बुंदेलखंड में बेमौसम बारिश से ओला और जबलपुर में आंधी !
29 अक्टूबर बाँदा जारी -
बाँदा - माह अगस्त के दुसरे सप्ताह से लगातार बेपानी हो चुके चित्रकूट मंडल के बाँदा,महोबा,चित्रकूट और हमीरपुर में हल्की बारिश हुई है. ग्रामीण अंचल में सूखे पड़े खेतो में पहुंची नमी ने अभी खेत जोतने और बुआई की स्थति तो नही आई है ! लेकिन किसानो के
मुरझा चुके चेहरों में एक आशा अवश्य दिखाई दी ! सूत्रों के मुताबिक समंदर में उठे विक्षोभ के चलते ये बेमौसम दो दिवसीय बारिश होगी.झाँसी जिले में जोरदार ओले गिरे है जिससे सडको में लोग जान बचाते नजर आये. पर्यावरण में इतने कम अन्तराल में मची उथल -पुथल, भूकंप और ऐसी उलट स्थति से सन्देश लेने की ज़रूरत है कि प्रकृति का स्वाभाव मानवीय हस्तक्षेप से बिगड़ रहा है. बुंदेलखंड का किसान इस समय पानी की आस में है जिससे खेत बोये जा सके अगर उन्हें सही समय में जुताई काबिल पानी नही मिला तो आने वाली चैत - खरीफ की फसल भी चौपट हो जाएगी.रबी की खेती पहले ही जा चुकी है. बाँदा जिले का जसपुरा,सदर पैलानी के आस -पास की ग्राम पंचायते इस साल कम पानी वाली फसले मसलन तिली,अरहर भी नही निकाल पाई है.ग्राम पचकौरी में हाल बेहद ख़राब है.बड़े कास्तकार भी सूखे से टूट रहे है .पंचायती चुनाव में भी पलायन सहज देखा जा सकता है.अबकी प्रधानी के चुनाव और क्षेत्र पंचायत के चुनाव में भी वोट के लिए किसान ने रुपया मांग की उनका कहना है कि आपसे काम तो होना नही है तो क्यों न वोटो के बदले रुपया ही ले लिया जावे ताकि पेट तो चलेगा कुछ दिन ! यही हाल नरैनी -दोआबा क्षेत्र में मूंगफली की खेती का हुआ है.खलारी,मोहनपुर,फतेहगंज ,पुकारी आदि सैकड़ो गाँव बिना पानी संकट में है.नदी और बंधी सुखी है. कृषि वैज्ञानिक किसानो को आलू के सहारे अपना सूखा काटने की सलाह देने की कवायद में है.ग्रेनाईट की चट्टानों से घिरा बुंदेलखंड का इलाका अपने साथ 1441 वर्ग किलोमीटर परती भूमि लिए है जो खेती से वीरान है.
