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बाँदा। आशीष नंदी ने क्या कहा क्या नहीं और सही कहा या गलत, इसे छेड़िये लेकिन उत्तर प्रदेश में दलित अस्मिता की ठेकेदार बहन मायावती की सरकार में जो करतब हुये वे एक से बढ़कर एक हैं। अब बहुजन समाज पार्टी के पूर्व कैबिनेट मंत्री बाँदा निवासी नसीमुद्दीन सिद्दकी के दिल करीब साले और उनकी पत्नी एम. एल. सी. हुसना सिद्दकी के भाई मुमताज अली ने बाँदा के समाज सेवी और सूचना अधिकार कार्यकर्ता आशीष सागर पर एक साल पहले यानि 14.9.2011 को बाँदा में मुमताज के कार्यालय आकर (गोल कोठी) में एक करोड़ रूपये रंगदारी मांगने के आरोप लगाये हैं।
आशीष सागर ने बताया कि मुमताज अली ने डकैती कोर्ट 153(3 ) बाँदा में अर्जी देकर कहा है कि आशीष सागर ने मेरे साथ बैठे कर्मचारी मिथलेश निवासी बंगाली पुरा और खाई पार के जितेन्द्र के सामने यह कहा कि मुमताज आपके जीजा (नसीमुद्दीन सिद्दकी) के खिलाफ बहुत सबूत हैं, वो जेल भी जा सकते हैं अगर बचना है तो मुझे यानि आशीष को बतोर रंगदारी एक करोड़ रुपया दो। इस पर मुमताज ने कहा कि उसने तो एक करोड़ कभी देखे ही नहीं है कैसे दिलवा दे। इस पर वह धमकी देता हुआ चला गया, इसकी शिकायत कोतवाली में की गई पर तब कोई कारवाही नही की गई। 14 सितम्बर को बाँदा पुलिस कप्तान को प्राथना पत्र दिया गया लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया इसके पूर्व भी डी. जी. पी. को पत्र भेज के अवगत करवाया गया था ….
देखा ! बहन जी की सरकार में नसीमुद्दीन जैसे ताकतवर मन्त्री के साले से रंगदारी माँगे जाने पर भी बेचारी पुलिस हाथ पर हाथ धरे रहती थी और बहन जी कह रही हैं कि अखिलेश के राज में गुण्डागर्दी है। मुमताज अली को एक वर्ष बाद ये बात साल रही है कि आशीष सागर ने उनसे ये रुपया माँगा था और एक्शन नहीं हुआ जबकि उन दिनों उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार थी और दूसरे नंबर के 22 विभागों वाले मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दकी से अवाम और उनके साले मुमताज अली से बाँदा का जर्रा – जर्रा काँपता था, तब भी अगर उनकी रिपोर्ट नही लिखी गई तो हैरत वाली बात तो है।
उधर बाँदा के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने घोषणा की है कि इस घटना क्रम में और सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं के ऊपर फर्जी मुकदमों, आरोपों के खिलाफ अवाम की आवाज मुहिम के साथ आगामी चार फरवरी को उपवास करेंगे और उसके बाद अगला कदम लखनऊ या दिल्ली का मैदान होगा।
http://thecivilian.in/rti-activist-had-demanded-money-bsp-government-ministers-brother/2529/.html/naseemuddeenakhilesh
लो जी! बहन जी की सरकार में आरटीआई कार्यकर्ता ने माँग ली थी मंत्री के साले से रंगदारी …..!

