Saturday, February 02, 2013

बाँदा : विधायक हू मगर फिर भी गुंडा टैक्स देता हू...

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लाल सोने के लाल आतंक से बंदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन और फतेहपुर कराह रहे है। केन हो बेतवा, यमुना हो या मंदाकिनी नदियों का सीना चीरती पोकलैण्ड और लिफ्टर मशीने 40 मी0 गहरे नदियों के बजूद (बालू) को बाहर उलीच रही है। क्या माफिया क्या विधायक लाल सोने की लूट में गले तक सभी तर बतर है। मानको की धज्जियां उड़ाते ठेकेदार और उनके इशारों पर नाचती जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार की लाल नीली पीली बत्तियों का सायरन बालू की खदानों में जाने की हिमाकत नही करता है। बुंदेलखंड के बांदा जिले की एक मात्र जीवन दायिनी नदी केन सितम्बर माह से लगातार अपनी अस्मिता को बचाने की जद्दोजहद में है। लेकिन नक्कारखाने में ढोल बजाने वाले समाजवादी कही नही दिखते ।
भ्रष्टाचार की कालिख में रंगी जिला प्रशासन की फाइले खनिज अधिकारी को मजबूर करती है एमपी0 यू0पी0 की सरहदों से अवैध खनन कराने के लिये। खनिज अधिकारी का दर्द दिल मसोसकर सरकार और सत्ता के समकक्ष एक और सरकार चलाने वाले माफियाओं को गुंडा टैक्स अदा करता है। पर्यावरण को धता बता कर तमाम कानूनी दांवपेंच महज कागजो में ही नजर आते है। कारण साफ है कि जब कानून सरकार की जेब में पडे़ पान की तरह सूख जाता है तो फिर कोई उसे जिंदा करने की कूवत नही रखता।
तिंदवारी विधान सभा क्षेत्र के विधायक दलजीत सिंह की ये बात कि विधायक हूं मगर फिर भी गुंडा टैक्स देता हूं मजबूर करती है वो सब कुछ कह देने के लिये कि-आह मेरी इज्जत को तार तार करने वालों, मेरी अस्मत भी तुम्हारी आबरू से कमतर नही है!
सरकार चाहे बसपा की हो या समाजवादी पार्टी की बालू का अवैध खनन बांदा शहर अन्य जिलों में दहाड़ मार रहा है। सुप्रीम कोर्ट के 27 फरवरी 2012 और हाईकोर्ट इलाहाबाद के याचिका सं0 6798/2011 के आदेशो के मुताबिक ऐसी सभी बालू /मोरम की खदानों को बंद कर दिया जाये जिनके पास पर्यावरण सहमति प्रमाण पत्र नही है। सुप्रीम कोर्ट ने यह रोक पहले पांच हेक्टेयर से ऊपर की क्षेत्रफल वाली खदानों पर लगायी थी मगर पर्यावरण को संजीदा मानकर पांच हेक्टेयर से नीचे और ऊपर की सभी बालू खदानों पर पर्यावरण सहमति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य कर दिया गया है। यहां तक की ईंट भट्टो के लिये मिट्टी खुदाई व अन्य उप खनिजो के पट्टे आवंटित करने में भी फौरी तौर पर रोक लगा दी गयी है। बंदेलखंड सहित उ0प्र0 के मिर्जापुर, सोनभद्र, औरेया, इटावा के चम्बल नदी तटों पर माफियाओ की नजर गिद्ध की तरह बालू के अवैध खनन में एकटक लगी है। बांदा से ही करीब आधा दर्जन बालू माफिया औरेया और जालौन में लाल सोने को लूटने के लिये करोड़ो का दांव लगा रहे है। सूत्रो से मिली सूचना के अनुसार पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी लेने के लिये बकायदा दलालो के मार्फत पंच करोड रू0 तक वसूली की जा रही है। यानि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की सख्ती ने नदियों को बचाने का काम तो नही किया मगर खनन माफियाओं के रास्ते सरकार को और ब्यूरोक्रेसी में बैठे दोगले चरित्र के कर्मचारियों को सोने की मुर्गी तक जरूर पहुचाया है।
