Sunday, April 19, 2015

सामाजिक कार्यकर्ता को मिला ‘’ विष्णु दत्त मिश्रा मैमोरियल आरटीआई रत्न अवार्ड 2015’’


·         मीडिया आमंत्रण एवं प्रचार प्रसार हेतु सूचना आयोगों का
मूल्यांकन कर रिपोर्ट कार्ड बनाने को एकजुट हुए कार्यकर्ता  

बाँदा – गत 18 अप्रैल को राजधानी में येश्वर्याज सेवा संस्थान ने 2015 ( शनिवार) को राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह परिसर स्थित जयशंकर प्रसाद सभागार
,कैसरबाग में ‘ विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न (2015) सम्मान








समारोह एवं "आरटीआई एक्ट के संरक्षक के दायित्वों के निर्वहन में सूचना
आयोगों की प्रभावकारिता" विषयक   राष्ट्रीय विचार-गोष्ठी  का आयोजन किया. आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला की संयोजिका उर्वशी ने बताया कि  जनकल्याणकारी  कार्यों के लिए आरटीआई का प्रयोग कर देश को सार्थक परिणाम देने बाले दिल्ली के समाजसेवी सुभाष चन्द्र अग्रवाल और उत्तर प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ता कोमोडोर लोकेश बत्रा को इस वर्ष काविष्णु दत्त मिश्रा स्मारक लाइफटाइम अचीव्मेंट आरटीआई  सम्मान 2015’ देकर सम्मानित किया गया.कार्यशाला हाथरस के गौरव अग्रवाल, बाँदा(बुंदेलखंड )के सामाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर दीक्षित को  ‘’ विष्णु दत्त मिश्रा मैमोरियल आरटीआई रत्न अवार्ड 2015’’ से सम्मानित किया गया है. इस कार्यशाला के आंतरिक पहलू का पटाक्षेप करते हुए उर्वशी ने कहा कि सूचना आयोगों के कार्यों के मूल्यांकन के उद्देश्य से विचार गोष्ठी आयोजित करने के सबाल पर उर्वशी ने बताया कि देशवासियों के 15 वर्षों के कठिन प्रयासों से मिला यह आरटीआई एक्ट लागू होने के दसवें वर्ष में ही अपनी धार खोता नज़र आ रहा है. कार्यक्रम में सामाजिक संगठन तहरीर के संस्थापक इंजीनियर संजय शर्मा सेमिनार का संचालन कर रहे थे.जेएनयू नई दिल्ली के रिसर्च फैलो सुसांता कुमार मलिक, और विश्वविख्यात पहल 'आरटीआई अनॉनीमस' के संस्थापक सदस्य अवनीश सिंह बतौर मुख्य वक्ता तथा गौरव अग्रवाल,सलीम बेग,राम स्वरूप यादव सहित देश के कई नामी गिरामी आरटीआई कार्यकर्ता उपस्थित रहें । कार्यशाला के मुख्य अतिथि कर्णाटक के पूर्व लोकायुक्त जस्टिस कमलेश्वर नाथ (पूर्व जज लखनऊ उच्च न्यायालय),विशिस्ट अतिथि पूर्व आईजी /दलित एक्टिविस्ट एसआर. दारापुरी, मुख्य वक्ता दिल्ली के आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश बत्रा,अप्रावासी भारतीय डाक्टर नीरज कुमार (अमेरिका),राजधानी के स्थानीय समाजसेवियों, गैर सरकारी संघटन के पैरोकार और मीडिया के एक्टिविस्ट इस कार्यक्रम में मुख्यता शामिल रहे. अपने संबोधन में  लोकेश बत्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयोगों में रिटायर्ड आईएएस, मंत्री और नेताओ के रिश्तेदार बैठाले जा रहे है. आयुक्त और आयोग में बिना अनुभव के ये लोग सूचनाधिकार की हत्या कर रहे है. उन्होंने बानगी के लिए राज्य सूचना आयोग में आयुक्त और मुलायम सिंह यादव के समधी अरबिंद सिंह बिष्ट पर सवाल खड़े किये है. लखनऊ के अशोक गोयल केस में उनकी मिलीभगत के साक्ष्य मीडिया को मिल चुके है. एक्ट को पढ़े बिना बेबुनयादी आदेश दिए जाने लगे है. यहाँ तक कि तीन – तीन साल के केस आज भी देश के सूचना आयोगों में लंबित है ये दुखद पहलु है इस कानून का. अप्रवासी भारतीय डाक्टर नीज कुमार ने कहा कि अमेरिका में गैर सरकारी संस्थाओ को भी इस कानून के दायरे में लाया जा चुका है जबकि हमारे यहाँ सरकारी अनुदान लेने वाले ही आरटीआई के दायरे में है. एक सुनयोजित साजिश के तहत उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त को इस अधिकार के दायरे से मुक्त कर दिया वर्तमान समाजवादी सरकार ने.छोटे जनपदों में आज भी तीस दिन बाद जानकारी नही दी जा रही है. जिलाधिकारी को चाहिए की स्थानीय विभागों के लोक जनसूचना अधिकारी को इस सन्दर्भ में अधिक जागरूक करे ताकि राज्य सूचना आयोगों में अर्जियो को लंबित करने का खेल रोका जा सके.कार्यशाला में आरटीआई एक्टिविस्ट के ऊपर किये जा रहे जान लेवा हमलो,फर्जी मुकदमो के रोकने के लिए विस्तार अभियान की प्रासंगिकता पर जोर दिया गया.

2 Comments:

At April 19, 2015 at 11:48 AM , Blogger Zeeshan Akhtar said...

आरटीआई यात्रा को अनवरत आगे बढ़ाने के लिए बधाई. आप इस सम्मान के पात्र हैं.

 
At May 22, 2017 at 2:30 AM , Blogger Manisha Bapna said...

मनीषा बापना जी एक असाधारण सामाजिक कार्यकर्ता है जो आम जनता के लिए एक वैध चिंता के आधार पर निर्भरता से काम कर रही है और उन्हें प्रत्येक कल्पनीय प्रस्ताव सहायता प्रदान करती है। अधिक डेटा के लिए आप हमारी साइट पर देख सकते है सामाजिक कार्यकर्ता

 

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