बाँदा। आशीष नंदी ने क्या कहा क्या नहीं और सही कहा या गलत, इसे छेड़िये लेकिन उत्तर प्रदेश में दलित अस्मिता की ठेकेदार बहन मायावती की सरकार में जो करतब हुये वे एक से बढ़कर एक हैं। अब बहुजन समाज पार्टी के पूर्व कैबिनेट मंत्री बाँदा निवासी नसीमुद्दीन सिद्दकी के दिल करीब साले और उनकी पत्नी एम. एल. सी. हुसना सिद्दकी के भाई मुमताज अली ने बाँदा के समाज सेवी और सूचना अधिकार कार्यकर्ता आशीष सागर पर एक साल पहले यानि 14.9.2011 को बाँदा में मुमताज के कार्यालय आकर (गोल कोठी) में एक करोड़ रूपये रंगदारी मांगने के आरोप लगाये हैं।
आशीष सागर ने बताया कि मुमताज अली ने डकैती कोर्ट 153(3 ) बाँदा में अर्जी देकर कहा है कि आशीष सागर ने मेरे साथ बैठे कर्मचारी मिथलेश निवासी बंगाली पुरा और खाई पार के जितेन्द्र के सामने यह कहा कि मुमताज आपके जीजा (नसीमुद्दीन सिद्दकी) के खिलाफ बहुत सबूत हैं, वो जेल भी जा सकते हैं अगर बचना है तो मुझे यानि आशीष को बतोर रंगदारी एक करोड़ रुपया दो। इस पर मुमताज ने कहा कि उसने तो एक करोड़ कभी देखे ही नहीं है कैसे दिलवा दे। इस पर वह धमकी देता हुआ चला गया, इसकी शिकायत कोतवाली में की गई पर तब कोई कारवाही नही की गई। 14 सितम्बर को बाँदा पुलिस कप्तान को प्राथना पत्र दिया गया लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया इसके पूर्व भी डी. जी. पी. को पत्र भेज के अवगत करवाया गया था ….
देखा ! बहन जी की सरकार में नसीमुद्दीन जैसे ताकतवर मन्त्री के साले से रंगदारी माँगे जाने पर भी बेचारी पुलिस हाथ पर हाथ धरे रहती थी और बहन जी कह रही हैं कि अखिलेश के राज में गुण्डागर्दी है। मुमताज अली को एक वर्ष बाद ये बात साल रही है कि आशीष सागर ने उनसे ये रुपया माँगा था और एक्शन नहीं हुआ जबकि उन दिनों उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार थी और दूसरे नंबर के 22 विभागों वाले मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दकी से अवाम और उनके साले मुमताज अली से बाँदा का जर्रा – जर्रा काँपता था, तब भी अगर उनकी रिपोर्ट नही लिखी गई तो हैरत वाली बात तो है।
उधर बाँदा के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने घोषणा की है कि इस घटना क्रम में और सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं के ऊपर फर्जी मुकदमों, आरोपों के खिलाफ अवाम की आवाज मुहिम के साथ आगामी चार फरवरी को उपवास करेंगे और उसके बाद अगला कदम लखनऊ या दिल्ली का मैदान होगा।

बंदेलखंड
– गरीबी, सूखा और आपदाओ से घिरे बुंदेलखंड में ग्रामीण विकास योजनायें
हासियें पर है। उन्हे लूटने और उनमे व्याप्त भ्रष्टाचार को बढाने में
सरकारी मिशनरी हावी है। मनरेगा, संपूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम, आईसीडीएस
(आंगनबाडी), बालश्रम, उद्यान विभाग, एचआईवी एड्स, राष्ट्रीय ग्रामीण
स्वास्थ्य मिशन से लेकर आवाम के लिये बनी निजामों की हर योजना भ्रष्टाचार
में लिप्त है। लेकिन सरकारी योजनाओं के समनान्तर बुंदेलखंड जैसे अति पिछडे
और विकास से अछूते क्षेत्रों में समाजिक संगठनों की बाढ़ आम जनमानस को लूटने
में कमतर नही है।
्दी
कागज लपेट कर करीब 10 किलो का बंडल सूचना मांगने वालो को थमा दिया गया
जिससे सूचना अधिकार के चक्रव्यूह में उलझकर फिर कोई सूचना मांगने की हिमाकत