तिंदवारी विधान सभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक दलजीत सिंह यू तो युवा और लोकप्रिय विधायक के रूप में जाने जाते है। युवाओं के बीच इस जनप्रतिनिधि की पहचान दिलजीत जैसी है। विधान सभा 2012 में भारी बहुमत से सपा के गद्दावर नेता और राष्ट्रीय महासचिव व लोकसभा चुनाव 2014 के हमीरपुर प्रत्याशी विशम्भर प्रसाद निषाद को पटखनी दलजीत ने ही दी थी। युवाओं के बीच इस जनप्रतिनिधि की पहचान दिलजीत की है। दलजीत सिंह बेबाक लहजे में इस बात स्वीकार करते है कि उन्हे विधायक होने के बाद भी गुंडा टैक्स अदा करना पड़ता है। दलजीत की माने तो मै जाति का ठाकुर हूं, पेशे से बालू ठेकेदार हूं और विधायक भी हूं ये तीनो विशेष बाते किसी भी आदमी को दबंग साबित करने के लिये काफी है। लेकिन चुनाव जीतने के बाद से आज दिवस तक अपनी विधायक निधि को अन्य विधायको की अपेक्षा पाक साफ तरीके से खर्च करने में विधायक दलजीत सिंह को ऊपर रखा जा सकता है। विधान सभा सत्र के दौरान इस विधायक ने ही खुलकर विधायक निधि को बंद करने की वकालत की थी।
विधायक के इस बयान से विधान सभा सत्र में बैठे अन्य दलों के नेताओं ने मानसिक दिवालिया घोषित कर दिया था। उनका कहना है कि विधायक निधि को ज्यादातर नेता कमीशन लेकर बेंच देते है। सच भी यहीं है कि उ0प्र0 के अन्य जिलों की तरह बंदेलखंड में भी विधायको ने 20 प्रतिशत कमीशन पर विधायक निधि को अपने चहेतो के हवाले कर दिया है। फतेहपुर जिले के संगोलीपुर गढा (एसजीआई) ग्राम में गाटा सं0 191, 272, 378, 379, 380, व 293/2 में 26 फरवरी 2011 से 3 वर्षो के लिये विधायक दलजीत सिंह को बालू खनन का पट्टा दिया गया है। विधायक बनने के पूर्व दलजीत सिंह पेशे से बालू ठेकेदार रहे है इस बात को वे सहजता से स्वीकार करते है। सूचना अधिकार में खान अधिकारी फतेहपुर ने दी सूचना में बताया है कि विधायक दलजीत सिंह के साथ संतोष कुमार ग्राम एरई गाटा सं0 41/1, 39/2, 36, 35, 30, 29, 28, 27, 26, 25 ,24 ,23, 22, 21, 70, 69, 68, 67, 75, 75,73, में 4 अगस्त 2010 से 3 वर्षो के लिये खनन पट्टा किया गया है। पर्यावरण मंत्रालय से सहमति प्रमाण पत्र में विधायक दलजीत सिंह ही अकेले पट्टेधारक है जिन्होने पर्यावरण सहमति प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। जबकि फतेहपुर समेत बांदा और आसपास के जिलों में बगैर सहमति प्रमाण पत्र के मशीनों से बालू खनन किया जा रहा है। इंडिया एलाइव के दिसम्बर अंक में प्रकाशित लेख सिंडीकेट और राॅयल्टी का काला खेल में किये गये खुलासे इस बात को साबित करते है कि बंदेलखंड में बालू और पत्थर खनिज संपदा के तार पोंटी चड्ढा से लेकर सियासत दारो के रिश्तेदारों और उनके करीबी लोगो तक है। दिसंम्बर के अंक में लेख के साथ नदी को बांधकर भूरागढ क्षेत्र हरदौली घाट में बनाये गये अवैध पुल को स्थानीय सपा संगठन की दो फाड़ के चलते पुलिस अधीक्षक ज्ञानेश्वर तिवारी ने आनन फानन में पुलिस बल के साथ ढहा दिया है। मगर सवाल फिर वही कि लेख प्रकाशित होने के पहले तक जब इस बात से सारा जिला प्रशासन और सरकारी अमला वाकिफ था तो यह अवैध पुल क्यों नही ढहाया गया ?
