बुंदेलखंड के बाँदा से प्रारंभ होगी ' तालाब एवं भूदान चारागाह मुक्ति अभियान ' सात दिवसीय साइकिल यात्रा !
#AnupamMishra #आजभीखरेहैतालाब #भूदानचारागाह
Banda 13 June 2016 -
' तालाब एवं भूदान चारागाह मुक्ति अभियान ' !(आज भी खरे है तालाब, पर आदमी से डरे है तालाब )
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बुंदेलखंड के जनपद बाँदा से आगामी 1 जुलाई 2016 को सात दिवसीय साइकिल यात्रा का आयोजन किया जा रहा है ! यह साइकिल यात्रा गाँधीवादी विचारक और पर्यावरणविद श्री अनुपम मिश्र जी / उनकी किताब ' आज भी खरे है तालाब ' को समर्पित है ! पानी के संकट और तालाबों पर अवैध कब्जों एवं सार्वजनिक / भूदान आन्दोलन के बाद हासिल हुए चारागाहों पर किये गए बेतरतीब कब्जे से अन्ना प्रथा जहाँ बढ़ी है,वही खेती के लिए समुचित जल का अकाल भी खड़ा हुआ है ! एक जुलाई को छाबी तालाब मैदान बाँदा में एक जनसंवाद कार्यक्रम के बाद लखनऊ तक साइकिल यात्रा का प्रस्थान होना है ! इस महती और प्रासंगिक युवा सहभागिता ( इलाहाबाद युनिवर्सिटी के रिसर्च - स्कालर छात्र- छात्रा / सामाजिक कार्यकर्ता ) के हौसलों से प्रेरित यात्रा का मूल उद्देश्य देश भर में फैले / विलुप्त हो रहे प्राचीन ,बुंदेलखंड के चंदेलकालीन तालाबों और भूदान आन्दोलन के बाद देश भर में सार्वजनिक चारागाह की जमीनों पर किये गए अवैध कब्जे - पट्टे को रेखांकित करना है ! सात दिवसीय यात्रा में माननीय उच्च न्यायलय / सुप्रीम कोर्ट के उन आदेशों का भी वितरण किया जायेगा जो इस विषयक ' तालाब / कब्रिस्तान / पोखर / कुंए / चारागाह के लिए हुए है लेकिन वे अमल में नही लाये गए है ! यात्रा का समापन 8 जुलाई को प्रेस क्लब लखनऊ अपरान्ह बारह बजे से 3 बजे तक इसी विषयक परिचर्चा के साथ होना है ! उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी को मांग पत्र / श्वेत पत्र में प्रदेश के तालाबों / भूदान से प्राप्त चारागाह के मुक्ति की पैरवी की जाएगी ! बुंदेलखंड के सुखाड़ / जलसंकट / अन्ना पशुओं के भोजन - पानी - किसानी के पुनरुत्थान के लिए जनहित में यह अपरिहार्य एवं समसामयिक है !
समापन में संभावित वक्ता / अतिथि -
अरविन्द कुमार सिंह (राज्यसभा टीवी,संवाददाता,दिल्ली),सुधीर जैन ( सीनियर पत्रकार जनसत्ता / एनडीटीवी ब्लागर) एवं तालाब अध्ययनकर्ता,पियूष बबेले ( विशेष संवाददाता इंडिया टुडे पत्रिका ग्रुप ),सचिन जैन संयोजक विकास संवाद,भोपाल,प्रभात झा ( सामाजिक कार्यकर्ता गांधी पीस फाउंडेशन),सुभाष राय,विजय पाल बघेल (ग्रीन मैन,गाजियाबाद),संजय कश्यप ( पर्यावरण कार्यकर्ता),डाक्टर विजय पंडित (मेरठ),सुदीप साहू),शिवनारायण सिंह परिहार बुंदेलखंड अध्यक्ष,भारतीय किसान यूनियन (भानु गुट ),संध्या दिवेदी (ओपिनियन पोस्ट पत्रिका ),पंकज जायसवाल ( हिंदुस्तान टाइम्स,लखनऊ ),उर्वशी शर्मा (सूचनाधिकार कार्यकर्ता),तनवीर अहमद सिद्दकी,सन्ज आजाद,ओम प्रकाश श्रीवास्तव आदि !
