Wednesday, December 09, 2015

' बुंदेलखंड के सूखे में बोला अलीगंज ' !

‪#‎नसीमुद्दीनसिद्दकी‬



' बुंदेलखंड के सूखे में बोला अलीगंज ' !
बाँदा 8 दिसंबर- नेता प्रतिपक्ष विधान परिषद् उत्तर प्रदेश और पूर्व कैबनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दकी ने बुंदेलखंड के सूखे पर सियासत गर्म कर दी ! वे भी योगेन्द्र यादव के सुर में सुर मिलाकर ' जेड प्लस ' सट्टन चौराहा,अलीगंज कोठी से मीडिया के समक्ष बोले कि बुंदेलखंड में सूखा नही अकाल है ! यहाँ किसान घास की रोटी खा रहा है ! मेरे भाई रफीकुद्दीन सिद्दकी को 11 एकड़ जमीन पर 1500 रूपये मुआवजा मिला ! लेकिन बुंदेलखंड में कौन घास की रोटी खा रहा है उस परिवार का नाम वे भी नही बतला पाए ! जाहिर है केंद्र और समाजवादी सरकार पर तंज कसना है ! ...सत्ता के इस बुन्देली सूरमा से बस एक सवाल है कि अगर बुंदेलखंड में सूखा नही अकाल है तो आप अभी तक बुन्देली किसानो के साथ घास क्यों नही खाए ? कांग्रेस की सरकार में आये विशेष बुंदेलखंड पॅकेज के किसान ट्रैक्टर आपने अपने भाई- भतीजो को क्यों दिलवा दिए (लिस्ट मेरे पास है ) ? आपके पैतृक निवास शेरपुर श्योढा,गिरवा,बाँदा में जिस परिवार के पास विरासत में कोई ज़मीन नही थी आज बसपा से सपा तक की राजनीती में वो 500 करोड़ से ऊपर का चल - अचल सम्पति का मालिक कैसे हो गया ? किसानों की बाँदा मेडिकल कालेज मार्ग में सैकड़ो बीघा कृषि ज़मीन आपके खानदान को कैसे लिखवा दी स्थानीय बलदेव वर्मा कानूनगो ने ? साथ ही इस अकालखंड में आप मेडिकल कालेज मार्ग में आय से अधिक सम्पति से जुटाई गई खेतिहर ज़मीन में मुख्यमंत्री की तर्ज पर आलीशान कोठी ( वाच टावर सहित ) फार्म हाउस सहित कैसे बनवा रहे है ? वो भी अपनी ही निधि से धन निकालकर अपने ही भवन के सामने नाला बनवा कर जिसका उपभोग आपने ही करना है !...दो- चार महीनो में बाँदा आकर पीत पत्रकारिता के समक्ष प्रेस वार्ता करके घडियाली आंसू बहाने से क्या ये बुन्देली किसान खुशहाल हो जायेगा ? नेता जी जाइए कहिये अपने खानदान से कि बेहिसाब कमाई दौलत से कुछ आखत निकालकर आत्महत्या कर रहे किसानो को दे ताकि वो कथित घास का निवाला छोड़कर नमक रोटी खा सके ! हो सके तो अपनी बे -इंतहा सम्पति जिसको समाजवादी मुखिया सरकारी घोषित न करवा सके लोकायुक्त / ईडी / विजलेंस जाँच के बाद भी में से एक हिस्सा बुंदेलखंड के अनाथ बच्चो के नाम करे ! ...ये बुन्देली सूखा आज एक साल की कहानी नही है बल्कि ये उन पूर्व बसपा,सपा सरकारों में किये गए नदी- पहाड़ के बेशुमार खनन की आग है जिसमे आज किसान जल रहा है !बुंदेलखंड में घास की रोटी नहीं...!
सहरिया जनजाति और अन्य आदिवासी जनजातियां जंगल में पैदा होने वाली एक तरह की भाजी या जंगली घास जिसे जुई,सीकरा, पसई, भान्द् ,आदि कहते हैं । यहाँ के अन्य मोटे आनाजों में कठिया,कुटकी,कोंदो है ! सूखे के हालातों के अलावा बदहाली के चलते ये इस तरह की भाजी खाते हैं जिसे जंगली घास भी कहते हैं । बुंदेलखंड पॅकेज खाने के बाद भी डकार नहीं ली इन अधिकारियो और नेताओ ने, जिसके चलते अब इनके हालात और भी बद्दतर हो गये हैं । योगेन्द्र यादव के शताब्दी सर्वे ,खबरिया मीडिया ट्रायल ने बुन्देली गरीबी का मात्र मजाक बना दिया है ! बुन्देली घास की रोटी खा रहे लेकिन वे कौन से गाँव और परिवार है जरा इसकी भी एक सूचि सार्वजनिक करने की हिमाकत की जाए !...खबरों के बेचते इलेक्ट्रानिक चैनल हमारे अन्नदाता का ,उसकी मुफलिसी का अपने पेशे के लिए तमाशा बना रहे है !....किसान संघठनो से अपील इस छद्म अभियान का विरोध करे ! हम घास की रोटी खा रहे है तो आप अपनी नामी - बेनामी सम्पति का नेताओं समेत बुन्देली आवाम को दान क्यों नही कर देते है ? आपको भी शर्म आनी चाहिए कि देश को क्योटो बना देने वाले प्रधानमंत्री के सपने के बीच बुन्देली किसान का यह घिनौना हाल आप सब कर रहे है !
तस्वीर- में महोबा के कबरई इलाके के गहरा गाँव की तस्वीर ! - आशीष सागर,बाँदा

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