Sunday, May 22, 2016

अन्नदाता की आखत के लिए अन्नदाता का पुनर्वास अभियान बिलारी में !

' बुंदेलखंड के किसानों को मिला बिलारी का सहारा '
- मासूम बेटियों ने किसानों के लिए बहाए आंसू ,गुनगुनाये मदद के गीत !

बुंदेलखंड के आत्महत्या पीड़ित किसानों के लिए उठा बिलारी !

----------------------------------------------------------

मैं तुम्हारे इश्क़ में जैसे हूं जैसलमेर,
तुम मानसून हो प्रिये ना वक़्त पे आयी !

- अशोक जमनानी जी के इन शब्दों के साथ जिला मुरादाबाद के विधानसभा क्षेत्र बिलारी में गत 21 मई को ' अन्नदाता की आखत ' के लिए अन्नदाता का पुनर्वास चेरिटेबल कार्यक्रम किया गया था ! कहते है इंसानियत की तरह गरीबी और मुफलिसी का कोई वर्ग और मजहब नही होता यह मैंने बिलारी में आँखों से देखा और मन से महसूस किया है !
बुंदेलखंड के सूखे और आत्महत्या से पीड़ित एवं किसान की बेटियों के लिए यह आयोजन संपन्न हुआ है ! करीब ढाई हजार आवाम के बीच बिलारी में बुन्देलखंडी किसानों के लिए साथी शैलेन्द्र मोहन श्रीवास्तव ' नवीन ' के साथ स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता संघटन के संस्थापक नोमान जमाल और उनके सहयोगी युवा,बुजुर्ग लोगों ने जोश- खरोश के साथ मानवीय सृजित सूखे की फौरी राहत के लिए जनता में मदद की अपील की ! हमारे पास सेलेब्रेटी नही थी बावजूद इसके भीड़ ने सिद्दत से हमारा दर्द सुना और यथा संभव अंशदान किया ! इस आयोजन में बिलारी विधायक,तमाम महिला- पुरुष शाहजहांपुर,चंदोसी,मुरादाबाद से आये थे ! युवा प्रतिभा ने अपने संगीत हुनर से जहाँ किसान सहायतार्थ दान जुटाया है वही लोगो ने पूरे तन्मयता से अन्नदाता के लिए दान दिया है ! आयोजन में जुटाई गई करीब डेढ़ लाख से अधिक धनराशी नोमान जमाल बाँदा आकर अपने हाथ से उचित पात्र गरीब किसान आश्रित परिवार को देंगे ! प्रयास किया जायेगा नकद के साथ उन्हें ' अन्नदाता राहत किट ' उपलब्ध कराई जाए ! 
                                                








आयोजन मंडल और बिलारी की दिलखुश / संवेदनाप्रद आवाम को सलाम ऐसे मानवीय कदम के लिए ! एक बार फिर बाँदा में आयोजित 20 दिसंबर की शाम याद ताजा हो गई ! बाँदा में बिटिया मन्नत की तरफ यहाँ गुनगुन थी जिसने अपने आवाज से सबको संवेदित किया ! मन्नत ने जहाँ बाँदा में सबको गुल्लक तोडके रुला गई थी वही गुनगुन इस आयोजन की शान रही ! आयोजक टीम ने स्थानीय एक निराश्रित / दिव्यांग को 21 हजार रूपये आर्थिक अंशदान किया! जिन साथियों के हौसले से यह बुंदेलखंड के बाँदा से करीब 650 किलोमीटर दूर मुकम्मल हुआ बिना किसी विवाद के यह स्थानीय जनता के अटूट विस्वास और सब्र को दर्शाता है ! कार्यक्रम के अंत तक भीड़ का मौजूद रहना मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है ! 

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home