अपना तालाब का गड्ढो के लिए कार्पोरेटी रजनीगंधा से अनुबंध !
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उत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड में दो हजार खेत तालाब बना रही है ! उन्हें ये नही जानकारी है कि तालाब थाल और तसले की तरह होते है सोख्ता टैंक या कुंडनुमा गहरे गड्ढे नही ! जिसमे बारिश का पानी स्टोर करने की कवायद को तालाब चालीसा नाम दिया जा रहा है ! #अपनातालाब #खेततालाब
4 जुलाई - बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का दो हजार खेत तालाब योजना का फरमान कुछ लोगो के लिए कमाई का साधन बन गया है ! जहाँ एक तरफ प्रसाशनिक अमला खेत तालाब का लक्ष्य पूरा नही कर पाया अपने मानसूनी सत्र जुलाई में मुख्य सचिव के फरमान बाद ! ये अवसर भुनाने में अब खेत तालाब / अपना तालाब की टीम लग गई है ! मुख्य सचिव अलोक रंजन / वर्तमान कैबनेट मंत्री को गत माह सर्दी में बाँदा के ग्राम पडुई सुहाना में अपने एक दिवसीय रात्रि प्रवास के दौरान खेत तालाब / अपना तालाब अभियान के तहत दो हजार तालाब निर्माण करवाने की सलाह दी गई थी ! इस तालाब का माडल बाँदा कृषि विश्व विद्यालय के कृषि वैज्ञानिक पहले ही ठुकरा चुके है ! इसमे पानी आने का रस्ता ही नही है ! मानसून के पानी से गर ये भर भी गए तो आये दिन अन्ना जानवर इसमे गिरकर मरेंगे वो ब्याज में ! इस बारिश के बाद इनका सच सबके सामने आएगा जब ये सुखाड़ का स्थाई समाधान नही गाद और गड्ढो की लम्बी खेप मात्र होगी ! इसकी गहराई कुंड / सोख्ता टैंक जैसी है ! खेत तालाब में न पानी आवक का रास्ता छोड़ा गया और न कैचमेंट देखा गया एरिया का ! उधर दिल्ली की कम्पनी रजनीगंधा समर्थित सीएसआर प्रोजेक्ट से इसका हल्ला मचाने वाले अपने टार्गेट के मुताबिक महोबा आकर खन्ना क्षेत्र में पोकलैंड / जेसीबी मशीनों से किसान के खेत में चार मुंह चिढाने वाले कुंडनुमा गहरे गड्ढे / तालाब खोद कर बना चुके है ! इनके झोलों में दो हजार तालाब पड़े रहते है !
बुंदेलखंड में दिल्ली की कम्पनी अब तालाब खोदेगी ! सूखे से बेकार मानव श्रम को दरकिनार करके एनजीओ वाले यहाँ कार्पोरेट की मशीन और फंड से अपना तालाब / खेत तालाब के सोख्ता गड्ढे निर्माण कर रहे है ! रजनीगंधा गुटखा बनाने वाली कम्पनी के सीएसआर प्रोजेक्ट से ये कुंडनुमा तालाब एक पानी वाला पोर्टल बनवा रहा है ! किसानों का पंजीयन और उनके तालाबो का प्रमाणीकरण भी ये कम्पनी / पानी पोर्टल करेंगे ! बुंदेलखंड का सूखा भी कुछ कथित समाजसेवक के लिए लूट तंत्र बन गया है...
#खेततालाबयोजना #अपनातालाबअभियानमहोबाउत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड में दो हजार खेत तालाब बना रही है ! उन्हें ये नही जानकारी है कि तालाब थाल और तसले की तरह होते है सोख्ता टैंक या कुंडनुमा गहरे गड्ढे नही ! जिसमे बारिश का पानी स्टोर करने की कवायद को तालाब चालीसा नाम दिया जा रहा है ! #अपनातालाब #खेततालाब
4 जुलाई - बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का दो हजार खेत तालाब योजना का फरमान कुछ लोगो के लिए कमाई का साधन बन गया है ! जहाँ एक तरफ प्रसाशनिक अमला खेत तालाब का लक्ष्य पूरा नही कर पाया अपने मानसूनी सत्र जुलाई में मुख्य सचिव के फरमान बाद ! ये अवसर भुनाने में अब खेत तालाब / अपना तालाब की टीम लग गई है ! मुख्य सचिव अलोक रंजन / वर्तमान कैबनेट मंत्री को गत माह सर्दी में बाँदा के ग्राम पडुई सुहाना में अपने एक दिवसीय रात्रि प्रवास के दौरान खेत तालाब / अपना तालाब अभियान के तहत दो हजार तालाब निर्माण करवाने की सलाह दी गई थी ! इस तालाब का माडल बाँदा कृषि विश्व विद्यालय के कृषि वैज्ञानिक पहले ही ठुकरा चुके है ! इसमे पानी आने का रस्ता ही नही है ! मानसून के पानी से गर ये भर भी गए तो आये दिन अन्ना जानवर इसमे गिरकर मरेंगे वो ब्याज में ! इस बारिश के बाद इनका सच सबके सामने आएगा जब ये सुखाड़ का स्थाई समाधान नही गाद और गड्ढो की लम्बी खेप मात्र होगी ! इसकी गहराई कुंड / सोख्ता टैंक जैसी है ! खेत तालाब में न पानी आवक का रास्ता छोड़ा गया और न कैचमेंट देखा गया एरिया का ! उधर दिल्ली की कम्पनी रजनीगंधा समर्थित सीएसआर प्रोजेक्ट से इसका हल्ला मचाने वाले अपने टार्गेट के मुताबिक महोबा आकर खन्ना क्षेत्र में पोकलैंड / जेसीबी मशीनों से किसान के खेत में चार मुंह चिढाने वाले कुंडनुमा गहरे गड्ढे / तालाब खोद कर बना चुके है ! इनके झोलों में दो हजार तालाब पड़े रहते है !