विशेष स्नेह - पंकज चतुर्वेदी ( पत्रकार / लेखक दफ़न होते दरिया )
अभियान संरक्षक - कृष्णकुमार मिश्रा ( संपादक ) www.dudhwalive.com ई जनरल पर्यावरण पत्रिका
यात्रा कोर सहभागी टीम - रामबाबू तिवारी छात्र पीएचडी ( सामाजिक कार्यकर्ता जल बचाओ आन्दोलन ),नलिनी मिश्रा छात्रा इलाहाबाद युनिवर्सिटी ,प्रो. योगेन्द्र यादव गांधीवादी,लेखक सर्वोदय / अतिथि प्रवक्ता (घाना साउथ आफ्रीका) ,सुनील दत्ता (आवाम का सिनेमा,आजमगढ़ ) ,पंकज सिंह परिहार ( सामाजिक कार्यकर्ता,गुगौरा,महोबा ),स्नेहिल सिंह निदेशक न्यू इनवायरमेंट वेलफेयर सोसाइटी ,डाक्टर मेराज अहमद सिद्दकी ( प्रवक्ता एलपीयू जालंधर -पंजाब),प्रणव निदेशक पथ प्रदर्शक सोसाइटी इलाहाबाद ,नीरज सिंह कछवाह,अटल कुमार पटेल ( क्षेत्र पंचायत सदस्य नरैनी,अनुराज कुमार गोपाल आदि लोग मौजूद रहेंगे ! पोस्ट सूचनार्थ है !
अभियान समर्थक - ' अन्नदाता की आखत ' अभियान के अध्यक्ष वीरेंद्र गोयल,कोषाध्यक्ष शैलेन्द्र श्रीवास्तव नवीन,वरिस्थ सदस्य सूर्यप्रकाश तिवारी .
बाँदा के धान मंडी अतर्रा में ये है तालाबों की सूरत -
' अवैध कब्जों से हलकान धान मंडी अतर्रा के प्राचीन तालाब ' !
13 जून बाँदा(अतर्रा) / बुंदेलखंड - अतर्रा में कभी धान की मंडी थी !
यहाँ महाचिन्नावर,रामभोग,परसन बादसाह चावल दमकता था अपनी शानदार महक के साथ ! गाँव से कसबे तक इन्ही तालाबों का मानसूनी पानी याहं की लाजवाब खेती को खुशहाल रखता था ! समय गुजरा और मानवीय सभ्य लोगों ने सभी तालाबों पर अवैध कब्जे कर लिए ! यहाँ तक की गौरा बाबा तालाब में जलसंस्थान से अपना सरकारी दफ्तर बिल्डिंग बनाकर खड़ा कर लिया ! नगर पालिका ने लिखित दिया सूचनाधिकार में यह अवैध कब्ज़ा है लेकिन एसडीएम अतर्रा और जिलाधिकारी बाँदा के लिए कोई मायने नही रख सका ! आज अमर उजाला ने पुनः यह खबर प्रकाशित की है !
यह सोचकर कि तालाबों को लेकर संजीदा वर्तमान जिलाधिकारी योगेश कुमार जी अतर्रा के इन बंधक तालाबों को अतिक्रमण मुक्त करवाएंगे किसानों और स्थानीय जलप्रेमियों के लिए क्योकि सदियाँ बीते ,चाहे वर्षो गुजरें पर ' आज भी खरे है तालाब ' ! इसके लिए जिलाधिकारी बाँदा को किसी आदेश की ज़रूरत नही उनके स्वयं के प्रसाशनिक पावर,सुप्रीम कोर्ट / उच्च न्यायलय के आदेश ही पर्याप्त है ! इसके लिए सन्दर्भ ले उत्तर प्रदेश साशन,राजस्व अनुभाग- 2 के कार्यालय आदेश संख्या- सूचना का अधिकार - 444(1)/1-2-14-रा0-2,लखनऊ दिनांक 31 दिसंबर 2014 जो समस्त मंडल / प्रदेश के जिलाधिकारी को प्रेषित है ! तालाब / पोखर/ कब्रिस्तान / चारागाह के बावत ! गौरतलब है कि बुंदेलखंड में करीब 2659 तालाब दफ़न हो चुके है ! यहाँ चंदेलकालीन चार हजार तालाब थे ! महोबा शहर और चरखारी इसकी बानगी है ! यह तस्वीर मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ में भी देखी जा सकती है ! अगर यह तालाब बचे तो बाँदा का अतर्रा नीर के लिए तरसेगा नही ! किसान मरेगा नही !
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