केन की जगह अस्थाई तालाब में हुआ मूर्ति और ताजिया का विसर्जन
जल संरक्षण को आगे आये दुर्गा सेवक !
गत वर्षो में चलाए गए अभियान के लिए इस लिंक में क्लिक करे -
बाँदा - बुंदेलखंड में भी उच्च न्यायलय के आदेश का असर देखने को मिला.हाई कोर्ट इलाहाबाद ने गंगा -यमुना में मूर्ति विअर्जन को रोक लगा रखी है.जिसको प्रभावी रूप में लागू करने की कवायद में चित्रकूट जनपद में गत वर्ष ही पीओपी की मूर्तियों का विसर्जन मंदाकनी में रोक दिया गया था.जिलाधिकारी नीलम अहलावत ने ये काम बखूबी किया था.बुंदेलखंड के चित्रकूट मंडल मुख्यालय में उच्च न्याययालय के आदेश आने के पूर्व ही ज़िला फतेहपुर में गंगा को सहेजने की अगुआई का समर्थन करते हुए वर्ष 2010 से ये काम हो रहा था लेकिन इसका व्यापक असर 2012 में तब हुआ जब यहाँ केन नदी में प्रथम बार स्थानीय जल प्रहरियों ' भूमि विसर्जन ' या अस्थाई तालाब में प्लास्टर आफ पेरिस की मूर्ति विसर्जित करने का अभियान चलाया था.शहर में ग्यारह मूर्तियाँ भूमि विसर्जित हुई जिसका कुछ सांप्रदायिक ताकतों और इस पर्व की आड़ में अपनी सियासी गोट बिछाने वालों ने विरिध किया.स्थानीय संस्था प्रवास सोसाइटी उच्च न्याययालय इस बात के लिए गई कि केन नदी भी चिल्ला घाट में यमुना में और मंदाकनी नदी राजापुर ( पहाड़ी ) में यमुना नदी में मिलती है जिस कारण मूर्तियाँ बहकर यमुना में ही जाएगी.कोर्ट की सख्ती के बाद इस साल चित्रकूट की तीन सैकड़ा और बाँदा की कुल 250 मूर्तियाँ केन नदी किनारे अस्थाई तालाब में विसर्जित की गई है.अस्थाई तालाब को अगले दिवस नगर पालिका ने साफ कराया जिससे ताजिये भी ठन्डे हो सके. गौरतलब है की मुस्लिम भाई भी इस प्रकृति सम्यक कार्य में आगे आये उन्होंने अपने ताजियें भी ऐसे ही तालाब में प्रवाहित किये है.सभी दुर्गा पंडालों को इस पहल के लिए दिल्ली की संस्था अरण्या के सौन्जय से ' आस्था एवं पर्यावरण मित्र सम्मान ' देकर उत्साह बढ़ाया गया है.इस कार्य में संजय कश्यप,विबिन त्यागी,विजयपाल बघेल ने सहयोग किया.केन नदी इस वर्श्ज मूर्ति विसर्जन के बाद होने वाले प्रदूषण से बच पाई है .जल संकट से जूझ रहे इलाके में ये कार्य प्रेरणास्पद है.बाँदा के ग्राम महोखर के साथी योगेन्द्र सिंह 'योगी ',ब्रजेश सिंह ,सहर के दुर्गा पंडालों ने साझी सहभागिता की.- आशीष सागर,बाँदा
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