शिवराज सरकार ने दी केन - बेतवा लिंक को हरी झंडी !
केन्द्रीय जल मंत्री उमाभारती का ड्रीम प्रोजेक्ट अब होगा पूरा !
अजय दुबे ( भोपाल ) का ये पोस्ट देखा आत्मा में दुःख हुआ मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार और केन्द्रीय जल मंत्री जाने क्या चाहती है बुंदेलखंड के साथ ...! मै ये तो नही जानता कि बुंदेलो को दो गुट में विभाजित करके ये केंद्र सरकार क्या करना चाहती है मगर छतरपुर-बाँदा और झाँसी - हमीरपुर के बाशिंदों में उमाभारती ने वैचारिक वैमनस्यता फैलाकर सत्ता के रस्ते भविष्यगामी पानी की जंग के लिए ज़मीन जोत ली है ! पानी मिले न मिले लेकिन विश्व बैंक के रूपये से किसानो को जल कर,आदिवासी विस्थापन,वन्य जीवों का विलोपन और केन नदी के दुर्दिन अवश्य मिलेंगे !
बकौल अजय - '' मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज ने पन्ना टाईगर रिजर्व के 40% इलाके को डूबाने वाली और बाघो के लिये घातक केन-बेतवा लिंक परियोजना को अनुमति देकर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय वन्य प्राणी बोर्ड को भेजा।''
उधर पन्ना के साथी युसूफ बेग ( सिल्कोसिस एक्टिविस्ट ) कहते है कि जिस टाइगर रिजर्व को बसाने में हजारों आदिवासियों को घर से बेघर होना पड़ा और जिस नेशनल पार्क को बफर जोन घोषित करने के लिए इन आदिवासियों को जंगलों से खदेड़ा जा रहा है ! उसी पार्क के चलते पन्ना का पूर्ण विकास रुक गया जिले के युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे हे । आज उसी नेशनल पार्क पार्क को केन बेतवा लिंक परियोजना में शामिल करके उसे ही करके डुबोने की अच्छी मेहनत केन्द्रीय जल मंत्री ने की है ! वन अधिकार अधिनियम मान्यता कानून 2006 का कोई उपयोग नहीं कर रहा ! ....वास्तव में दिल्ली की पांच सितारा सरकारी बिल्डिंग में बैठकर प्लानिंग करना अलग बात है और ईको सिस्टम / पारिस्थितिकी तंत्र को समझते हुए जीआईएस के अध्ययन से योजना बनाना अलग बात है. इस पूरे प्रोजेक्ट में न आदिवासी किसानो को प्लानिंग में शामिल किया गया जिनके लिए ये स्कीम है,न किसानो से पूछा गया,न पर्यावरण कार्यकर्ता की मंशा को ध्यान में रखा गया है ! महज वोट बैंक की खेती को काटने के लिए मोदी सरकार 11 हजार करोड़ रूपये की दीवाली मनाने की तरफ बढ़ रही है ....फोटो - ( पन्ना टाइगर्स के अन्दर स्थित ग्राम दौधन गाँव जो विस्थापित होगा यही बनना है ग्रेटर गंगऊ डैम, इसके साथ 9 आदिवासी गाँव और है ! ) आशीष सागर
बकौल अजय - '' मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज ने पन्ना टाईगर रिजर्व के 40% इलाके को डूबाने वाली और बाघो के लिये घातक केन-बेतवा लिंक परियोजना को अनुमति देकर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय वन्य प्राणी बोर्ड को भेजा।''
उधर पन्ना के साथी युसूफ बेग ( सिल्कोसिस एक्टिविस्ट ) कहते है कि जिस टाइगर रिजर्व को बसाने में हजारों आदिवासियों को घर से बेघर होना पड़ा और जिस नेशनल पार्क को बफर जोन घोषित करने के लिए इन आदिवासियों को जंगलों से खदेड़ा जा रहा है ! उसी पार्क के चलते पन्ना का पूर्ण विकास रुक गया जिले के युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे हे । आज उसी नेशनल पार्क पार्क को केन बेतवा लिंक परियोजना में शामिल करके उसे ही करके डुबोने की अच्छी मेहनत केन्द्रीय जल मंत्री ने की है ! वन अधिकार अधिनियम मान्यता कानून 2006 का कोई उपयोग नहीं कर रहा ! ....वास्तव में दिल्ली की पांच सितारा सरकारी बिल्डिंग में बैठकर प्लानिंग करना अलग बात है और ईको सिस्टम / पारिस्थितिकी तंत्र को समझते हुए जीआईएस के अध्ययन से योजना बनाना अलग बात है. इस पूरे प्रोजेक्ट में न आदिवासी किसानो को प्लानिंग में शामिल किया गया जिनके लिए ये स्कीम है,न किसानो से पूछा गया,न पर्यावरण कार्यकर्ता की मंशा को ध्यान में रखा गया है ! महज वोट बैंक की खेती को काटने के लिए मोदी सरकार 11 हजार करोड़ रूपये की दीवाली मनाने की तरफ बढ़ रही है ....फोटो - ( पन्ना टाइगर्स के अन्दर स्थित ग्राम दौधन गाँव जो विस्थापित होगा यही बनना है ग्रेटर गंगऊ डैम, इसके साथ 9 आदिवासी गाँव और है ! ) आशीष सागर
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