'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न सम्मान समारोह 2015'
लखनऊ: राजधानी लखनऊ में गत शनिवार 18 अप्रैल को देश के कोने-कोने से आरटीआई एक्टिविस्ट जुटे। मौका था 'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न सम्मान समारोह 2015' और 'आरटीआई एक्ट संरक्षक के दायित्वों के निर्वहन में सूचना आयोगों की प्रभावकारिता' विषयक राष्ट्रीय विचार गोष्ठी का जिसमें देश के 29 सूचना आयोगों के संगठन, परिश्रम, क्षमता पर विस्तृत विचार विमर्श किया गया और आयोगों के कार्यो और मूल्यांकन कर रिपोर्ट कार्ड बनाया गया।
इस मौके पर आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा सूचना आयोगों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए सुझाव दिए गए, जिनमें से साझे सुझाव कार्यक्रम आयोजित करने वाले सामाजिक संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान द्वारा देश के सभी 29 सूचना आयोगों को प्रेषित किए जाएंगे।
राजधानी के राय उमानाथ बाली प्रेक्षागृह के जयशंकर प्रसाद सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि आरटीआई एक्टिविस्ट भी मानवाधिकार कार्यकर्ता ही हैं, पर अब तक आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमलों के 250 से अधिक मामले प्रकाश में आ चुके हैं जिनमें से 40 मामले हत्या के हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि विहिसिल-ब्लोअर कानून के बाद भी आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या का सिलसिला रुक नहीं रहा है। वक्ताओं ने कहा कि देश के राजनैतिक दल स्वयं को आरटीआई से बाहर रखने के लिए हरसंभव चालें चल रहे हैं।
आरटीआई आवेदनों की संख्या में बढ़ोतरी का कम होना यह बताता है कि नागरिकों में सरकार के प्रति विश्वास में कमी आ रही है। वक्ताओं ने कहा कि आरटीआई आवेदनों की संख्या का रिकॉर्ड रखने का कोई भी सरकारी तंत्र नहीं है और इसीलिए आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमले के मामलों की सही संख्या भी मालूम नहीं है।
इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने आरटीआई कार्यकर्ताओं को 'गवाह सुरक्षा अधिनियम' के तहत सुरक्षा दिए जाने की मांग भी उठाई।
लोकेश बत्रा व सुभाष चंद्र अग्रवाल और आशीष सागर दीक्षित सम्मानित :
देश में पारदर्शिता के आंदोलन का मजबूती से नेतृत्व करने तथा विस्तृत लोकहित वाले जनकल्याणकारी कार्यो के लिए आरटीआई का प्रयोग कर देश को सार्थक परिणाम देने वाले उत्तर प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ता कोमोडोर लोकेश बत्रा और दिल्ली के समाजसेवी सुभाष चन्द्र अग्रवाल को इस वर्ष का 'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक लाइफटाइम अचीवमेंट आरटीआई सम्मान 2015' देकर सम्मानित किया गया।
आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाने समेत अनेकों जनकल्याणकारी कार्यो के लिए आरटीआई का प्रयोग करने बाले उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के निवासी गौरव अग्रवाल को 'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न सम्मान 2015' का पुरस्कार दिया गया। आरटीआई का प्रयोग पर्यावरण ,अवैध खनन और किसान आन्दोलन समेत अन्य जमीनी समस्याओं के समाधान के लिए उठाने बाले उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के निवासी आशीष सागर दीक्षित पुरस्कार विजेता बने l गौरतलब है कि पूर्व बसपा सरकार में कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दकी को लोकायुक्त की जाँच के बाद ईडी और सीबीआई के मुकदमो तक पहुँचाने वाले आशीष सागर ही थे l अब तक 850 आरटीआई डालकर भ्रस्टाचार के खिलाफ ये मुहीम जारी है l वहीं 'समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के आरटीआई द्वारा सशक्तीकरण' के प्रतिमान बने उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के निवासी गुरु प्रसाद ने तृतीय पुरस्कार जीता।
