Friday, November 20, 2015

' ग्रीन यूपी क्लीन यूपी ' का काला सच !

'' दस लाख पौध रोपण बनाम विश्व रिकार्ड '' ! 

समाजवादी मुखिया इन्हे खबर है सैफई के महोत्सव की, पिता मुलायम के जन्म उत्सव की, आरोप की राजनीती की , उन्हें खबर है हिन्दू बनाम मुस्लमान की , विदेशी यात्रा की , लफ्फाजी वादों की और विपक्ष को बचाने की , जनता को खबर है रोजी-रोटी और महज दुःख की...! अब खबर ये है कि हाल ही में पिछले सप्ताह प्रदेश में ' क्लीन यूपी ग्रीन यूपी ' मिशन के तहत नौ जिलों के दस स्थानों में दस लाख पौधरोपण का एक दिन  में विश्व रिकार्ड बनाने का दम्भ भरने वाले समाजवादी मुखिया अखिलेश यादव के अरमानो में उनके अफसरान ने पानी डाल दिया है ! जिला हमीरपुर के मौदहा बांध में दो लाख से ऊपर और चित्रकूट के बरगढ़ वन रेज सहित अन्य जिलो में लगाये गए पौधों का क्या हाल है ये इस खबर से देखिये ! . नेता और राठ विधायक गयादीन अनुरागी ने खुद इसकी जांच की मांग कर डाली है ! ...सिचाई विभाग ने मुख्यमंत्री के विश्व रिकार्ड बनाने के किले में सेंधमारी कर दी है..विश्व रिकार्ड सम्मान लेने का जलसा आगामी 21 नवम्बर को सैफई में होना है !..अगले दिन नेता जी का जन्म उत्सव भी है जिसमे मुंबई की कमसिन थिरकेगी !... मौदहा बांध में रोपित पौधे का 40 % हिस्सा सूखने लगा है !..बिना जड़ के ये पौधे और बिना मिटटी पहचान किये लगा दिए वनविभाग / नेता जी के आला अफसर !...खूब तस्वीरे छपी, एक दिन पहले फुल पेज विज्ञापन भी हुआ और सपा विधायक दीप नारायण से लेकर विश्वंभर यादव तक उपस्थित रहे है !...अब जबकि खुद सपा नेता सहित अन्य विधायक ने इस अभियान के जाँच की मांग की है तब मुख्यमंत्री को गंभीरता से अपने विश्व रिकार्ड सम्मान को लेने और इसकी विधिवत जांच करवाने पर विचार करना चाहिए...ये मेरी भी व्यक्तिगत मांग है की पौध रोपण के नामपर बुंदेलखंड में पिछले एक दशक में 200 करोड़ के पौध रोपण का मजाक पहले ही हो चुका है ! मायावती ने अपने कार्यकाल में भी ऐसे ही सौ दिन का रोजगार - दस लाख पौधे लगाकर तमाशा किया था ! इसकी आज भी सीबीआई जांच मनारेगा प्रकरण में शामिल है ! ...समाजवादी मुख्यमंत्री की मंशा यदि वास्तव में हरित उत्तर प्रदेश की है तो इसकी जांच करवाने के बाद अपने को विश्व रिकार्ड धारी माने ! ..अब ये न कहियेगा कि हमने लगाने का रिकार्ड बनाया था उन्हें सुरक्षित करना अलग बात !

वन अधिकारीयों ने मौके पर की जाँच -

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ' ग्रीन यूपी क्लीन यूपी ' अभियान और एक दिन में दस लाख पौधरोपण के विश्व रिकार्ड की नसबंदी कर दिए बुन्देली अफसरान !...गत सोलह नवम्बर को प्रकाशित खबर के फालोअप में आज पुनः ये खबर मौदहा बाँध,हमीरपुर से लगी है...मौके पर जाँच को गए वन अधिकारी ने स्वीकार किया कि पौधे पानी और खाद की कमी से सूखने लगे है !...मुख्यमंत्री जी विश्वरिकार्ड की कैम्पनिंग के साथ अगर हरियाली सहेज जाए तो क्या बात होती ! खैर आप अपना एवार्ड लीजिये !...बधाई स्वीकारे !

'' माँ तमसा कर रही पुकार...कौन बनेगा तारणहार ! ''

नेताजी मुलायम सिंह के संसदीय क्षेत्र की नदी का पुरसाहाल आँखों देखी -

समाजवादी नेताजी मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र में जिला आज़मगढ़ की ये तमसा नदी है ! सतीअनुसुइया के तीन पुत्र के तप से उत्पन्न हुई तमसा नदी की सूरत आज ऐसी है ! आजमगढ़ के किसानो की खेती,आवाम की जीवन रेखा ये नदी कुछ ऐसे काली अस्मत लिए है जैसे इसका आदमखोरो ने अपने घ्रणित कृत्यों से दुराचार किया हो ! नेताजी मुलायम सिंह अब तक तीन से चार बार अपने इलाके में लोकसेवक बनकर गए है !...उड़नखटोले से जाते हुए ये नदी ऊपर से शायद न दिखलाई दी हो इसलिए आज दिखला रहे है दुबारा से ! करीब 6 माह पहले इसको लिखा था ' नदी सभ्यता से नालो की संस्कृति तक ' ! लिंक जाए सब मिलेगा ! इसको डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट ने अपने सम्पादकीय में स्थान दिया उस दरम्यान लेकिन खबर बनी और बासी हो गई रोज की तरह ! 21 और 22 नवम्बर को नेताजी के जन्मदिवस का जलसा सैफई में है ! इसमे करोड़ो रूपये बर्बाद किये जा रहे जनता के हिस्से से !...संगीतकार एआर. रहमान से लेकर दिग्गज लोग हाजरी लगाने पहुँच रहे है !...नर्तकियां ठुमके लगाएंगी और माँ तमसा अपने फटेहाल पर वैसे ही पछतावा करेगी ! अगर मुलायम सिंह एक बार इस मानव कोढ़ ढोती तमसा के मर्ज की सुध लेकर पहल करते तो आजमगढ़ के बाशिंदे लाखो दुआ देते ! दुआ देती उन्हें वो भारतीय संस्कृति जो कभी नदी तीरे ही जन्मी थी ! मगर क्या हुआ नेताजी आप जश्न मनाये और अखिलेश जी आप प्रदेश का धन लुटवाये ! काश आप साढ़े तीन साल में कभी कोई योजना इस नदी के वास्ते इसलिए लाते ताकि आज़मगढ़ के किसान और स्थानीय रहवासी इसका जल आचमन कर सके ! काश स्थानीय एनजीओ कोई अभियान चलाते जो मात्र गैरसरकारी दुकान है प्रोजेक्ट की ! देश की और नदियों की बनिस्बत ये नदी धार्मिक इतिहास लिए है जो राम के वनवास काल को जोडती हुई सरयू और माँ गंगा को अपने जल से पावन करती थी आज विरह वेदना में है ! ...हाल फ़िलहाल ये नदी तमसा कभी अपने आंसू न पोछ पायेगी अब क्योकि उसका लोकसेवक अपने समाजवाद में तरबतर है ! इसके ज़िम्मेदार स्थानीय बाशिंदे भी है जो अपने चरित्र का मैला नाबदान तमसा में बहा रहे है ! - आशीष सागर ,बाँदा






0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home