Wednesday, April 29, 2015

शजर के आईने में रहने वाले बुंदेलखंड का आज ' किसान आत्महत्या '

29 अप्रैल जारी -
साभार - Preety Choudhari की facebook वाल से .....
मित्रो आज अमर उजाला समाचार में झाँसी के जिलाधिकारी श्री अनुराग यादव और उनकी धर्म पत्नी प्रीती चौधरी जी के संवेदित बयानों को पढ़ा l ...बुंदेलखंड के किसानो की लगातार हो रही आत्महत्या पर इनका नजरिया हर उस ब्यूरोक्रेट्स को पढ़ना और समझना चाहिए जो लाल फीताशाही के बंधन में बंधकर अपने अधिकार और कर्तव्य को न निभाने की उहा -पोह में है .....पोस्ट के साथ आज अमर उजाला में प्रकाशित ये खबर भी दे रहा हूँ ....किसानो की संवेदना के दो साथी और साक्षी की नजर से पढ़े कभी शौर्य और शजर के आईने में रहने वाले बुंदेलखंड का आज .....आभार आपको l



'' मित्रों ,
मैं जानती हूँ कि फ़ेसबुक एक आभासी दुनिया है ,पर इस आभासी दुनिया ने भी कई गंभीर मुद्दों पर जो मंच सबको उपलब्ध कराया है ,उसको नकारना संभव नहीं .फेसबुक पर अब तक मैं भी अपने अकादमिक जीवन और घूमने फिरने की ही तस्वीरें साझा कर अपने दोस्तों से जुड़ा हुआ महसूस करती थी .आज जो पोस्ट मैं लिखने जा रही ,वह बहुत निजी होते हुये भी निजी नहीं है.बात दरअसल ये है कि अब तक मैं बुंदेलखंड के जिन क़िलों ,बाँधों और बेतवा तथा इतिहास से रू-ब-रू होती रही उनके बरकस अब बुंदेलखंड के एेसे यथार्थ से मुख़ातिब हूँ ,जिसे जानते तो हम सभी हैं पर सबकुछ सामने देख उसे शिद्दत से महसूस कर बहुत बेचैन हूँ .पी.साईनाथ से विदर्भ/कालाहांडी के विमर्श तो कई बार समझा पर आजकल अनुराग (जो मेरे हमसफ़र और झाँसी के ज़िलाधिकारी हैं )के साथ बुंदेलखंड के किसानों पर रोज़ बात करते और सोचते लगा कि आज इस मुद्दे पर अपने मित्रों की भी राय ले ली जाय......मीडिया ने जिस तरह किसानों की बदहाली का मुद्दा राजनैतिक दलों के एजेंडे पर रखा है ,उसने राज्य और केंद्र दोनों में किसानों का ज़्यादा हितैषी दिखाने की होड़ सी लगा दी है .इस होड़ के बीच किसानों की आत्म हत्या और फसल की बर्बादी के कारण उनके हार्ट अटैक से मरने का सिलसिला रोज अखबारों की सुर्ख़ियों में है. बकौल अनुराग सिर्फ झाँसी में ही अबतक ऐसी लगभग 20 मौतों की रिपोर्ट है. इनमे से लगभग सभी गरीब और कर्ज में डूबे किसान हैं .मित्रों आप लोगों से राजनैतिक बहस या इससे जुड़े अन्य किसी मुद्दे पर बहस न कर सिर्फ एक सुझाव चाहिए.... पिछले दो- तीन हफ़्तों में जब भी मैंने अनुराग से ये कहा की इन मरने वालों की मदद किस योजना से होगी तो अनुराग ने बताया कि, “किसी दुर्घटना में मरने वाले किसान के परिवार को 5 लाख की सहायता मिलती है,पर सबसे बड़ी मुश्किल ये है की आत्म हत्या और हार्ट अटैक को इसमें नहीं रखा जा सकता क्योंकि किसी भी तंत्र के लिए आत्महत्या पर सहायता उस देश में जहाँ गरीबी इस कदर है, एक तरह से लोगों को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का काम करेगा और दूसरी और हार्ट अटैक भी नहीं शामिल हो सकता क्योंकि ये अन-नेचूरल नहीं माना जाता".ऐसे परिवारों की मदद अलग से कर दो जब मैंने ये ज़िद अनुराग से की क्योंकि मैं जानती हूँ डीएम के रूप में कई बार अफसर लोगों की कई तरह से मदद करने की स्थिति में होते हैं और ये प्रशासनिक व्यवस्था को समझने वाले लोग अच्छी तरह से जानते हैं .इस बात का जवाब ये मिला की सारा द्वन्द इस बात को लेकर है की 20-25 मरने वालों की सहायता करना कहीं आत्महत्या को बढ़ावा देने वाला कदम न मान लिया जाए. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ऐसे परिवारों के लिए अपने विवेकाधीन कोष से मदद का ऐलान किया है और हो सकता है इनकी कुछ मदद हो भी जाय पर ये मदद नाकाफ़ी होगी .साथियों मैंने आज ये तय किया है ........अपने पास से एक लाख रूपये इन किसान परिवारों के लिए दूंगी और अनुराग का एक माह का वेतन भी ,जो एक लाख है ,यानि 2 लाख रूपये तो अभी जमा होगये हैं .मुझे यक़ीन है की कम से कम झाँसी के मृत किसान परिवारों के लिए हम पर्याप्त पैसे जमा कर लेगें .लक्ष्य कम से कम एक लाख प्रति परिवार का है. दोस्तों मुख्य मुद्दे पर आपकी राय का इंतजार है कि क्या तात्कालिक सहायता ऐसे 20-25 परिवारों की इस तरह (पैसे देकर )करनी चाहिए या फिर ऐसी सहायता के कुछ और मायने भी हो सकते हैं .आशंका एक ये भी है की कहीं इस तरह की मदद जिन्दा ग़रीब किसानों को इस एहसास से ना भर दे कि उनके मरने की कीमत उनकी ज़िंदगी से ज़्यादा है.
मुझे लगता है ,अपने बंद कमरों में बहस करने और सरकारों को कोसने की बजाय हमें अपने स्तर से इन बदहाल किसानों की मदद करनी होगी .मुद्दा गंभीर है , मैं भी पशो-पेश में हूँ. आप सबकी राय का इंतजार अगले तीन दिनों तक रहेगा. जो भी मित्र मेरे कदम से सहमत हैं ,उन्हें सबसे पहले हमारे इरादे पर भरोसा करना होगा और इस अभियान में अपने एक दिन की आमदनी देनी होगी .जो एक दिन की आमदनी नहीं दे सकते वे सलाह ज़रूर दें ,मशवरों पर खुले दिमाग़ से विचार होगा....''

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