कई खेतों की धान जमीं पर लेट गई है । अगर इन खेतों में पानी दोबारा भरा तो ये पूरी तरह खराब हो जाएँगी । अगर नहीं गिरा तो कम नुक़सान होगा । इस समय धान के दाने पुस्ट हो रहे है या हो चुके है । अगर धान गिर जाती है तो चावल पतला रह जाता । धान गिरने के दो मुख्य कारण बताये जाते है । पहला अधिक खाद के उपयोग से । यूरिया का ज्यादा इस्तेमाल से पौधे में अधिक लम्बाई आ जाती है । दूसरा धान अधिक घनी होने की वजह से । हवा चलने के दौरान एक के ऊपर के गिर जाते है और फसल लेट जाती है ।
बाक़ी अब बारिश नहीं होनी चाहिए वरना बहुत अधिक नुक़सान होने की सम्भावना है ।
बाँदा - माह अगस्त के दुसरे सप्ताह से लगातार बेपानी हो चुके चित्रकूट मंडल के बाँदा,महोबा,चित्रकूट और हमीरपुर में हल्की बारिश हुई है. ग्रामीण अंचल में सूखे पड़े खेतो में पहुंची नमी ने अभी खेत जोतने और बुआई की स्थति तो नही आई है ! लेकिन किसानो के
मुरझा चुके चेहरों में एक आशा अवश्य दिखाई दी ! सूत्रों के मुताबिक समंदर में उठे विक्षोभ के चलते ये बेमौसम दो दिवसीय बारिश होगी.झाँसी जिले में जोरदार ओले गिरे है जिससे सडको में लोग जान बचाते नजर आये. पर्यावरण में इतने कम अन्तराल में मची उथल -पुथल, भूकंप और ऐसी उलट स्थति से सन्देश लेने की ज़रूरत है कि प्रकृति का स्वाभाव मानवीय हस्तक्षेप से बिगड़ रहा है. बुंदेलखंड का किसान इस समय पानी की आस में है जिससे खेत बोये जा सके अगर उन्हें सही समय में जुताई काबिल पानी नही मिला तो आने वाली चैत - खरीफ की फसल भी चौपट हो जाएगी.रबी की खेती पहले ही जा चुकी है. बाँदा जिले का जसपुरा,सदर पैलानी के आस -पास की ग्राम पंचायते इस साल कम पानी वाली फसले मसलन तिली,अरहर भी नही निकाल पाई है.ग्राम पचकौरी में हाल बेहद ख़राब है.बड़े कास्तकार भी सूखे से टूट रहे है .पंचायती चुनाव में भी पलायन सहज देखा जा सकता है.अबकी प्रधानी के चुनाव और क्षेत्र पंचायत के चुनाव में भी वोट के लिए किसान ने रुपया मांग की उनका कहना है कि आपसे काम तो होना नही है तो क्यों न वोटो के बदले रुपया ही ले लिया जावे ताकि पेट तो चलेगा कुछ दिन ! यही हाल नरैनी -दोआबा क्षेत्र में मूंगफली की खेती का हुआ है.खलारी,मोहनपुर,फतेहगंज ,पुकारी आदि सैकड़ो गाँव बिना पानी संकट में है.नदी और बंधी सुखी है. कृषि वैज्ञानिक किसानो को आलू के सहारे अपना सूखा काटने की सलाह देने की कवायद में है.ग्रेनाईट की चट्टानों से घिरा बुंदेलखंड का इलाका अपने साथ 1441 वर्ग किलोमीटर परती भूमि लिए है जो खेती से वीरान है.
एनसीआरबी के आंकड़े के मुताबिक, इस दौरान छत्तीसगढ़ में 15,099, पश्चिम बंगाल में 13,098, गुजरात में 8,309, असम में 3,908, ओडिशा में 3,439, झारखंड में 1,197, हिमाचल प्रदेश में 669, त्रिपुरा में 430 और दिल्ली में 191 किसानों ने आत्महत्याएं की।