अभी भी राजघाट में केन नदी को 20 मी0 से अधिक जलधारा बाधित कर बनाये गये पुल के दम से अवैध खनन किया जा रहा है। 23 दिसम्बर 2012 को राजघाट की म्यांद खनन पट्टे के लिये पूरी हो चुकी है बावजूद इसके बैखौफ पनपते खनन माफिया के सामने कानून और सरकार दोनो घुटने टेंकते नजर आते है। राजघाट में किया जा रहा बालू का खनन बांदा के बाहुबली और चर्चित खनन माफिया सीरजध्वज सिंह के रहमोकरम पर किया जा रहा है। इस खदान से पोकलैण्ड मशीनों द्वारा प्रतिदिन 500 ट्रको से अधिक बालू की निकासी नदी का सीना चीरकर, नदी को बांध कर की जा रही है। पुलिस अधीक्षक ज्ञानेश्वर तिवारी के कानों में जूं तक नही रेंगती कि इन माफियाओं को खाकी के रूतबे और कानून के डंडे का पाठ पढा सके। तो क्या हुआ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट पर्यावरण को लेकर सख्त है, नदियों को बचाने के लिये मशक्कत कर रही है। इन माफियाओं को इस बात से फर्क नही पड़ता कयों कि पैसे की हवस उनकी नस्लों को नही गरीब और मजलूम की रोटी को लूटती है। विधायक दलजीत सिंह की यह बात कि मै भी गुंडा टैक्स अदा करता हूं बंदेलखंड में बालू और पत्थर के व्यापार को परिभाषित करने के लिये काफी है कि इस तरह अविरल बहती केन समेत अन्य नदियों की भ्रूण हत्या जिंदगी की शर्त पर सत्ताधारी कर और करवा रहे है।
यहां दिसम्बर के अंक में पृष्ठ सं0 28 पर रामवृक्ष सिंह यादव सदस्य, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उ0प्र0 के उस कथन का जिक्र करना लाजिमी है जिसमें उन्होने कहा है कि ‘‘हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी पर्यावरण व जल संरक्षण पर सर्वाधिक गंभीर रहते है। यमुना नदी के बढंते प्रदूषण व उसके मृत प्राय होने पर वह बहुत चिंतित है, यमुना व चम्बल दोनो नदियों को स्वच्छ व उपयोगी बनाये जाने का प्रयास हमारी सरकार द्वारा किया जा रहा है।’’ पर क्या रामवृक्ष सिंह यादव के कहे ये शब्द खबर का हिस्सा मात्र है या फिर धरातल की सच्चाई ? बुंदेलखंड में खुले आम माफियाओं के सहारे उजाड़ी जा रही नदियों की सल्तनत सरकार और निजामों को पर्यावरण के प्रति चिंतित होने की नकाफी हकीकत से रूबरू कराती है। खनन रूकता नही, नदियां मर रही है, माफिया और ठेकेदार विधायक, सांसद बन गये, एस0पी0 ज्ञानेश्वर तिवारी जैसे लोग और जिलाधिकारी जी0एस0 नवीन कुमार भ्रष्टाचार की नूराकुस्ती में लाल सोने को लुटवाने के तमाशायी बन कर रह गये है।

जनपद फतेहपुर से वर्ष 2004 से 2012 तक प्राप्त खनन रायल्टी-

S.NO Year Income (Source RTI)
1 2004-05 2,09,82,482.00
2 2005-06 2,69,31,933.00
3 2006-07 2,78,38,870.00
4 2007-08 3,41,95,960.00
  2008-09 3,41,95,960.00
6 2009-10 4,25,51,839.00
7 2010-11 2,91,32,188.00
8 2011-12 2,42,92,847.00
राजघाट बांदा सदर की तरह ही गिरवां भी खनन की मार से त्रस्त है। शेरपुर स्योढ़ा मार्ग में लगभग 6 किमी0 डामर सडक से होते हुये यूपी0 एमपी0 को जोडने वाले छतरपुर मार्ग में उरधना, कन्हैला, रामपुर 1, रामपुर 2, निहालपुर, कोलावल रायपुर तक सैकड़ो ट्रकों की ओवर लोडिंग बालू निकासी सूरज अस्त होने के साथ अवैध रूप से शुरू हो जाती है। बात यहीं पर नही रूकती ट्रक का पहिया दबंगई से नरैनी क्षेत्र के नसैनी, करतल, अजयगढ़ तक मप्र0 की गोद में जबलपुर से निकली केन की इज्जत के साथ गैंगरेप करता है। इस जघन्य प्राकृतिक बलात्कार में सम्मिलित होते है आवाम से चुने हुये सफेद पोश खादी के पहरेदार और खाकी के मंजे हुये यादव बिरादरी वाले दरोगा जी।
निजी सूत्रों से मिली जानकारी ने तो यह भी बताया कि बांदा सदर में जिलाधिकारी द्वारा हार्पर क्लब में खुलवाया गया हाईटेक जिम व निशाने बाजी में लगायी गयी देशी और विदेशी मशीने सिंडीकेट के रूपयो से ही क्रय की गयी है। इसकी पड़ताल में भले ही खबर नफीसों को एक और आरटीआई का उपयोग करना पडें। लेखनी, कलम की स्याही बुन्देंलखण्ड में हो रहे अवैध खनन को रोक तो नही सकती पर नदियों के लुटेरों के आइना दिखाने के लिए मजनून और माकूल केशिश है।
By : - आशीष सागर
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