बुंदेलखंड के सूखे में भूख का असली चेहरा !
' एक रोटी की कीमत तुम क्या जानो अमीर बाबू ??? '
#भूखकाअसलीचेहरा #RighttoFood #आजादीऔरबुंदेलखंडकासूखा
इस शहर में आदमी इस तरह गुमनाम है,
किसी की रंगीन जिंदगी तो कोई लिए ग़मगीन शाम है !
7 मई 2016 - बुंदेलखंड के सूखे और पानी पर जब देश के मीडिया हब,संपादकीय पेजों पर चर्चा और सियासत हो रही हो तब बाँदा के नेशनल हाइवे 76 इलाहाबाद मार्ग के गाँव नंगनेधी की तस्वीर बहुत कुछ कहती है ! जहाँ यह केन्द्रीय योजनाओं / पॅकेज पर सवाल खड़ा कर रही है वही समाजवादी राहत पैकेट और खाद्यान सुरक्षा कानून पर यक्ष प्रश्न भी है ! बाँदा के ही नरैनी ( ऐला गाँव के मुंगुस पुरवा ) मृतक दलित मजदूर नत्थू की कथित भूख से मौंत के बाद मदद और ख़बरों का विलाप तेज हुआ है उधर यह गरीब और असहाय बुजुर्ग महिला राज्यमार्ग में किसी के गेंहूँ के गट्ठर या बैलगाड़ी से गिरे कुछ अंजुरी भर पत्थर की गिट्टी और तारकोल में मिले ' आनाज गेहूं ' को उसा रही है अपने उम्मीद के हाथों से ! यह मटमैला गेंहूँ कितने समय में हासिल होगा यह अलग बात है मगर वो उसी कवायद में लगी थी !
7 मई 2016 - बुंदेलखंड के सूखे और पानी पर जब देश के मीडिया हब,संपादकीय पेजों पर चर्चा और सियासत हो रही हो तब बाँदा के नेशनल हाइवे 76 इलाहाबाद मार्ग के गाँव नंगनेधी की तस्वीर बहुत कुछ कहती है ! जहाँ यह केन्द्रीय योजनाओं / पॅकेज पर सवाल खड़ा कर रही है वही समाजवादी राहत पैकेट और खाद्यान सुरक्षा कानून पर यक्ष प्रश्न भी है ! बाँदा के ही नरैनी ( ऐला गाँव के मुंगुस पुरवा ) मृतक दलित मजदूर नत्थू की कथित भूख से मौंत के बाद मदद और ख़बरों का विलाप तेज हुआ है उधर यह गरीब और असहाय बुजुर्ग महिला राज्यमार्ग में किसी के गेंहूँ के गट्ठर या बैलगाड़ी से गिरे कुछ अंजुरी भर पत्थर की गिट्टी और तारकोल में मिले ' आनाज गेहूं ' को उसा रही है अपने उम्मीद के हाथों से ! यह मटमैला गेंहूँ कितने समय में हासिल होगा यह अलग बात है मगर वो उसी कवायद में लगी थी !
शायद यह इसके एक वक्त के भोजन का जुगाड़ कर देगा ! तस्वीर लेते समय लगा कि भूख कितनी जल्लाद होती है ? यह महिला से बेहतर कौन बता पायेगा ! उसको कैमरे की दस्तक से नहीं अमीर बाबू अपने उस पथरीले गेंहूँ से इश्क है जो उसके और शायद परिवार के निवाले की आस है ! विधाता उन लोगों को सम्मति देवे जो खाने की थाली,विवाह और अन्य में अनाज को थालियों में व्यर्थ छोड़कर चले आते है ! ....समाजवादी सांसद नरेश अग्रवाल तक अगर हो सके तो यह तस्वीर भिजवा देना मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी क्योकि उन्हें लोकसेवकों की पगार कम लगने लगी है ! ...सच तो यह कि अभी बहुत कुछ आजादी की तलाश में है ! @ तस्वीर सहित आशीष सागर,बाँदा .
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