पंजाब ,बुंदेलखंड के आंकड़े और अधिक चिंतनीय है ! उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड में होने वाली किसान आत्महत्या का असर सुखाड़ ने अबकी साल कानपुर,घाटमपुर ,भोगनीपुर तक पहुंचा दिया है.26 अक्टूबर को भोगनीपुर के मलासा निवासी रणजीत सिंह ने बतलाया कि छोटा भाई धीर सिंह खेती करता है.दो अन्य भाई हरयाणा में मजदूरी पर है.चार भाइयो में तीन बीघे कृषि ज़मीन है.दो साल के सूखे ने धीर सिंह को 62,600 रूपये के कर्जे ने फांसी के फंदे तक पहुंचा दिया है...बैंक की नोटिस जारी हुई और किसान ने आत्महत्या कर ली ! बुंदेलखंड में ललितपुर,झाँसी के तालबेहट में सहरिया आदिवासी के हाल ख़राब है,गरोठा तहसील के जलालपूरा में 500 की आबादी पर 11 करोड़ का कर्जा क्रेडिट कार्ड से ! यहाँ किसान बिचौलियों के शिकार हुए कर्जे में.बाँदा का पैलानी -जसपुरा बेदम है सूखे से,महोबा और हमीरपुर भी इसी कड़ी में शामिल हुए...किसान को लोकसेवक सी कोई मासिक पेंशन नही,कोई किसान आयोग नही,संसद-नीति आयोग में सहभागी नही तब उसके लिए क्या बचता है नपुंसक आत्महत्या ! दूसरी ओर मध्यप्रदेश के जबलपुर से सटे गाँव में बारिश ने आंधी और ओलो की झड़ी से धन की तैयार खड़ी फसलों को धरासाई कर दिया है.स्थानीय निवासी मनोज कुमार ने बतलाया कि जब पानी की जरूरत थी तब नहीं गिरा ।जब इन घने बादलों की जरूरत थी तब नहीं बने
जब इन हवाओ की जरूरत थी तब नहीं चली, अब पानी भी गिर रहा है अब बादल भी बन रहे है और तूफ़ान भी चल रहा है ।पंजाब ,बुंदेलखंड के आंकड़े और अधिक चिंतनीय है ! उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड में होने वाली किसान आत्महत्या का असर सुखाड़ ने अबकी साल कानपुर,घाटमपुर ,भोगनीपुर तक पहुंचा दिया है.26 अक्टूबर को भोगनीपुर के मलासा निवासी रणजीत सिंह ने बतलाया कि छोटा भाई धीर सिंह खेती करता है.दो अन्य भाई हरयाणा में मजदूरी पर है.चार भाइयो में तीन बीघे कृषि ज़मीन है.दो साल के सूखे ने धीर सिंह को 62,600 रूपये के कर्जे ने फांसी के फंदे तक पहुंचा दिया है...बैंक की नोटिस जारी हुई और किसान ने आत्महत्या कर ली ! बुंदेलखंड में ललितपुर,झाँसी के तालबेहट में सहरिया आदिवासी के हाल ख़राब है,गरोठा तहसील के जलालपूरा में 500 की आबादी पर 11 करोड़ का कर्जा क्रेडिट कार्ड से ! यहाँ किसान बिचौलियों के शिकार हुए कर्जे में.बाँदा का पैलानी -जसपुरा बेदम है सूखे से,महोबा और हमीरपुर भी इसी कड़ी में शामिल हुए...किसान को लोकसेवक सी कोई मासिक पेंशन नही,कोई किसान आयोग नही,संसद-नीति आयोग में सहभागी नही तब उसके लिए क्या बचता है नपुंसक आत्महत्या ! दूसरी ओर मध्यप्रदेश के जबलपुर से सटे गाँव में बारिश ने आंधी और ओलो की झड़ी से धन की तैयार खड़ी फसलों को धरासाई कर दिया है.स्थानीय निवासी मनोज कुमार ने बतलाया कि जब पानी की जरूरत थी तब नहीं गिरा ।जब इन घने बादलों की जरूरत थी तब नहीं बने
कई खेतों की धान जमीं पर लेट गई है । अगर इन खेतों में पानी दोबारा भरा तो ये पूरी तरह खराब हो जाएँगी । अगर नहीं गिरा तो कम नुक़सान होगा । इस समय धान के दाने पुस्ट हो रहे है या हो चुके है । अगर धान गिर जाती है तो चावल पतला रह जाता । धान गिरने के दो मुख्य कारण बताये जाते है । पहला अधिक खाद के उपयोग से । यूरिया का ज्यादा इस्तेमाल से पौधे में अधिक लम्बाई आ जाती है । दूसरा धान अधिक घनी होने की वजह से । हवा चलने के दौरान एक के ऊपर के गिर जाते है और फसल लेट जाती है ।
बाक़ी अब बारिश नहीं होनी चाहिए वरना बहुत अधिक नुक़सान होने की सम्भावना है ।
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