( तस्वीर -वनविभाग ने पट्टेधारक नीरजा सिंह पर वाईल्ड लाइफ के तहत वाद दर्ज किया,अमर उजाला में प्रकाशित पट्टेधारक नीरजा सिंह कि खबर और केन नदी जहाँ ये अवैध पुल बना है )....12 अप्रैल को सभी बाँदा से जारी
केन कि हत्या और सारस के पलायन में कानून भी दोषी !
बाँदा l लखनऊ की बालू पट्टेधारक नीरजा सिंह ( करीबी शिवपाल सिंह यादव,सपा )के दबंग और राजनीतिक पहुँच वाली धनकुबेर महिला है.इसका भला किसान और वनविभाग क्या बिगाड़ सकते है.इसकी खादन को लुकतरा ग्राम के हरिजन ग्राम प्रधान का मसीहा विश्वम्भर सिंह उर्फ़ लालू भैया(जिलाअध्यक्ष भाजपा किसान मोर्चा)चलवा रहा है.वन्यजीवो कि हत्या करने वाली विधवा महिला इतनी अधिक क्रूर है कि उसने तत्कालीन आयुक्त मुरलीधर दुबे पर मंत्री का दबाव डलवाकर वनविभाग कि रिपोर्ट को दरकिनार करके बक्क्षा खदान में अवैध पुल का निर्माण करा लिया.वनविभाग के समर्थन में लुकतरा गाँव के तमाम किसान और मैंने (सामाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर) ने खुद लिखित शिकायत कमिश्नर बाँदा से की है.वाईल्ड लाइफ की संरक्षित प्रजाति और उत्तर प्रदेश के राज्य पक्षी सारस का यहाँ से दबंग माफिया ने मिलकर पलायन करवाया है.इसके बावजूद सिविल जज सीनियर डिवीजन बाँदा ने रुतबे के प्रभाव में आकर अवैध पुल को सही करार दिया है इस निर्णय पर कोफ्त है,लानत है. एक न्यायधीश ही नदी माफिया के समर्थन में खड़ा है.गत दो माह से किसान और सामाजिक सरोकारी इस अवैध पुल के लिए आवाज उठा रहे है.नीरजा सिंह जो किसानो को भुखमरी कि तरफ ले जा रही है वो खुद भला कैसे असहाय हो सकती है. अधिवक्ता ने कुतर्को और बेबुनयादी शब्दों के खेल से न्यायधीश को गुमराह किया है. न्यायधीश से मेरी मांग है कि अगर ये पुल नही टूटा तो राज्य पक्षी सारस के विस्थापन के साथ केन कि अविरलता और उसकी धारा को मोड़ने के गुनाहगार वे भी होंगे.प्रतिदिन 200 ट्रको कि आवाजाही,पोकलैंड-लिफ्टर मशीनों से खनन जबकि नीरजा सिंह और इसके सहयोगी खदान मालिक प्रथ्वी पाल सिंह खंड संख्या 29/1 को उच्च न्यायलय ने मशीन चलाने कि अनुमति नही दी है.ये बाँदा में मात्र मनोज तिवारी और प्रकाश चन्द्र दिवेदी( साथी बाबू सिंह कुशवाहा पूर्व मंत्री,बसपा ) कि मिली है वो भी रास्ता दुरुस्त करने के लिए न कि खनन के लिए. बहुत जल्द इन्ही दबंग माफियाओ के लिए आन्दोलन चलाकर इनकी प्रतीकात्मक शव यात्रा गत वर्ष कि तरह निकाली जाएगी.
1 Comments:
हैरत की बात है कि खनन पट्टेधारक नीरजा सिंह हलफनामा देती है कि सारस विदेशी पक्षी है यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत नही आता है जबकि उत्तर प्रदेश वनविभाग का सरकारी प्रकाशन वेटलैंड पर लिखता है अपनी वार्षिक बुकलेट में कि हमारा राज्य पक्षी सारस जिसे अंग्रेजी में ( Grus Antigone ) कहते है भारतीय पक्षी ही है जिसको भारतीय सारस क्रेन भी कहा जाता है l यह विश्व में उड़ने वाले पक्षियों में सबसे बड़ा पक्षी है इसकी उंचाई लगभग 156 से 180 सेंटीमीटर तक होती है यह जुलाई से सितम्बर तक प्रजनन करता है l
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