25 अप्रैल को आये नेपाल -भारत भूकंप पर विशेष...
(तस्वीर में महोबा के कबरई का गंगा मैया पहाड़ को देखे ) गत माह की है.
1 - '' आदमी को अपने किये का अच्छा सिला मिला है,
मगर फिर भी कहाँ उसको तनिक भी गिला है l
उजाड़ करके हरियाली, नदियाँ और पहाड़ ,
मिथ्या दंभ में आदमी की सुनते हो दहाड़ l
ये सच है पल भर में खाक में मिल जाओगे,
क्या अम्बानी,टाटा,बाटा, सब यही पड़े रह जाओगे l
न अपने करनी से अपना ही अस्तित्व मिटाओ ,
न दुनिया की धरती को कूड़ादान बनाओ l
कुदरत ने इंसान बनाकर भेजा तेरा शरीर ,
पर छद्म अहंकार में डूबा तू नही रहा गंभीर....l
बताओ बुरा क्या हुआ है , ये तो अभी धुँआ है l ''
फर्जी घमंड में चूर है ये आदमी ,
इसकी ही करनी से वसुंधरा बेहाल है l
नदी - पहाड़ो को नष्ट किया , जंगलो को वीरान ,
कंक्रीट के विकास में रोज मरे किसान l
मिटा दो इनकी हस्ती को रह न जाये शेष ,
रब के सामने भी आये ये आदम का भेष l
बाँदा - बुंदेलखंड का महोबा इस काले पत्थर से बुंदेलो मजदूर किसानो ,भूमिहीन युवाओ और माफिया को रोजगार मिल रहा है. सरकार को राजस्व की ये खेती जितनी सुखद है बुंदेलखंड के आने वाले भविष्य के लिए ये खेल उतना ही भयावह है ! जिस रफ़्तार से बुंदेले तबाही की तरफ ये बढ़ रहे है उसकी भरपाई समय करेगा l वर्तमान का लाभ अच्छा है इसलिए यहाँ के बाँदा ,चित्रकूट,महोबा,झाँसी,ललितपुर और मध्यप्रदेश से लगा पन्ना,छतरपुर,सागर,भिंड -मुरैना आदि इलाकों के गाँव और बासिन्दे सरकार - माफिया के पाले में है. हाल वही है.…18 सूखा पड़ा है इस बुंदेलखंड के जल संकट वाले क्षेत्र में और कहावत भी पुरानी
है .....‘ गगरी न फूटे - चाहे खसम मर जाये ’ बानगी के लिए कुछ ऐसा ही बाँदा –महोबा मार्ग पर कबरई पत्थर मंडी के गंगा मैया और पचपहरा पहाड़ का है.ये मौत की घाटी बन चुकी है. 200 मीटर ऊँचे पहाड़ो को इतना ही नीचे तक मशीनों से खोद दिया गया है.जमीन से निकलने वाले पानी को जेटपम्प लगाकर उलीचा जाता है. गौरतलब है कि बुंदेलखंड की प्लाईट ( भूगर्भीय भूमि ) काले और भूरे ग्रेनाईट की है. यहाँ ग्रेनाइट के आलावा युरेनियम ,सिल्का सैंड,हीरा,अभ्रक,तांबा,शीशा,लाल रेत,सोना के कुछ अंश आदि मिलते है. पर्यावरणीय स्रोतों से भरपूर रहा ये इलाका आज सरकार और खनन माफिया की काली निगाह में है. वैसे तो ये सुरक्षित जोन है भूकंप,आपदा के लिए मगर जिस तरह से बेपरवाह माफिया और सरकार ये पहाड़ो का खनन कर रहे वो वीरान बुंदेलखंड की तकदीर बनेगी l यहाँ का भविष्य भूकंप और जल त्रासदी का कालखंड होगा. आज बाँदा समेत अन्य बुंदेलखंड के जिलो में भूकंप के झटके आये है. सरकारी दफ्तरों की छुट्टी कर दी गई है लेकिन उस दिन क्या करोगे आदम जब ये प्रकृति तुम सबकी हमेशा के लिए यूँ ही अचानक छुट्टी कर देगी ! भागो अभी और भागो कंकरीट के विकास की तरफ !
