प्रकृति निर्दई नही होती ये हमारे ही विनाशकारी कृत्य है !
sad and this is people task ...sad
26 अप्रैल - गत शनिवार को मित्र राष्ट्र नेपाल समेत बिहार और भारत के अन्य राज्यों में आये भूकंप के जलजले ने एक बार पुनः मानव को प्रकृति से न टकराने की प्रत्यक्ष सलाह दी है. ये बात अलग है कि हजारो उजड़े परिवार के साथ मेरी भी उतनी ही संवेदना एक आदमी के होने के नाते है जितनी की अन्य की. मन तो नही करता दुःख करने का लेकिन क्या करू अगर ऐसा नही किया तो अमानवीय और क्रूर भी कहा जा सकता है मुझे !
आज अमर उजाला समेत अन्य प्रमुख समाचार पत्रों में इस आकस्मिक आपदा के तांडव पर फ़िल्मी दुनिया के दिग्गजों के सोशल मीडिया में जारी कमेन्ट और टूवीट कमेन्ट छाये है मै उनकी संवेदना से पूछना चाहता हूँ कि जिन्हें समाचार पत्र ऐसी प्राकृतिक घटनाओ पर हीरो और सेलेब्रेटी बनाते है वे इसके आलावा इन पीड़ित परिवारों के लिए क्या करते है ? अपने पास पब्लिक के मनोरंजन से कमाए अरबो रुपयों में से उन्होंने अब तक कितना सोशल चेरटी किया है ? किंग खान,सत्यमेव जयते,अमिताभ बच्चन से लेकर तमाम क्रिकेटर तक की भीड़ में क्या किसी ने नेपाल समेत का कोई एक गाँव गोद लिया है ? यही केदार आपदा के समय हुआ था. महज सोशल मीडिया के बयान से ये अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर लेते है और खबरे उन्हें सुपर हीरो बना देती है मानवता का !
आज के स्थानीय अमर उजाला कानपुर संस्करण में बुंदेलखंड में शनिवार को महसूस किये गए भूकंप के झटको पर मैंने यहाँ अनवरत जारी प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और ग्रेनाईट प्लाईट को क्षति पहुँचाने वाले खनन कारोबार को ज़िम्मेदार ठहराया है. यही कारोबार यहाँ की आवाम को भविष्य में भूकंप और जल संकट की तरफ ले जा रहा है इसके साथ शामिल है इससे ही जुड़े अन्य संकट मसलन किसान आत्महत्या और सूखा l ...दुखद मानवीय कृत्य है हम सबके मगर खोखला अभिमान कहाँ झुकने देता है ?
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