Thursday, June 09, 2016

बाँदा जिलाधिकारी योगेश कुमार को खोखले पहाड़ नहीं दिखते है !

' एक दिन अपना सारा तेज़ाब इन्ही पहाड़ों में रख जाऊंगा,एक दिन बिना किसी वजह के इसी दुनिया में मर जाऊंगा ! ' 

 इस पोस्ट में दी गई तस्वीर बुंदेलखंड के उस हाल को बतलाने के लिए काफी है जिसमें रोते -सिसकते और सूखे से झुझते बुंदेलखंड के आंसू है ! तस्वीर में  प्रथम जिला बाँदा के नरैनी मार्ग में पनगरा के आगे आबादी के मध्य में दिन- रात जारी मानकों के विपरीत पहाड़ खनन एवं दूसरी क़स्बा मटोंध में पुलिस थाने के ठीक सामने शैलेन्द्र सिंह का पहाड़ पट्टा है जिसमे दो सौ मीटर ऊँचे पहाड़ पर बस्ती के अन्दर,नेशनल हाइवे 76 की चौहद्दी में पताल तोड़ खुदाई की जा रही है ! क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,कार्यालय चित्रकूट मंडल के विजय मिश्रा की मौज है ! 
                                                      


कभी इन्ही खदानों में जाकर बाँदा जिलाधिकारी योगेश कुमार जी देखिये रूह काँप जाएगी गहराई और उजाड़ देखकर ! ताबड़तोड़ चलने वाले इस पेशे की हनक और गूंज बाँदा के इलेक्ट्रानिक मिडिया को भी नही दिखती क्या कभी इन्ही पहाड़ों पर ग्राउंड कलमकार देखे है ? फेसबुक में अपने छोटे - छोटे कार्य की तस्वीर पोस्ट करके वाहवाही लेने वाले जिलाधिकारी बाँदा को क्या यह सब नही दिखता है या जानकारी नही है ? वैसे सपा - बसपा की सत्ता में यह धरती का उजाड़ ही बुंदेलखंड की मूल वजह है जलसंकट के लिए ! ) मानक अनुसार आबादी से एक किलोमीटर दूर,नेशनल हाइवे से 500 मीटर दूर ब्लास्टिंग - खनन का प्रावधान है ) अगर मन दुखे तो नराज हो सकते है जिलाधिकारी जी मगर सच अन्दर चुभता है क्योकिं वह छलनी होने के बाद हूकता / बोलता है ! यह नही रोका जा तो हमें नैतिकता को खूंटे में टांग देना चाहिए ! तब जब महोबा के गुसियारी जैसे ब्लास्टिंग कांड और सूखे बुंदेलखंड में पानी आंसू के मोल मिलता है,किसान आत्महत्या के दरवाजे पे खड़ा रहता हो ! सरकारी योजनायें राजनीतिक चश्मे से देखकर वितरित की जाती हो !

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