उत्तर प्रदेश सरकार किसानो का कर्जा माफ़ करे - राजनाथ सिंह
2 मई बाँदा / बुंदेलखंड से .....
केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह गत एक मई ( मजदूर दिवस ) को बाँदा में ' किसान महापंचायत ' को संबोधित किये है. इसके पहले वे महोखर गाँव में गए जहाँ एक किसान धीरेन्द्र सिंह की फसल देखी. अपने हाथ से गेहूं की काली पड़ी बालियों के दाने गिने इस दौरान एक किसान ने हाथ में चप्पल उठा ली ! ये देखकर कमांडो सक्ते में आ गए. लेकिन उस किसान ने अपनी मंशा जताते हुए कहा कि...'' साहेब हमार ई हालत हुई गा हवै कि आपन लाने एक जोड़ी चप्पल तक नाही ले सकत है ! टूटी चप्पलन मा पहने भये पेट चलाव,लड़कन का पालौ, बहुत मुस्किल हुइगा हवै ! '' तब जाकर कमांडो का भेजा शांत हुआ और सुरक्षाकर्मी नरम हुए l उधर एक मई को ही फसल बर्बादी पर चित्रकूट,बाँदा,हरदोई,फतेहपुर में 11 और किसानो ने आत्महत्या कर ली l राजनाथ सिंह ने किसानो से कहा कि फसल बीमा की जगह ' आमदनी बीमा योजना ' शुरू की जाएगी l कर्जमाफी की बात पर वे तपाक से बोले कि प्रदेश में समाजवादी सरकार है वो माफ़ करे हमने 6 हजार करोड़ रुपया भेज दिया है ! उन्होंने मध्यप्रदेश में सरकार
के कर्जमाफी का ज़िक्र किया ! इधर एक दिन पहले ( 30 अप्रैल ) को बाँदा आये मुख्यमंत्री ने कहा था कि देश का प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों उत्तर प्रदेश के निर्वाचित प्रतिनिधि है इसलिए कर्जा वे माफ़ करे ! ....अब सवाल ये है कि किसान किसको अपना हमदर्द माने ? किसने राहत राशी दी या नही विस्वास कैसे हो ? क्या किसान आत्महत्या महज सियासत का जुमला है ? बाँदा के बडोखर बुजुर्ग निवासी किसान रामऔतार अपने ग्रारह बीघा खेत में बोई फसल की मड़ाई कर रहा था सिर्फ डेढ़ कुंतल गेहूं निकलने पर उसको सदमा लगा और उसने जान दे दी ! इस पर साढ़े तीन लाख रुपया केसीसी से बैंक का कर्जा था.इसी तरह बबेरू के किसान रमाकांत ने देर रात कमरे में फांसी लगा ली. ये दस बीघा का कास्तकार था.
बुंदेलखंड के प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह, कैप्टन सूर्य प्रकाश मिश्र,आशीष सागर ने ' किसान आत्महत्या समाधान समिति ' के बैनर से अपनी 11 सूत्रीय मांगो को गृह मंत्री के सामने महोखर गाँव में वार्ता के समय रखा है. जिसमे किसान की आत्महत्या को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने,भूमिहीन / बटाईदार किसान को भी मुआवजा देने,किसान आयोग बनाने,बीमा कंपनी पर नकेल कसने,बुंदेलखंड की नदियों से खनन रोकने, किसान की सायानी बेटियों के ब्याह विधायक - सांसद निधि से कराने, किसानो को पेंशन दिए जाने की मांगे शामिल है.
केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह गत एक मई ( मजदूर दिवस ) को बाँदा में ' किसान महापंचायत ' को संबोधित किये है. इसके पहले वे महोखर गाँव में गए जहाँ एक किसान धीरेन्द्र सिंह की फसल देखी. अपने हाथ से गेहूं की काली पड़ी बालियों के दाने गिने इस दौरान एक किसान ने हाथ में चप्पल उठा ली ! ये देखकर कमांडो सक्ते में आ गए. लेकिन उस किसान ने अपनी मंशा जताते हुए कहा कि...'' साहेब हमार ई हालत हुई गा हवै कि आपन लाने एक जोड़ी चप्पल तक नाही ले सकत है ! टूटी चप्पलन मा पहने भये पेट चलाव,लड़कन का पालौ, बहुत मुस्किल हुइगा हवै ! '' तब जाकर कमांडो का भेजा शांत हुआ और सुरक्षाकर्मी नरम हुए l उधर एक मई को ही फसल बर्बादी पर चित्रकूट,बाँदा,हरदोई,फतेहपुर में 11 और किसानो ने आत्महत्या कर ली l राजनाथ सिंह ने किसानो से कहा कि फसल बीमा की जगह ' आमदनी बीमा योजना ' शुरू की जाएगी l कर्जमाफी की बात पर वे तपाक से बोले कि प्रदेश में समाजवादी सरकार है वो माफ़ करे हमने 6 हजार करोड़ रुपया भेज दिया है ! उन्होंने मध्यप्रदेश में सरकार
के कर्जमाफी का ज़िक्र किया ! इधर एक दिन पहले ( 30 अप्रैल ) को बाँदा आये मुख्यमंत्री ने कहा था कि देश का प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों उत्तर प्रदेश के निर्वाचित प्रतिनिधि है इसलिए कर्जा वे माफ़ करे ! ....अब सवाल ये है कि किसान किसको अपना हमदर्द माने ? किसने राहत राशी दी या नही विस्वास कैसे हो ? क्या किसान आत्महत्या महज सियासत का जुमला है ? बाँदा के बडोखर बुजुर्ग निवासी किसान रामऔतार अपने ग्रारह बीघा खेत में बोई फसल की मड़ाई कर रहा था सिर्फ डेढ़ कुंतल गेहूं निकलने पर उसको सदमा लगा और उसने जान दे दी ! इस पर साढ़े तीन लाख रुपया केसीसी से बैंक का कर्जा था.इसी तरह बबेरू के किसान रमाकांत ने देर रात कमरे में फांसी लगा ली. ये दस बीघा का कास्तकार था.
बुंदेलखंड के प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह, कैप्टन सूर्य प्रकाश मिश्र,आशीष सागर ने ' किसान आत्महत्या समाधान समिति ' के बैनर से अपनी 11 सूत्रीय मांगो को गृह मंत्री के सामने महोखर गाँव में वार्ता के समय रखा है. जिसमे किसान की आत्महत्या को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने,भूमिहीन / बटाईदार किसान को भी मुआवजा देने,किसान आयोग बनाने,बीमा कंपनी पर नकेल कसने,बुंदेलखंड की नदियों से खनन रोकने, किसान की सायानी बेटियों के ब्याह विधायक - सांसद निधि से कराने, किसानो को पेंशन दिए जाने की मांगे शामिल है.
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