Wednesday, September 30, 2015

बिना फार्मेसिस्ट मेडिकल माफिया...क्या झोलाछाप और क्या लाइसेंस धारक !

फार्मेसिस्ट बैठते नही दुकानों में,मेडिकल स्टोर और नर्सिंग होम चलते झोपड़पट्टी-मकानों में !









बाँदा - सूबे के 75 जिलो का हाल हो या बेदम सरकारी स्वास्थ्य से घिरा बुंदेलखंड क्षेत्र सबके सब बिना फार्मेसिस्ट के चल रहे मेडिकल स्टोर,गैर पंजीकृत नर्सिंग होम और झोलाछाप डाक्टरों के आतंक से हलाकान है.
बुंदेलखंड के 6 जिलो बाँदा,महोबा,झाँसी,चित्रकूट,हमीरपुर,जालौन में  ललितपुर को छोड़कर  पुराने सरकारी वेबसाइट डाटा के मुताबिक (खाद्य एवं औषधी विभाग उत्तर प्रदेश)1807 पंजीकृत मेडिकल स्टोर है जबकि ये आंकड़ा करीब 5 साल पहले का है.औषधी विभाग के लिपिक धर्मेन्द्र की माने तो आज बाँदा में ही करीब 450 मेडिकल -रिटेल स्टोर और 250 थोक दवा विक्रेता है जिनके लाइसेंस बने है.वे कहते है कि वेबसाइट का डाटा कई साल से उपडेट नही है और प्रदेश के 75 जिलो में 52 जिलों के आंकड़े ही साईट में अपलोड है.
गौरतलब है कि सरकारी वेबसाइट में चढ़े पंजीकृत रिटेल और थोक मेडिकल दवा विक्रेता के लाइसेंस नवीनीकरण डेट के साथ नही दर्शाए गए है.यहाँ तक कि वर्ष 2009 तक के डाटा लाइसेंस के सम्बन्ध में दर्ज है! सवाल ये है कि इतने पुराने डाटा अपलोड जिनका अपडेट नही है क्या आम आदमी को गुमराह करने जैसा नही है तब जब सूचनाधिकार से सवाल -जवाबी की जाती हो कि आप आंकड़ा वेबसाइट से प्राप्त कर ले.माननीय उच्च न्यायलय ने याचिका संख्या 820 / 2002 में यूनानी,होम्योपैथिक आयुर्वेदिक और झोलाचाप डाक्टरों के अंग्रेजी दवा वितरण और इलाज पर रोक लगा रखी है बाजजूद बिना फार्मेसिस्ट ये रैकेट गाँव से शहर तक हर जिले में बेख़ौफ़ चल रहा है.एक फार्मेसिस्ट को कई - कई जगह दर्शाकर मेडिकल माफिया और ड्रग इंस्पेक्टर लोगो के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना अपना निज धर्म मान बैठे है.स्थानीय जिला बाँदा में शहर में ही मुकुल मेडिकल स्टोर,रमेश मेडिकल स्टोर कालू कुआं चोराहा ,डाक्टर मूलचंदानीसे लेकर हर बड़ा लाइसेंस धारक तहसीलों और गाँवो तक अपना जाल फैलाये है.शाम को देर रात अंग्रेजी शराब और मुर्गे में पार्टी देकर आपस में ये भी तय होहा ता कि किस पत्रकार को को जेल भिजवाना है और कैसे सीएमओ पर अपना रुतबा कायम रखा जाये ! हाल ही में बिसंडा के झोलाछाप डाक्टर राजकारण कुशवाहा ने अपर सीएमओ बाँदा के छापेमारी के दौरान अस्पताल सीज करने पर इलाके के डाक्टरों के साथ लामबंद होकर अपनी पत्नी के माध्यम से अश्लीलता के आरोप अधिकारी पर लगवाये,मामला मुकदमेबाजी तक जा पहुंचा तब हारकर स्वास्थ्य अधिकारी को समझौता करना पड़ा था.इन्ही डाक्टरों से आये दिन ग्रामीण क्षेत्रो में गरीब बच्चे और लोग गलत दवा से मर जाते है इनके पनपने का  एक बड़ा कारण सामुदायिक केन्द्रों में उन्हें इलाज न मिलना भी है वे जाये तो कहाँ जाये ?  मेडिसन दवा के  नियमानुसार 6 रिटेल दवा वितरक पर एक होल सेलर का लाइसेंस जारी किया जाता है.बिना डिग्री धारक फार्मेसिस्ट के मेडिकल स्टोर वाला अंग्रेजी दवा वितरण नही कर सकता है लेकिन क्या झोलाछाप और क्या अन्य ये सब जिला ड्रग अधिकारी,मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जिलाधिकारी की सरपरस्ती में कर रहे है.कुछ एमआर इन मेडिकल स्टोर में अंग्रेजी दवा कंपनी के सेम्पल तक देकर बिचवा रही है इसके साक्ष्य मेरे पास है जिसमे इलेक्ट्रानिक मीडिया के लोग तक शामिल है. यहाँ तक कि हाल ही में अब बाँदा के झोलाछाप डाक्टरों ने संघ बनाकर शिक्षा मित्रों की तरह खुद को ' चिकित्सा मित्र ' बनाये जाने की आवाज लगाना शुरू कर दी है.गत दिनों ऐसे ही सम्मलेन में समाजवादी स्थानीय नेता शमीम बांदवी,पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल और महेंद्र वर्मा अतर्रा में मौजूद थे जब उन्होंने झोलाछाप डाक्टरों को प्रदेश सरकार से चिकित्सा मित्र बनवाने का सियासी वादा किया है.
 इधर सूचनाधिकार में मिली जानकारी में जिला ड्रग अधिकारी आशुतोष मिश्रा ने बतलाया है कि एक मेडिकल स्टोर पर एक फार्मेसिस्ट ही काम कर सकता है,फुटकर,थोक दवा वितरक नर्सिंग होम का संचालन नही कर सकता है.बड़ी बात ये है कि वर्ष 2005 से 2015 तक ( दस साल )में जिला बाँदा ने महज 30,000 की अवैध दवा तीन मेडिकल स्टोर से पकड़ी है बाकि दिवस ये आराम करते रहे है.सूत्र बतलाते है कि एक लाइसेंस में तीस से पचास हजार कमीशन लिया जाता है,एक ड्रग अधिकारी के पास दो जिले भी है मसलन बाँदा और महोबा आशुतोष मिश्रा के पास ही है.प्रदेश का युवा फार्मेसिस्ट बेरोजगार घूमता है और मेडिकल माफिया यूनियन बनाकर गरीब जनता की जेब में,जिंदगी में डकैती डालते है. 

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