सांसदों के वेतन - भत्तो में दोगुनी बढ़ोत्तरी को मोदी की हरी झंडी
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' लोकतंत्र का रूप है कैसा, कहाँ गया चौरासी पैसा '
#आजादीमुबारक
Pvasnama Desk -
तीन सैकड़ा से कुछ अधिक संसदीय डकैत जिन्हें आपने / मैंने चुना है ! उन्होंने हर पंचवर्षीय सरकार के दो साल के अन्दर इस दफा भी अपने वेतन / भत्तो / सुविधाओं में दोगुनी बढ़ोत्तरी करने का लोकतान्त्रिक खाका चुने प्रधानमंत्री मोदी जी अगुआई में खींच लिया है ! बतलाते चले कि ये कार्य छद्म सन्यासी महंत आदित्यनाथ ( सन्यासी को लक्ष्मी से मोह नही होता है ! ) की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की रिपोर्ट पर पास हो रहा है ! बीते माह नरेश अग्रवाल (सपा सांसद ) ने ' माननीयों ' के वेतन - भत्ते बढ़ाने की वकालत की थी !
1954 में सांसदों का वेतन 400 रूपये थे जो 2016 में 50000 है ! अर्थात 49,600 बढ़ा है ! जो अब इससे दोगुना होने जा रहा है ! गौरतलब है ये हमारे माध्यम से चुने हुए न कि चयन किये गए संसदीय डकैत इतने पर भी संतुष्ट नही है ! ध्यान रहे ऐसे निज हित के मुद्दों पर समस्त सियासी बगुले एकमत होते है बस आप लड़ते रहिये धर्म,भगवा,वाद,मजहब के बदबूदार नाबदान में ! जहाँ सरकारी कर्मचारियों के वेतन दस साल में दो हजार रूपये ही बढे होंगे वही इनकी माली हालत आज काली - पीली दौलत से उबाल पर है मगर हम थोड़े ही पूछेंगे !
राज्य / केंद्र कर्मचारी के वेतन सातवें वेतन आयोग में नाप लीजियेगा जो चयन के बाद आते है, जो असल में सरकार चलाते है,आये दिन भ्रस्टाचार के टूटते रिकार्ड के बाद भी ये नेता कब जेल जाते है ? जनता से कहाँ बोलते है ' लोकतंत्र का रूप है कैसा , कहाँ गया चौरासी पैसा ' ? सांसद और कर्मचारी को बढ़ा वेतन - भत्ता लेकिन उस किसान को क्या जो इनको / देश को पैदा करके खिलाता है ? निश्चित ही कर्ज और आत्महत्या !!
' लोकतंत्र का रूप है कैसा, कहाँ गया चौरासी पैसा '
#आजादीमुबारक
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तीन सैकड़ा से कुछ अधिक संसदीय डकैत जिन्हें आपने / मैंने चुना है ! उन्होंने हर पंचवर्षीय सरकार के दो साल के अन्दर इस दफा भी अपने वेतन / भत्तो / सुविधाओं में दोगुनी बढ़ोत्तरी करने का लोकतान्त्रिक खाका चुने प्रधानमंत्री मोदी जी अगुआई में खींच लिया है ! बतलाते चले कि ये कार्य छद्म सन्यासी महंत आदित्यनाथ ( सन्यासी को लक्ष्मी से मोह नही होता है ! ) की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की रिपोर्ट पर पास हो रहा है ! बीते माह नरेश अग्रवाल (सपा सांसद ) ने ' माननीयों ' के वेतन - भत्ते बढ़ाने की वकालत की थी !
1954 में सांसदों का वेतन 400 रूपये थे जो 2016 में 50000 है ! अर्थात 49,600 बढ़ा है ! जो अब इससे दोगुना होने जा रहा है ! गौरतलब है ये हमारे माध्यम से चुने हुए न कि चयन किये गए संसदीय डकैत इतने पर भी संतुष्ट नही है ! ध्यान रहे ऐसे निज हित के मुद्दों पर समस्त सियासी बगुले एकमत होते है बस आप लड़ते रहिये धर्म,भगवा,वाद,मजहब के बदबूदार नाबदान में ! जहाँ सरकारी कर्मचारियों के वेतन दस साल में दो हजार रूपये ही बढे होंगे वही इनकी माली हालत आज काली - पीली दौलत से उबाल पर है मगर हम थोड़े ही पूछेंगे !
राज्य / केंद्र कर्मचारी के वेतन सातवें वेतन आयोग में नाप लीजियेगा जो चयन के बाद आते है, जो असल में सरकार चलाते है,आये दिन भ्रस्टाचार के टूटते रिकार्ड के बाद भी ये नेता कब जेल जाते है ? जनता से कहाँ बोलते है ' लोकतंत्र का रूप है कैसा , कहाँ गया चौरासी पैसा ' ? सांसद और कर्मचारी को बढ़ा वेतन - भत्ता लेकिन उस किसान को क्या जो इनको / देश को पैदा करके खिलाता है ? निश्चित ही कर्ज और आत्महत्या !!
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