केन - बेतवा नदी गठजोड़ के बांध स्थल में नही है पानी !
पन्ना टाइगर्स के अन्दर भयानक जलसंकट ग्रेटर गंगऊ बांध में पानी कहाँ से आएगा जब केन में पानी नही !
पन्ना / बाँदा - कांग्रेस और भाजपा केंद्र सरकार के साए में पिछले ग्यारह साल से लटका है ' केन -बेतवा नदी गठजोड़ ' ! उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के जिस इलाके को पानी से तरबतर कर देने का दंभ भर रहा है यह गठजोड़ जरा देखे केन नदी की तलहटी में बसे बांध के केंद्र बिंदु ( ग्रेटर गंगऊ डैम,ग्राम दौधन,तहसील बिजावर ) जहाँ बाँध स्थल प्रस्तावित है उस गाँव में ही आज पेयजल का संकट है.इस पन्ना टाइगर्स डूब क्षेत्र के अन्दर आने वाले 6 गाँव के बीच दो कुयें है जिनमे पानी है ! यहाँ आदिवासी रहवासी करीब 5 हजार से ऊपर कोंदर और गौड़ बसते है.इस जंगल में ही एक गाँव है पाठापुरा जहाँ तीन किलोमीटर दुर्गम घाटी से सुबह चार बजे नीचे आकर आदिवासी लड़कियां वापसी दोपहर बारह बजे तक पानी भरती है ! वे स्कूल इसलिए नही जा पाती क्योकि उन्हें घर का पानी भरना होता है ! आप विस्वास न करेंगे जिस घाटी में हम कैमरा लेकर न चढ़ पाए और गिरने का भय हो वहां ये लड़कियां कठपुतली की तरह तेज रफ़्तार से ये काम बखूबी कर लेती है लेकिन इनका हुनर इनकी बेबसी की देन है जो उनको मज़बूरी ने सिखलाया है ! बिजावर के साथी अमित की माने तो ये बेटियां अपना दिन और रात पानी की दहशत में काट रही है ! इन्हे ये डर लगता है कि डेरा में कोई बेटी न जन्मे !!! बुंदेलखंड के लगातार पड़ रहे सूखे ने केन नदी का पानी बरियार पुर डैम और रनगवां के साथ गंगऊ में भी ख़तम कर दिया है ! ग्राम दौधन का गंगऊ डैम साल 2015 में सूखा है और उससे जुड़ने वाले अन्य बांधो में भी पानी नही है ! आने वाले गर्मी के माह में क्या होने वाला है इसका अंदाजा अभी हो जाये तो बेहतर है ! पानी की जंग के लिए तैयार हो रहे है बुंदेले !
केंद्रीय जल मंत्री उमा भारती जिस केन (निचले हिस्से की नदी ) का पानी बेतवा में डालने की कवायद में जलसंसाधन मंत्रालय के 11 हजार करोड़ रूपये खर्च करेंगी उसका समाधान पहले वे बांध स्थल में ही कर लेवे जो सर्वाधिक जल संकट की चपेट में है ! 33 हजार पेड़ो की कुर्बानी के बाद ये पानी कहाँ से आएगा सूखी केन में ? माह नवम्बर के महीने में पन्ना टाइगर्स के अन्दर पानी नही है खाशकर केन के आस पास - रहने वाले वन्य जीवो और लोगो,मवेशी के लिए तो हरगिज भी नही ! ...ये बांध क्या खाक पानी देगा झाँसी और हमीरपुर को जो बाँदा और पन्ना टाइगर्स को पानी न दे पा रहा हो ! नीति आयोग के आला अफसरान जरा सद्बुद्धि आये तो इस बुंदेलखंड के भौगोलिक परिवेश और पर्यावरणीय स्थति पर मंथन करो ! एक जलसंकट वाले क्षेत्र में यह बांध कही आपको निःशब्द न कर देवे भविष्य में !
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