वे कौन हैं जो मांओं का बाजार सजाते हैं ?
साभार - Artist Against All Odd (AAAO) पेज से-
जिन्होंने चुराये हमारे बच्चे,
हमारी जमीन, हमारे जंगल !
इस ग्रह का आनंदमय वर्तमान और भविष्य,
और जो अपने अपने,
राष्ट्र की संकुचित घेरेबंदी में,
मां की बात करते हैं !
जय मातृभूमि का थोथा शोर करते हैं,
वे न हम छापामार मांओं को जानते हैं.
न ही गोर्की की मां को !
उनके इतिहास में नहीं है झलकारी बाई,
नहीं हैं सिनगी दइ और कइली दइ,
फूलो-झानो, माकी मुंडा और देवमनी भगत भी नहीं हैं.
वे तो लक्ष्मी बाई को भी मरदाना कहते हैं !!
उसे स्त्री नहीं मानते !
हमारी जमीन, हमारे जंगल !
इस ग्रह का आनंदमय वर्तमान और भविष्य,
और जो अपने अपने,
राष्ट्र की संकुचित घेरेबंदी में,
मां की बात करते हैं !
जय मातृभूमि का थोथा शोर करते हैं,
वे न हम छापामार मांओं को जानते हैं.
न ही गोर्की की मां को !
उनके इतिहास में नहीं है झलकारी बाई,
नहीं हैं सिनगी दइ और कइली दइ,
फूलो-झानो, माकी मुंडा और देवमनी भगत भी नहीं हैं.
वे तो लक्ष्मी बाई को भी मरदाना कहते हैं !!
उसे स्त्री नहीं मानते !
वे कौन हैं जो मांओं का बाजार सजाते हैं ?
भूला देना चाहते हैं रानी गाइदिनल्यू को,
वे कौन हैं जो कोंख को त्रिशुलों पर उछालते हैं.
और हजारों उन्मादी कंठों से चीखते हैं,
यत्र नार्यस्तु पूजयंते रमंते तत्र देवता !
भूला देना चाहते हैं रानी गाइदिनल्यू को,
वे कौन हैं जो कोंख को त्रिशुलों पर उछालते हैं.
और हजारों उन्मादी कंठों से चीखते हैं,
यत्र नार्यस्तु पूजयंते रमंते तत्र देवता !
जो नहीं जानते हैं मांओं को
वही बनाते हैं मां को ग्लोबल उत्पाद
वे भूल जाते हैं
कि मां का दूध सिर्फ दूध नहीं होता
रक्त होता है
जो उसकी छापामार देह से शुरू होकर
दौड़ता रहता है लड़ाकों की देह के अनंत विस्तार तक
जो बनाये रखता है
हर एक आत्मा को सजीव और सक्रिय !
वही बनाते हैं मां को ग्लोबल उत्पाद
वे भूल जाते हैं
कि मां का दूध सिर्फ दूध नहीं होता
रक्त होता है
जो उसकी छापामार देह से शुरू होकर
दौड़ता रहता है लड़ाकों की देह के अनंत विस्तार तक
जो बनाये रखता है
हर एक आत्मा को सजीव और सक्रिय !
तस्वीर: ब्राजील के कयापा समुदाय की योद्धा मां
Photo Credit: Beautiful Breastfeeding (courtesy of Brandilynn Slayton)
Photo Credit: Beautiful Breastfeeding (courtesy of Brandilynn Slayton)
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