Wednesday, April 01, 2015

आखिर वो ' माँ ' है ...

 मित्रो मै आपको इस पोस्ट में ' अप्रैल फूल ' नही बना रहा हूँ l बस किरदार काल्पनिक है मगर किस्सा सच्चा है , पवित्र है,अलहदा है , सुन्दर है एक माँ के निश्छल स्वरुप में l ये मेरे एक फेसबुक महिला साथी / मित्र और अब मेरे अंतर के हिस्से की जिंदा कहानी है l उनकी हिदायत है की पहले तो जीवन में मेरे लिए कही लिखोगे नही , गर लिख भी दिया तो मेरे नाम की चर्चा करके मेरा महिमा मंडन न करना .....
आखिर वो ' माँ ' है ...
वो नही चाहती कि उनके परवारिक संबंधो में खटास पैदा हो मगर ये हकीकत समाज को इसलिए भी मालूम होना चाहिए कि बिना बेटे को जने भी एक माँ उसके किरदार को कितना जीवटता से जी सकती है .....उन्हें दिल से प्रणाम l 
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मध्यप्रदेश की सुन्दर और घने जंगलो से आबाद होशंगाबाद की विशाल पहाड़ियां l इन्ही के बीच बसी है देश और दुनिया में अपने हरियाली,बड़े - मोटे तनो वाले सागौन - चीड़ के जंगलो, घाटियों का विहंगम नजारा l हरियाली की दुल्हन ...पंचमढ़ी l कुछ करीब से देखी अभी तक बस एक ही बार मगर आज भी वो यादे जिंदा है l यहाँ की सजीली सुन्दरता में आज बिखरते संबंधो को जोड़ने का माद्दा है l समाज की वो बुलंद मिशाल माँ यहाँ जन्मी जो यकीनन अपवाद में होगी , गर कही एक और मिले तो बोलना अवश्य l 
'' एक मासूम से बच्चे से उसकी अपनी माँ अनायास ही दुर्घटना में बिछुड़ गई l जिस उम्र के पड़ाव में उस बच्चे को माँ के आँचल, उसकी ममता की सबसे अधिक ज़रूरत होती है l उस समय किसी से ममत्व का छिन जाना ठीक वैसा ही जैसे हम समाज में एक इंसान नही पत्थर बनाने के लिए आदमी की देह को छोड़ दे l उस बेटे को घर के अन्य सदस्य मसलन मासी ( मौसी ),पिता और रिश्तेदार ये कहकर उस अबोध बच्चे बहलाते कि.....माँ तो बाहर गई है अभी आ जाएगी !! अक्सर ये ही होता वो बच्चा अपनी माँ विरह पीड़ा में रोने लगता और अपनी माँ की बची निशानियों में माँ के निशान ढूंढता... लेकिन जब माँ थी ही नही तो आती कैसे ? 
मासूम बच्चा एक रोज अपने गृह जनपद से पिता के साथ पंचमढ़ी पंहुचा l एक धार्मिक उत्सव के आयोजन वास्ते l रिश्तेदारों के यहाँ उस अनुष्ठान की चहल -कदमी थी l पर ममता से असमय महरूम बेटा अपनी माँ को हर दीवारो -दर में खोज रहा था l बच्चे ने माँ की याद में एक बार फिर रोना शुरू किया l वो बेसिक फोन के पास जाकर बैठ गया और अपने हिसाब से नंबर डायल करने लगा l .... वो बेटा अक्सर ऐसा करता था जब उसको माँ की याद आती थी या जब वो धरती में अपनी माँ के अस्तित्व को तलाशता l क्योकि घरवालो उससे ये कहके रखे थे कि ... माँ बाहर गई है ,अभी फोन करेगी l...आ जाएगी ! बच्चे ने पंचमढ़ी में अपने पिता को बेसिक दूरभाष से नंबर डायल किया जो वही एक होटल में रुके थे l ये फोन कहाँ लगा ये उस माँ की तलाश में भटक रहे बच्चे को नही मालूम था l वो फोन उस बच्चे ने कान में लगाया और रोते हुए कहा कि....पापा कब आओगे ! माँ - माँ -माँ कहाँ है ! कब आयेगी और वो जोर -जोर से रोने लगा ....यूँ ही ये उसकी जिंदगी को बदलने वाला बेसिक फोन कट हो गया l अनायास जहाँ ये फोन लगा था उसे एक अजनबी लड़की ने रिसीव किया l उस युवा लड़की ने ज्यो ही उस बच्चे के करुण विलाप को सुना वह असहज हो गई l उस लड़की ने अपने एक पडोसी जो उन दिनों टेलीफोन एक्सचेंज में काम करते थे से जानकारी की कि वह फोन कहाँ से आया था l .....उस बिटिया को नंबर पता चला और उसने फोन किया l जब नंबर पर फोन उठा तो वो उसकी मासी ने उठाया l ....लड़की ने पूछा की मेरे नंबर पर आपके यहाँ से एक बच्चे ने फोन किया था वो ...पापा और फिर माँ चिल्लाकर रोया था ,ये कौन था ? 
सामने से उत्तर मिला ...माफ़ करियेगा बहन जी बच्चे ने गलती से फोन कर दिया होगा ! उसकी माँ नही है ....वो अक्सर ऐसा करता है फोन के पास बैठकर ...अपनी माँ को बुलाता है ...उसे बतलाया गया है कि माँ बाहर गई है लेकिन ...माँ !!!
बस ये सुनते ही उस बेटी की आंतरिक ममता ,निश्छल स्नेह का ममत्व या यूँ कहे अनजाना रिश्ता उबाल मारने लगा l फिर माँ से बिछुड़े बेटे और उस अजनबी पगली की अक्सर बाते होने लगी l 
ये कौन सा बंधन था ये दोनों नही जानते थे ...लेकिन उन्हें पता था कि दोनों को नियति ने मिलाया है और यही उस माँ की इक्षा है ...आखिर माँ जहाँ भी होगी अपने बच्चे के लिए चिंतित थी l दुनिया के हर प्यारे रिश्ते से ऊपर एक माँ और बेटे का रिश्ता l 
बच्चे - लड़की में बाते होने लगी l बाते इस अटूट बंधन में बदल चुकी थी की उस बेटी ने अपने परिवार से बगावत की , आज उस बेटे को उस अजनबी माँ की हद से ज्यादा ज़रूरत थी ...अपने सपनो को कुर्बान कर उस बेटी ने एक चौकाने वाला फैसला किया और उस बच्चे की असलियत में हमेशा के लिए माँ बन गई l ....बच्चे के पिता से उस लड़की का ब्याह हुआ और कभी अपने लिए संतान न जन्म देने का वादा लेकर वो सुन्दर माँ आज उस बच्चे अपनी माँ है l बेटे के प्यार में कोई कमी न रह जाये इस नाते उन्होंने अपनी कोख से बच्चा नही जना मगर ये बानगी है उन लोगो को जो ममता ,स्नेह और दुलार में कोख से जने बच्चे का सम्बन्ध ढूंढते है l आज वो माँ के मूल रूप को जिंदा कर रही है....अपने परिवार के साथ करीब तीन दशक बाद भी .....जीती रहेगी l ....माँ तुम्हे प्रणाम l
 

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