न कर सके। आरटीआई कार्यकर्ता संतोष श्रीवास ने केन्द्रीय सूचना आयोग के
साथ साथ ग्रह मंत्रालय से लेकर हर उस आला अधिकारी की चैखट पर शिकायत की
अर्जी विद्याधाम समिति के संदर्भ में लगायी जहां से उसे न्याय की उम्मीद
थी। ग्रह मंत्रालय ने केन्द्रीय सूचना आयोग की नोटिस पर आरटीआई कार्यकर्ता
को सूचना देने के लिये मजबूर किया। सूचना अधिकार से मिले तथ्यों के मुताबिक
परागीलाल विद्याधाम समिति को एफसीआरए (विदेशी अनुभाग) से वर्ष 2004 से
2009 के बीच 7094399.00 रू. प्राप्त हुये थे। इस धनराशि में देशी अनुदान
यथा जमशेद जी टाटा ट्रस्ट और अन्य फंडिग एजेन्सियों की तरफ से जारी की गयी
अनुदान राशि समाहित नही है जो विद्याधाम समिति को दी गयी।
भवन
(फार्म हाउस) जो कि इनके जीआरए गु्रप के संचालक एवं अखिल भारतीय समाज सेवा
संस्थान के न्यासी गया प्रसाद गोपाल उर्फ पिताजी की माता देवरती के नाम पर
शिलान्यासित करवाया गया है, एक वैगेनार, एक इंडिका और दो पहिया वाहन सहित
चल अचल संपत्ति बनायी गयी है। गोपाल भाई की संस्था संपत्ति या व्यक्तिगत
प्रापर्टी का अनुमान लगाया जाये तो चित्रकूट बेडीपुलिया मार्ग पर रानीपुर
भट्ट (भारत जननी परिसर) की लगभग 1 एकड़ जमीन, मानिकपुर क्षेत्र में संस्था
निजी विशाल कार्यालय, पैतृक गांव सहित आसपास के क्षेत्र में कृषि जमीने,
चारपहिया वाहन सहित अज्ञात बैंक बैलेंस मौजूद है। तीन दशक पूर्व साइकिल से
समाज सेवा शुरू करने वाले इन पिताजी के एक पुत्र वर्तमान में मानिकपुर
क्षेत्र से ब्लाक प्रमुख भी है। मिली जानकारी के अनुसार पूर्व बसपा सरकार
के ग्राम विकास मंत्री दद्दू प्रसाद कभी अखिल भारतीय समाजसेवा संस्थान में
बर्तौर सामाजिक कार्यकर्ता काम किया करते थे। सरकार बनने के पश्चात राज्य
सरकार से मनरेगा सामाजिक अंककेक्षण, जागरूकता अभियान के लिये लाखो रू0 इस
संस्था को दिया गया था। वर्तमान में टाटा ट्रस्ट, चाइल्ड लाइन, वाटर एड
इंडिया, नाबार्ड सहित अन्य गैरसरकारी प्रोजेक्ट इस संस्था में संचालित है।
जिनकी अनुदान राशि सालाना लाखो रू0 है। यह और बात है कि विद्याधाम समिति के
हमकदम बनकर चलने वाली यह संस्था भी स्वसेवा में मशगूल है।
कार्याे का सिफर ंहोना इन संस्थाओ की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता
है। इंडिया एलाइव की पड़ताल के दौरान विद्याधाम समिति के कार्यक्षेत्र के
करीब आधा दर्जन गांव जिनमें नहरी, नरसिंहपुर, राजा का पुरवा (दलित बस्ती),
देवली, धोबिन पुरवा, सहबाजपुर, पुकारी, मोहनपुरवा, गुढाकला के बाशिंदो का
कहना है कि एनजीओ चलाने वाले चोर होते है। देवली गांव के चुन्नी लाल,
अच्छेलाल, झल्लू, ललमा ने बताया कि विद्याधाम समिति की तरफ से उन्हे गूंज
संस्था द्वारा कपडे दिये गये थे। कपडे देने के पहले संस्था द्वारा कहा जाता
है कि कपडे उतारकर खडे हो जाओ, तुम्हारी फोटो खीचेंगे फिर तुमको कपडे,
शौचालय, पेंशन और बिजली मिलेगी। देवली एक ऐसा गांव है जहां बीते दो वर्षो
से बिजली नही है। बडी बात है कि अगर शहर में और सैफई में एक घंटे बिजली न
रहे तो हडकंप मच जाता है। लेकिन वही बुंदेलखंड के इस पिछडे गांव मे
फांकाकशी के बीच जीने वाले लोगो की जिंदगी दो साल अंधेरे में है। समाजसेवी,
सरकार क्या कर रही है यह बताने की जरूरत नही।
