचाओ - जीवन बचाओ अभियान चले !...प्रदेश सरकार का तालाबो के संरक्षण को धन आया लेकिन टेंडरिंग व्यवस्था ने उसको भी ठेकदार की कमीशन निगाह से नपाक कर दिया ! पारदर्शिता के यौवन को बिचौलियों ( लाइजनर ) की दलाली खा गई ! 
अब तो हाल ये है कि समाज के तालाबों में भी शब्दों का खेल है ! समाज के वो तालाब जो सबके थे आज ' गैर का तालाब और अपना तालाब ' के नाम से प्रचारित किये जा रहे है ! बसपा सरकार ने किसान के तालाब को खेत तालाब कहा मगर तीसरी सरकार के ग्राम प्रधानों ने अपने खाश लोगो को गाँव में सार्वजनिक तालाबों में कब्जे करवाए, चारागाह पर पट्टे किये ! परिणाम हुआ कि आज किसान का जानवर पानी और चारे को अन्ना हो गया ! गत दिवस बुंदेलखंड आये मुख्य सचिव अलोक रंजन ने बाँदा के लोहिया गाँव पडुई में रात्रि चौपाल लगाये ! उन्होंने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से 2000 नए तालाबों को बनाने का निर्देश मंडल आयुक्त बाँदा को दिया जिसमे किसान को 50 फीसदी अनुदान मिलेगा ? ठीक वैसे ही यथा खेत तालाब में वाटर स्प्रिंकलर सेट सिचाई के लिए ! पर वो सेट मंत्री जी के रिश्तेदार खा गए ठीक वैसे ही जैसे बाँदा में कृषि विभाग की बड़ी स्कीम प्रगतिशील किसान खा जा रहे ! ....जिसकी जितनी पहुँच उतना सरकारी जुगाड़ ! किसानी में भी अब दो वर्ग एक विकासशील दूसरा प्रगतिशील ! मीडिया शब्दकोष से उपजा प्रगतिशील किसान कौन ? जो परंपरागत खेती हमारे देश में सदियों से होती रही, जो बीज,कृषि पद्धति किसान की आत्मा थी उसको बचा लेने वाला या उनकी मार्केटिंग करने वाला ! अब यह नए 2000 तालाब खोदने की तैयारी पुराने चन्देल कालीन 2963 तालाबों की कब्रगाह कैसे सहेजी जाएगी यह तय कौन


करेगा ? ये सभी तालाब भरेंगे कैसे जब बुंदेलखंड में सूखा और अकाल की खबरे है ? उधर मनारेगा से बने हजारों आदर्श तालाब अलग है जो लापता है ! बुंदेलखंड में ख़तम हुए तालाब पर पहले भी रिपोर्ट जारी हुई है ! जिस पर इंडिया टुडे ने भी ' तालाब नही जिंदगी सूख रही ' खबर पियूष भाई के हवाले से 3 सितम्बर 2014 को पब्लिश की थी 
सन्दर्भ  http://aajtak.intoday.in/story/more-than-one-lakhs-ponds-are-occupied-in-up-1-778686.html फटे जल कपड़े में नया थिंगरा लगाते जाओ और पुराने जलराशी को तबाह करते रहे क्या यही विकास और सूखे का निदान है ? स्थानीय प्रसाशन और मुख्यमंत्री को एक बार पुनः ध्यान दिलाने के लिए आज अमर उजाला और 9 फरवरी के जागरण की ये  खबरे पढ़े -

बुंदेलखंड में बालू माफिया बनेगा एमएलसी !

13 फरवरी -

नदियों का सीना चीरने वाला रमेश मिश्रा सपा का प्रत्याशी !

