Tuesday, May 03, 2016

सूखे में उम्मीद की मशाल बना किसान दशरथ अहिरवार !

‪#‎बेपानीकिसानपानीदारहोसकताहै‬
बुंदेलखंड-3 मई आँखों देखी ! 

' हौसला हो तो यह मानव सृजित सूखा पानीदार हो सकता है !! ' 

अजयगढ़ (मंझपटिया),पन्ना- बुंदेलखंड में जहाँ शहर से पंद्रह किलोमीटर वाले लगभग हर गाँव में जलसंकट है,जो ग्रामीण आबादी वाले इलाके में हाय पानी ! कहते है वही कुछ ऐसे भी किसान है जिन्होने अपनी गाढ़ी जमा पूंजी से पानी का प्रबंध बिना सरकारी मदद के किया है ! इस भयावह सूखे में वो ही गाँव त्रस्त है जिन्होने अपने पारंपरिक तालाब,कुंए,पोखर कब्जाकर हैंडपंप और नलकूप को जुगाड़ का साधन मानकर जीवन जीना सीख लिया ! या वे दुखी है जो सरकारी मदद मिले इसका मुंह ताक रहे है ! कहते है अपने हुनर और सब्र से आदमी सब कुछ कर सकता है अगर यह न होता तो इसी देश में ' झारखण्ड का सिमोन,बुंदेलखंड का भैयाराम यादव और दशरथ मांझी न जन्म लेते ' ! 
यह पन्ना जिले के अजयगढ़ विकासखंड के मंझपटिया ग्राम पंचायत की तस्वीर है ! इस गाँव में वैसे तो 9 कुंए और कई हैंडपंप है ! लेकन सब बेपानी है,कुछ हैण्ड पम्प रिबोर से पानी दे रहे है लेकिन दो बाल्टी निकालने के बाद आराम तलबी हो गए है, क्या करें उनकी देह से इस गाँव के बासिंदों ने हाड़- मांस और आतें निकाल ली है अत्यधिक जल दोहन से ठीक वैसे ही जैसा मानवीय स्वाभाव से दूसरी जगह हुआ है ! 
                                                         




   
बारिश का एक बूंद पानी संचय नही किया तो रोना लाजमी है ! ...इसी गाँव के रहवासी दशरथ अहिरवार ने अपनी 15 हजार की पूंजी लगाकर अपनी पत्नी सुनीता के साथ यह कुआं खोदा है ! नीचे पत्थर निकला तो उसको तोड़कर उम्मीद से निकाला गया ! ..किस्मत गरीब का साथ दे गई और अब इस कुंए में तीस फिट पर पानी निकल आया है ! इससे उसका आधे घंटे बोर चलता है जो खेत में पानी ले जा रहा है !...सूखे से पीड़ित गाँव को देखने के बाद वापसी में यह भी देखने को मिला ! दसरथ अहिरवार का कुआं अभी चारो तरफ से कच्चा है उसको आशा है कि जल्द ही इसे पक्का करने के बाद वो आने वाली बारिश तक बड़ी जलराशि एकत्र कर लेगा ! ...पत्नी सुनीता जंगल में आचार पेड़ का फल लेने गई थी तब तक उसकी प्यारी बिटिया ऊषा से बात करने पर पता चला कि दीप,केतकी और मातादीन,भगवानदीन उसके दो छोटे भाई भी है ! ऊषा की एक सुन्दर तस्वीर ली है जिसमे वो अपनी आत्मिक संतुष्टि के साथ संसाधनों के आभाव में बेहद खुश दिखी !..उसकी मुस्कराहट में गरीबी का फिकारा शाही तोहफे सा लग रहा था !

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