फेसबुक पर वायरल दिव्या को सीएम का सहारा
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सोशल मीडिया का रचनात्मक प्रयोग !
बुंदेलखंड (उरई /जालौन)- सोशल मीडिया पर बिटिया दिव्या की मार्मिक तस्वीर क्या वायरल हुई सीएम अखिलेश यादव ने एक बार फिर संजीदगी को उकेरा है.उरई के रेलवे स्टेशन में जल रहे बिजली के रोड लाइट की रोशनी के सहारे पढ़ाई करने वाली दिव्या पर बीते दिवस 21 सितम्बर को बेटियों के लिए देश भर में साइकिल यात्रा कर रहे जेंडर फार इक्वलिटी के राकेश कुमार सिंह ने यह तस्वीर फेसबुक पर पोस्ट की.वे सोशल मीडिया पर लिखते है कि Rakesh Kumar Singh
रेलवे प्लेटफॉर्म से सटा है शहरप्रसिद्ध रसगुल्ले की दुकान. कुमारेन्द्र भाई और सुभाष भाई का प्रेम उस दुकान तक पहुँचा गया. काले रसगुल्ले अच्छे थे. कटनी के गुलाब जामुन याद आ गए. प्लेटफॉर्म की ओर जाते हुए इन्क्वायरी खिड़की के सामने रोशनी में दिव्या स्कूल का काम करती मिली. दूसरी कक्षा की इस विद्यार्थी का परिवार पड़ोस के किसी मंदिर के अगल-बगल रहता है. दिव्या अकसर शाम को आती है स्टेशन पर, बिजली की रोशनी में पढाई-लिखाई करने. साथ छोटी बहन भी आती है. बगल में खेलती रहती है. उरई की इस बिटिया की लगन को सलाम है. इतना लिखकर कर डाली गई पोस्ट वायरल हो गई.आभासी दुनिया के लोगो ने इसको हाथों हाथ लिया और बिटिया दिव्या की ललक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पहुँच गई. उन्होंने उरई / जालौन जिलाधिकारी संदीप कौर को आदेशित किया कि इस बेटी को तलाशकर उसके पढने और माँ के रहने का माकूल इंतजामात करे.तत्काल प्रभाव से जिलाधिकारी ने रेलवे परिसर में कर्मचारी भेजकर माँ मोनिका और बेटी दिव्या को खोज लिया.उन्हें दस हजार रूपये आर्थिक मदद और डूडा योजना से एक आवास दिलाया गया है.साथ ही समाजवादी पेंशन योजना और राशन कार्ड भी प्रदान किया जा रहा है ऐसा दावा संदीप कौर ने किया है.
बतलाते चले कि 6 माह पहले उरई के कालपी -कदौरा विकासखंड के बस्रेही गाँव निवासी मोनिका को उसके पति कल्लू महाराज ने बेटी सहित पत्नी को घर से निकाल दिया था.पत्नी तब पेट से थी उसने एक और बेटी को जन्म दिया था.इधर बिटिया दिव्या के साथ मोनिका चलती ट्रेन में पेट बसर करने को चलती ट्रेन में बेटी के साथ भीख मांगती थी.जब दिव्या खाली होती तो रेलवे परिसर में बैठकर पढ़ाई करती और माँ गोद में खेलती बच्ची की देखभाल करती.इस बीच मोनिका ने किसी से अपने पति की जहालत -जुल्म की शिकायत नहीं की. बकौल मोनिका मेरे पति ने बरसते पानी में मुझे घर से निकाल दिया था लेकिन मेरा पति मेरा देवता है ! यह शब्द उसको रिश्तों के बंधन में बांधे रहे.आज भी उसे पति से कोई शिकायत नहीं है.मगर यह सबक उस समाज के लिए काफी है कि जिसका कोई नहीं होता उसका खुदा होता है यारों. राकेश कुमार सिंह का यह प्रयास कामयाब हुआ.कुछ ऐसा ही बीते अक्टूबर 2015 में अखिलेश यादव ने बाँदा के दिव्यांग किसान बबेरू के पतवन के एमपी का पुरवा निवासी देवराज यादव के साथ किया था वो एक पैर से हल चलाकर पेट पालता है.http://www.bundelkhand.in/portal/news/social-media-ne-badli-kisan-ki-jindagi उसकी तस्वीर तीन अक्टूबर को प्रवासनामा संवाददाता ने वायरल की थी.सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग करने की ये नजीरे काबिले तारीफ है.