आज बसंत पंचमी के दिन जब ग्रीष्म ऋतु के पदचाप की अट्टाहस देह को महसूस होने का शुभारम्भ होता है ! खेतो में जब सरसों अपने यौवन से कवियों,लेखको और चित्रकार - पत्रकार को नए - नए सर्जना का पर्यावरण देने लगती है ! जब प्रकृति प्रेमी नदी - पहाड़ और हरियाली को सहेजने की चर्चा करते है उस ऋतुराज के शुभ मुहूर्त में बाँदा - हमीरपुर एमएलसी सीट से सपा के नए योद्धा और प्रत्याशी ( खनिज मंत्री गायत्री प्रजापति के कृपापात्र ) कद्दावर बालू माफिया रमेश मिश्रा जिसने बाँदा के कई साल के दिग्गज बालू माफिया परिवार के टिकट दावेदार युवराज सिंह को पछाड़ कर टिकट हासिल किया और एक बड़ी रकम देकर बुंदेलखंड में नए सिंडिकेट साम्राज्यवाद की बुनयाद रखने में कामयाब हुए है ! आज नामांकन दाखिल किया है ! सैकड़ो लक्जरी गाड़ियों से लैस रमेश मिश्रा ने जीआईसी मैदान में एक जनसभा की जिसमे सपा के बबेरू विधायक विश्वम्भर सिंह यादव और जिला अध्यक्ष शमीम बांदवि मौजूद थे ! सपा का रमेश मिश्रा के साथ सियासी गठबंधन बुंदेलखंड की नदियों के लिए खतरा है ! गौरतलब है कि





 सूखे - भूखे बुंदेलखंड के पर्यावरण की अस्मत तार - तार करने का आने वाले वर्षो के लिए ताना - बाना बुना जा चुका है ! यह अलग बात है कि बुन्देली किसान पानी के लिए पानीदारी दांव में लगाएगा, लगा रहा है !

Tuesday, February 09, 2016

9 फरवरी  report - 

' बाबूसिंह का रिहाई जलसा ' ! 

काजू भुने प्लेट में,विश्ह्की गिलास में, 
उतरा है रामराज्य विधायक निवास में !
पक्के समाजवादी है तस्कर हो या डकैत,
इतना असर है खादी के उजले लिबास में ! ' 
अदम गोंडवी के यह अल्फाज सुनाने का मन है आज ! अब यह न पूछियेगा कि बात का है ! जो है वो ऐसा जुलाब है कि बिना लिए पेट साफ़ हो जायेगा दर्शन मात्र से ! 
उत्तर प्रदेश में सियासी सरगर्मी बढ़ी ! गत 5 फरवरी को एनआरएचएम घोटाले के मुख्य सूत्रधार और पूर्व स्वास्थ्य एवम खनिज मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा डासना जेल से जमानत पर रिहा हुए ! अपनी चार साल की आरामतलबी कैद से आजाद हुए बाबूसिंह कुशवाहा बुंदेलखंड की पिछड़ी जाति का वोट बैंक साधते है ! पहले बसपा फिर सपा और भाजपा तक गलबहिया कर चुके ये नेता जी देखिये आगामी विधान सभा चुनाव में किस पलटी जाते है ! लेकिन सवाल यह है कि इनको जमानत देते समय सीबीआई कोर्ट ने यह नही पूछा कि ये दो करोड़ रूपये जमानत का मुचलका आपने भरा है उसका धन कहाँ से आया है, उनके स्रोत क्या थे ? बाबूसिंह के सगे भाई शिवशरण कुशवाहा ने राजधानी लखनऊ में एक होर्डिंग लगवाई है जिसमे लिखा है '' माननीय बाबूसिंह के जेल से रिहा होने पर हार्दिक अभिंन्दन ''  प्रदेश में और देश में बनी वैध - अवैध काली सम्पति,चल रहे शिक्षण संस्थानों का देक्ग - रेख यही भाई करता है ! बुंदेलखंड के बाँदा में श्रीनाथ बिहार आवासीय कालोनी से लेकर तथागत कालेज,इंटर कालेज तक सब शिवशरण के जिम्मे है ! ...जबकि खुद को राजनीतिक कारणों से इस घोटाले में खीचनें का दावा करने वाले बाबूसिंह कभी एलआईसी की एजेंट और लकड़ी की टाल चलाते थे !...मगर बुंदेलखंड की खनिज सम्पदा और स्वास्थ्य के रूपये की उगाही / जनसन्देश समाचार पत्र की मिलकियत के रस्ते मायावती को सरकारी नौकरी में भंडारण करवाने का जिम्मा इनके ही पास था जो बाद में नसीमुद्दीन सिद्दकी के पास आया !...नसीम और बाबूसिंह कुशवाहा के वर्चस्व की लड़ाई में बुंदेलखंड लूट लिया गया जिसमे बुंदेलखंड पॅकेज भी शामिल है ! किसानों के ट्रैक्टर ये ही खाए है ! ...इनके छूटने पर ओबीसी वोटर में उत्साह है पर वे यह जानकर अंधे है कि यह सियासी डकैत है लोकसेवक नही ! अरबों का साम्राज्य है इन्ही दो नेता के पास !