चुनूबाद, दयाराम, बाबू, जयराम, पन्ने, राजकुमार, बसंतलाल, मुन्ना व
बुजुर्ग भिम्मा सहित अन्य लोगो ने सूखा राहत, खाद बीज और कपडो के नाम पर इस
संस्था पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाये है। वहीं नरसिंहपुर के लोगो का
कहना है कि हमारे गांव में एक बोरी अनाज आया था जिसमें से 2 – 2 किलो लोगो
को दिया गया है। बताते चले कि जमशेद जी टाटा ट्रस्ट से विद्याधाम समिति को 9
लाख 84 हजार रू0 बागै नदी में डैम बनाने के लिये दिये गये थे। अकेले
क्षमता वर्धन के नाम पर 1 लाख रू0 खर्च किया गया है। बमुश्किल पांच लाख रू0
के काम पर नौ लाख चैरासी हजार रू. कहां खर्च किया गया यह तकनीकी जांच का
विषय है।
गया
कि संस्था को वाटर एड इंडिया से 2 करोड़ 99 लाख रू0 प्राप्त हुआ हं।
संपूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम के तहत संस्था ने गांव में कोई शौचालय नही
बनवाया है जब कि सूचना से इतर संस्था के कार्य क्षेत्र में लगे हुये बैनर
दर्शाते है कि वर्ष 2004 से 2007 के बीच 64 शौचालय बनाये गये है। प्रति
शौचालय 2250 रू0 अनुदान राशि की जगह
ग्रामीणो को 500 रू0 व दो बोरी सीमेंट व कुर्छ इंटे देकर मामला चलता कर
दिया गया । उदयपुर में वाटर एड के सहयोग से बनाये गये किचन गार्डन, वर्मी
कम्पोस्ट और संस्था द्वारा संचालित कर्मयोग विद्यापीठ विद्यालय संस्था के
किये गये कारनामों की पोल खोलता है। कर्मयोग विद्यापीठ 2007 तक चलाया गया
इसके पश्चात संस्था के संचालक अशोक श्रीवास्तव के करीबी व्यक्ति का उसमें
कथित कब्जा है। विद्यालय भवन के अंदर कटाई मशीन, ग्रहस्थी का सामान इस बात
का प्रमाण है। बडा सवाल यह है कि यदि संस्था ने इस गांव में शौचालय नही
बनवाये थे तो उसके कार्य क्षेत्र बैनर व गांव वालो के बयानों को क्या समझा
जाये। स्वयं सेवी संगठनों के बारे में बांदा जिले के समाजिक कार्यकर्ता
उमाशंकर पांडेय (सूचनाअधिकारी श्री रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय,
चित्रकूट) बेबाकी से कहते है कि इन संस्थाओं को राज और केन्द्र सरकार
द्वारा अनुदान राशि जारी करने से पहले इनकी तफ्तीश करना चाहिये आयकर और
एफसीआरए में पंजीकृत एनजीओ को जो पैसा दिया जा रहा है वह धरातल पर क्यों
नही खर्च किया जाता इसकी जांच होनी चाहिये। जांच एजेन्सी निश्पक्ष व राज्य व
केन्द्र सरकार के दायरे से बाहर हो सीबीाआई जैसी एजेन्सी नही जो केन्द्र
सरकार के इशारे पर काम करती है।
ों
का सायरन बालू की खदानों में जाने की हिमाकत नही करता है। बुंदेलखंड के बांदा
जिले की एक मात्र जीवन दायिनी नदी केन सितम्बर माह से लगातार अपनी अस्मिता को
बचाने की जद्दोजहद में है। लेकिन नक्कारखाने में ढोल बजाने वाले समाजवादी कही
नही दिखते ।
लगायी
थी मगर पर्यावरण को संजीदा मानकर पांच हेक्टेयर से नीचे और ऊपर की सभी बालू
खदानों पर पर्यावरण सहमति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य कर दिया गया है। यहां तक
की ईंट भट्टो के लिये मिट्टी
खुदाई व अन्य उप खनिजो के पट्टे आवंटित करने में
भी फौरी तौर पर रोक लगा दी गयी है। बंदेलखंड सहित उ0प्र0 के मिर्जापुर, सोनभद्र,
औरेया, इटावा के चम्बल नदी तटों पर माफियाओ की नजर गिद्ध की तरह बालू के अवैध
खनन में एकटक लगी है। बांदा से ही करीब आधा दर्जन बालू माफिया औरेया और जालौन