1 - '' आदमी को अपने किये का अच्छा सिला मिला है,
मगर फिर भी कहाँ उसको तनिक भी गिला है l
उजाड़ करके हरियाली, नदियाँ और पहाड़ ,
मिथ्या दंभ में आदमी की सुनते हो दहाड़ l
ये सच है पल भर में खाक में मिल जाओगे,
क्या अम्बानी,टाटा,बाटा, सब यही पड़े रह जाओगे l
न अपने करनी से अपना ही अस्तित्व मिटाओ ,
न दुनिया की धरती को कूड़ादान बनाओ l
कुदरत ने इंसान बनाकर भेजा तेरा शरीर ,
पर छद्म अहंकार में डूबा तू नही रहा गंभीर....l
बताओ बुरा क्या हुआ है , ये तो अभी धुँआ है l ''
2 - एक करवट भी न ली तब ये हाल है,
वाह रे प्रकृति तेरा क्या कमाल है ? फर्जी घमंड में चूर है ये आदमी ,
इसकी ही करनी से वसुंधरा बेहाल है l
नदी - पहाड़ो को नष्ट किया , जंगलो को वीरान ,
कंक्रीट के विकास में रोज मरे किसान l
मिटा दो इनकी हस्ती को रह न जाये शेष ,
रब के सामने भी आये ये आदम का भेष l
बाँदा - बुंदेलखंड का महोबा इस काले पत्थर से बुंदेलो मजदूर किसानो ,भूमिहीन युवाओ और माफिया को रोजगार मिल रहा है. सरकार को राजस्व की ये खेती जितनी सुखद है बुंदेलखंड के आने वाले भविष्य के लिए ये खेल उतना ही भयावह है ! जिस रफ़्तार से बुंदेले तबाही की तरफ ये बढ़ रहे है उसकी भरपाई समय करेगा l वर्तमान का लाभ अच्छा है इसलिए यहाँ के बाँदा ,चित्रकूट,महोबा,झाँसी,ललितपुर और मध्यप्रदेश से लगा पन्ना,छतरपुर,सागर,भिंड -मुरैना आदि इलाकों के गाँव और बासिन्दे सरकार - माफिया के पाले में है. हाल वही है.…18 सूखा पड़ा है इस बुंदेलखंड के जल संकट वाले क्षेत्र में और कहावत भी पुरानी
है .....‘ गगरी न फूटे - चाहे खसम मर जाये ’ बानगी के लिए कुछ ऐसा ही बाँदा –महोबा मार्ग पर कबरई पत्थर मंडी के गंगा मैया और पचपहरा पहाड़ का है.ये मौत की घाटी बन चुकी है. 200 मीटर ऊँचे पहाड़ो को इतना ही नीचे तक मशीनों से खोद दिया गया है.जमीन से निकलने वाले पानी को जेटपम्प लगाकर उलीचा जाता है. गौरतलब है कि बुंदेलखंड की प्लाईट ( भूगर्भीय भूमि ) काले और भूरे ग्रेनाईट की है. यहाँ ग्रेनाइट के आलावा युरेनियम ,सिल्का सैंड,हीरा,अभ्रक,तांबा,शीशा,लाल रेत,सोना के कुछ अंश आदि मिलते है. पर्यावरणीय स्रोतों से भरपूर रहा ये इलाका आज सरकार और खनन माफिया की काली निगाह में है. वैसे तो ये सुरक्षित जोन है भूकंप,आपदा के लिए मगर जिस तरह से बेपरवाह माफिया और सरकार ये पहाड़ो का खनन कर रहे वो वीरान बुंदेलखंड की तकदीर बनेगी l यहाँ का भविष्य भूकंप और जल त्रासदी का कालखंड होगा. आज बाँदा समेत अन्य बुंदेलखंड के जिलो में भूकंप के झटके आये है. सरकारी दफ्तरों की छुट्टी कर दी गई है लेकिन उस दिन क्या करोगे आदम जब ये प्रकृति तुम सबकी हमेशा के लिए यूँ ही अचानक छुट्टी कर देगी ! भागो अभी और भागो कंकरीट के विकास की तरफ !
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