इस मौके पर आरटीआई कार्यकर्ता सलीम बेग, अखिलेश सक्सेना, बाल कृष्ण गुप्ता, अशोक कुमार गोयल, होमेंद्र कुमार, हरपाल सिंह, कमलेश अग्रहरि, केदार नाथ सैनी, महेंद्र अग्रवाल, अशोक कुमार शुक्ल, नीरज शर्मा और सैयद शारिक कमर को उनकी बहादुरी के लिए आरटीआई बहादुरी सम्मान 2015 प्रदान कर सम्मानित किया गया।
सन्दर्भ - इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
इस मौके पर आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा सूचना आयोगों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए सुझाव दिए गए, जिनमें से साझे सुझाव कार्यक्रम आयोजित करने वाले सामाजिक संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान द्वारा देश के सभी 29 सूचना आयोगों को प्रेषित किए जाएंगे।
राजधानी के राय उमानाथ बाली प्रेक्षागृह के जयशंकर प्रसाद सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि आरटीआई एक्टिविस्ट भी मानवाधिकार कार्यकर्ता ही हैं, पर अब तक आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमलों के 250 से अधिक मामले प्रकाश में आ चुके हैं जिनमें से 40 मामले हत्या के हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि विहिसिल-ब्लोअर कानून के बाद भी आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या का सिलसिला रुक नहीं रहा है। वक्ताओं ने कहा कि देश के राजनैतिक दल स्वयं को आरटीआई से बाहर रखने के लिए हरसंभव चालें चल रहे हैं।
आरटीआई आवेदनों की संख्या में बढ़ोतरी का कम होना यह बताता है कि नागरिकों में सरकार के प्रति विश्वास में कमी आ रही है। वक्ताओं ने कहा कि आरटीआई आवेदनों की संख्या का रिकॉर्ड रखने का कोई भी सरकारी तंत्र नहीं है और इसीलिए आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमले के मामलों की सही संख्या भी मालूम नहीं है।
इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने आरटीआई कार्यकर्ताओं को 'गवाह सुरक्षा अधिनियम' के तहत सुरक्षा दिए जाने की मांग भी उठाई।
लोकेश बत्रा व सुभाष चंद्र अग्रवाल और आशीष सागर दीक्षित सम्मानित :
देश में पारदर्शिता के आंदोलन का मजबूती से नेतृत्व करने तथा विस्तृत लोकहित वाले जनकल्याणकारी कार्यो के लिए आरटीआई का प्रयोग कर देश को सार्थक परिणाम देने वाले उत्तर प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ता कोमोडोर लोकेश बत्रा और दिल्ली के समाजसेवी सुभाष चन्द्र अग्रवाल को इस वर्ष का 'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक लाइफटाइम अचीवमेंट आरटीआई सम्मान 2015' देकर सम्मानित किया गया।
आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाने समेत अनेकों जनकल्याणकारी कार्यो के लिए आरटीआई का प्रयोग करने बाले उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के निवासी गौरव अग्रवाल को 'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न सम्मान 2015' का पुरस्कार दिया गया। आरटीआई का प्रयोग पर्यावरण ,अवैध खनन और किसान आन्दोलन समेत अन्य जमीनी समस्याओं के समाधान के लिए उठाने बाले उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के निवासी आशीष सागर दीक्षित पुरस्कार विजेता बने l गौरतलब है कि पूर्व बसपा सरकार में कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दकी को लोकायुक्त की जाँच के बाद ईडी और सीबीआई के मुकदमो तक पहुँचाने वाले आशीष सागर ही थे l अब तक 850 आरटीआई डालकर भ्रस्टाचार के खिलाफ ये मुहीम जारी है l वहीं 'समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के आरटीआई द्वारा सशक्तीकरण' के प्रतिमान बने उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के निवासी गुरु प्रसाद ने तृतीय पुरस्कार जीता।
इस मौके पर आरटीआई कार्यकर्ता सलीम बेग, अखिलेश सक्सेना, बाल कृष्ण गुप्ता, अशोक कुमार गोयल, होमेंद्र कुमार, हरपाल सिंह, कमलेश अग्रहरि, केदार नाथ सैनी, महेंद्र अग्रवाल, अशोक कुमार शुक्ल, नीरज शर्मा और सैयद शारिक कमर को उनकी बहादुरी के लिए आरटीआई बहादुरी सम्मान 2015 प्रदान कर सम्मानित किया गया।
सन्दर्भ - इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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