में लाल सोने को लूटने के लिये करोड़ो का दांव लगा रहे है। सूत्रो से मिली सूचना
के अनुसार पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी लेने के लिये बकायदा दलालो के मार्फत पंच
करोड रू0 तक वसूली की जा रही है। यानि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की सख्ती ने
नदियों को बचाने का काम तो नही किया मगर खनन माफियाओं के रास्ते सरकार को और
ब्यूरोक्रेसी में बैठे दोगले चरित्र के कर्मचारियों को सोने की मुर्गी तक जरूर
पहुचाया है।
विधायक
के इस बयान से विधान सभा सत्र में बैठे अन्य दलों के नेताओं ने मानसिक दिवालिया
घोषित कर दिया था। उनका कहना है कि विधायक निधि को ज्यादातर नेता कमीशन लेकर
बेंच देते है। सच भी यहीं है कि उ0प्र0 के अन्य जिलों की तरह बंदेलखंड में भी
विधायको ने 20 प्रतिशत कमीशन पर विधायक निधि को अपने चहेतो के हवाले कर दिया
है। फतेहपुर जिले के संगोलीपुर गढा (एसजीआई) ग्राम में गाटा सं0 191, 272, 378,
379, 380, व 293/2 में 26 फरवरी 2011 से 3 वर्षो के लिये विधायक दलजीत सिंह को
बालू खनन का पट्टा दिया गया है। विधायक बनने के पूर्व दलजीत सिंह पेशे से बालू
ठेकेदार रहे है इस बात को वे सहजता से स्वीकार करते है। सूचना अधिकार में खान
अधिकारी फतेहपुर ने दी सूचना में बताया है कि विधायक दलजीत सिंह के साथ संतोष
कुमार ग्राम एरई गाटा सं0 41/1, 39/2, 36, 35, 30, 29, 28, 27, 26, 25 ,24 ,23,
22, 21, 70, 69, 68, 67, 75, 75,73, में 4 अगस्त 2010 से 3 वर्षो के लिये खनन
पट्टा किया गया है। पर्यावरण मंत्रालय से सहमति प्रमाण पत्र में विधायक दलजीत
सिंह ही अकेले पट्टेधारक है जिन्होने पर्यावरण सहमति प्रमाण पत्र प्राप्त किया
है। जबकि फतेहपुर समेत बांदा और आसपास के जिलों में बगैर सहमति प्रमाण पत्र के
मशीनों से बालू खनन किया जा रहा है। इंडिया एलाइव के दिसम्बर अंक में प्रकाशित
लेख सिंडीकेट और राॅयल्टी का काला खेल में किये गये खुलासे इस बात को साबित करते
है कि बंदेलखंड में बालू और पत्थर खनिज संपदा के तार पोंटी चड्ढा से लेकर
सियासत दारो के रिश्तेदारों और उनके करीबी लोगो तक है। दिसंम्बर के अंक में लेख
के साथ नदी को बांधकर भूरागढ क्षेत्र हरदौली घाट में बनाये गये अवैध पुल को
स्थानीय सपा संगठन की दो फाड़ के चलते पुलिस अधीक्षक ज्ञानेश्वर तिवारी ने आनन
फानन में पुलिस बल के साथ ढहा दिया है। मगर सवाल फिर वही कि लेख प्रकाशित होने
के पहले तक जब इस बात से सारा जिला प्रशासन और सरकारी अमला वाकिफ था तो यह अवैध
पुल क्यों नही ढहाया गया ?
राजघाट
बांदा सदर की तरह ही गिरवां भी खनन की मार से त्रस्त है। शेरपुर स्योढ़ा मार्ग
में लगभग 6 किमी0 डामर सडक से होते हुये यूपी0 एमपी0 को जोडने वाले छतरपुर
मार्ग में उरधना, कन्हैला, रामपुर 1, रामपुर 2, निहालपुर, कोलावल रायपुर तक
सैकड़ो ट्रकों की ओवर लोडिंग बालू निकासी सूरज अस्त होने के साथ अवैध रूप से शुरू
हो जाती है। बात यहीं पर नही रूकती ट्रक का पहिया दबंगई से नरैनी क्षेत्र के
नसैनी, करतल, अजयगढ़ तक मप्र0 की गोद में जबलपुर से निकली केन की इज्जत के साथ
गैंगरेप करता है। इस जघन्य प्राकृतिक बलात्कार में सम्मिलित होते है आवाम से
चुने हुये सफेद पोश खादी के पहरेदार और खाकी के मंजे हुये यादव बिरादरी वाले
दरोगा जी।
