Wednesday, May 11, 2016

सूखे देश में रंगीला देश !

‪#‎उज्जैनकाकुम्भ‬ ‪#‎सिंघस्त2016‬ ‪#‎droughtindia‬
' चांदी का जूता और चांदी का थाल, शिवराज मामू ने किया कमाल ' !
जिस तरह एक सूखे राष्ट्र में सोने का सोमनाथ मंदिर बन सकता है ठीक वैसे ही यह भी हो जाए तो क्या अचरज है ! छिप्रा में पानी नही था नर्मदा से डाल दिया ठीक बात लेकिन ये क्या किये किसान के साथ ? शायद शर्म डूब गई कुम्भ में !
सूखे देश / बुंदेलखंड में उज्जैन का कुम्भ उर्फ़ सिंघस्त पर्व अन्नदाता के ऊपर भोड़ा मजाक मात्र है आस्था नही ! यह मात्र हिंदुस्तान में हो सकता है कहाँ है मानवाधिकार आयोग ? अगर कही धर्म और सत्य होगा तो इनके यह पाप कुदरत क्षमा नही करेगा ! लातूर, मराठवाड़ा,उड़ीसा,बुंदेलखंड की गरीबी पर बिछाई गई रेड कारपेट में सजे गद्दों के ऊपर चांदी की थाल से यह कमली लोग राजभोग करेंगे ! विपक्ष देख रहा है न किसान के ऊपर ये जोरदार तमाचा ! यही भारत का लोकतंत्र है जैसा राजा वैसी प्रजा ! ध्यान रहे देश का प्रधानमंत्री एक भी सूखा प्रभावित गाँव में देखने नही गए है !
साभार तस्वीर सहित - अजय दुबे @ भोपाल पर्यावरण कार्यकर्ता- 
क्रूर हुक्मरानो को कुंभ मे चांदी के बर्तनो मे शाही भोजन परोसा जायेगा।सूखा पीडितो की छाती पर ये हरियाली का नाश कर पुण्य प्राप्त करेंगे। वही मध्यप्रदेश के निनोरा ग्राम उज्जैन मे वैचारिक कुंभ के नाम पर किसानोे के उपजाऊ खेतो मे मुरम और डामर डालकर 8 हेलिपेड बनाये गये और 1000 वाहनो की पार्किंग बनायी गयी है।सबसे दुखद और कष्टदायक पहलू ये है कि सूखे से पीडित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री किसान हैं।
                                                    




#‎मानवसृजितसूखा‬
'' भ्रस्टाचार भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था का मुख्य हिस्सा बन चुका है, यह हमारे अनुवांशिक लक्षण में घुसपैठ किये है ! इस मजबूत संस्कार में नेता सरगना और उसके साथ खड़े है समाज के सभ्रांत सोशल एजेंट ! जिन्हें आप केंद्रीय / राज्य सरकारों का वाय सराय भी कह सकते है ! '' इन्ही के आश्रम, ट्रस्ट और संस्थानों से होकर गुजरती है श्रधेय विनोबा भावे के भूदान आन्दोलन की 9 लाख एकड़ जमीन जिस पर सार्वजनिक चारागाह थे जो आज कब्जे में है ! 
इस देश में किसानों का बैंकों पर कुल जमा कर्जा बकाया है करीब 9 हजार करोड़ जबकि ईडी के माध्यम से भगोड़ा घोषित हुए विजय माल्या का बकाया दस हजार करोड़ से अधिक ! वही इस नई नवेली केंद्र सरकार के ' वित्तीय दमाद ' गौतम आडानी पर 72 हजार करोड़ रुपया बैंकों का कर्जा है ! साथ ही मोदी सरकार ने इन्हे अपने कार्यकाल में एक अरब डालर का लोन सब्सिडी में दिया है इतने में हर छोटे - बड़े किसान का कर्जा उतारा जा सकता है ! अगर गौतम आडानी भाग गए तो देश की आर्थिक रीढ़ को लकवा मार जायेगा यह तय है !




( तस्वीर में अजयगढ़ के गाँव मंझपटिया में पानी को तरसता कुआं ऐसे 9 में पानी नही है,तालाब सूखे और चारागाह ख़तम,जिला पन्ना के आदिवासी गंदे झिरियों भरे जर्जर बरसाती कुओं से पानी भरते हुए ! )

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