कम्पनी के तालाब का एक पानी के पोर्टल में पंजीयन किया जा रहा है शायद ये उसको चलाने वाली संस्था का प्रोजेक्ट है ! अक्षर ज्ञान से महरूम किसान को पानी के सब्जबाग दिखलाकर बीच की कमीशन खोरी जारी है ! किसान का सूखा भी उसकी लूट का पर्याय है !
उल्लेखनीय है कि महोबा में मदन सागर और कीरत सागर के चारो तरफ तिलिस्मी पाल / बेहद ऊँची दीवार बनाकर जिलाधिकारी ने अवैध कब्जो को सुरक्षित कर दिया है ! उन्हें प्रमोट करने वाले लोगो का दावा है कि ज़िलाधिअकरी ने ऐतिहासिक काम किया है ! यह काम उनकी वाहवाही का साधन बन गया है साहेब ने तालाब गहरे करा दिए है ! जबकि मदन सागर में पट्टे और उसमे खेती करवाने की जुगत भी किसी से छुपी नही है ! बिना अवैध कब्जे हटाये तालाब की पाल क्यों तैयार की गई ये अंदरखाने की बात है ! वैसे बुन्देलखण्ड का सूखा दिल्ली से पलायन करने वाले पानी दारों और मढ़ी ढोलक को बजाने वाले लोगो के लिए माकूल पर्यावरण है ! ये कुछ वैसा है यथा ' किस - किस को देखिये , किस - किसको रोइए , आराम बड़ी चीज है , मुंह ढककर सोइए ' !
तस्वीर में महोबा का कीरत सागर एक जुलाई पानी यात्रा के समय जिलाधिकारी को मांग पत्र देते समय कि देश में तालाब विकास प्राधिकरण बने, तालाब खुदवाई में टेंडरिंग / ठेकेदारी व्यवस्था बंद हो , अवैध कब्जे कोर्ट आदेश अनुसार हटाये जाए
उल्लेखनीय है कि महोबा में मदन सागर और कीरत सागर के चारो तरफ तिलिस्मी पाल / बेहद ऊँची दीवार बनाकर जिलाधिकारी ने अवैध कब्जो को सुरक्षित कर दिया है ! उन्हें प्रमोट करने वाले लोगो का दावा है कि ज़िलाधिअकरी ने ऐतिहासिक काम किया है ! यह काम उनकी वाहवाही का साधन बन गया है साहेब ने तालाब गहरे करा दिए है ! जबकि मदन सागर में पट्टे और उसमे खेती करवाने की जुगत भी किसी से छुपी नही है ! बिना अवैध कब्जे हटाये तालाब की पाल क्यों तैयार की गई ये अंदरखाने की बात है ! वैसे बुन्देलखण्ड का सूखा दिल्ली से पलायन करने वाले पानी दारों और मढ़ी ढोलक को बजाने वाले लोगो के लिए माकूल पर्यावरण है ! ये कुछ वैसा है यथा ' किस - किस को देखिये , किस - किसको रोइए , आराम बड़ी चीज है , मुंह ढककर सोइए ' !
तस्वीर में महोबा का कीरत सागर एक जुलाई पानी यात्रा के समय जिलाधिकारी को मांग पत्र देते समय कि देश में तालाब विकास प्राधिकरण बने, तालाब खुदवाई में टेंडरिंग / ठेकेदारी व्यवस्था बंद हो , अवैध कब्जे कोर्ट आदेश अनुसार हटाये जाए
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