क्या इस चौधरी का पता खोलेगी सी0बी0आई ?
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पंकज सिंह परिहार @ महोबा
हाथों में आर0डी0एक्स0 लेकर मौत की खदानों में उतर रहे है मासूम
तीन सौ फिट गहरी खदान में नही है माइनिंग प्लान
महोबा। पैसे की भूख मिटाने के लिये जिस तरह पहाड़ों में अधांधुध खनन किया जा रहा है वो काबिले गौर है ! बुंदेलखंड के महोबा में धरती का सीना छलनी करके पहाड़ माफिया आरडीएक्स(प्रतिबंधित बारूद)का इस्तेमाल खनन में कर रहे है उसे देखकर लगता है कि इस देश में निजाम है ही नहीं ! कागजों में बन्द खनन तो हो ही रहा है लेकिन इस काम में कितनो की जिन्दगी दाव में लगी रहती है इसका उदाहरण गौरहारी में हुई घटना में सबने देख लिया है। महज कुछ ही दिनों मे निलम्बित खनिज अधिकारी फिर से कुर्सी पर आ गया है। उनके निलंबन की प्रक्रिया से जैसे खनन करने वालों को सदमा लग गया था ! जुगाड़ के इस देश / प्रदेश ने इस खनिज अधिकारी को एक बार फिर महोबा को खोखला करने की आजादी समाजवादी सरकार में दे रखी है.
गौरहारी की शक्ल में किसी घटना की इबारत महोबा मुख्यालय से 10 किमी0 की दूरी पर चल रहे डहर्रा पहाड़ पर लिखी जा रही है। खनन के नियम कानून तो छोड़िये। यहां मासूम पत्थरों में आर0डी0एक्स0 लगा रहे है। डहर्रा का गाटा संख्या-339 में प्रवीण कुमार पुत्र नरेन्द निवासी विवेक नगर कबरई पट्टे की वैधता 9 फरवरी 2015 को समाप्त हो गयी थी लेकिन आज ही यहां प्लास्टिंग करके भारी अर्थमूविंग मशीनों से काम कराया जा रहा है। पहाड़ों की पड़ताल में निकलने पर जो तस्वीर सामने आ रही है उन्हें देखकर लगता है कि यहां कोई सुरक्षित नहीं है। जहां ब्लास्टिंग के नियम कहते है कि लाईसेंस धारक प्रशिक्षित ब्लास्टर के बिना ब्लास्टिंग नहीं कराई जा सकती है लेकिन यहां तो मासूम हाथों में आर0डी0एक्स लेकर मौत की खदानों में उतर रहे हैं।
किताब की जगह उनके हाथों में आर0डी0एक्स0 थमाने के पीछे किसका हाथ है जानने के लिये हमारे कैमरे में जो टेप हुआ है वह हैरान कर देने वाला है। पहाड़ में ही काम करने वाले ने बताया कि पप्पू यादव व शीतल यादव नाम के व्यक्ति इस पहाड़ पर काम करा रहे है और किसी चौधरी के आदमी है जिसके पार्टनर शिप में यह पहाड़ चल रहा है। बतलाते चले चौधरी का पूरा पता कामगार बताने से पहले कैमरे के रूख को भाप चुका था। उसने सिर्फ इशारा में बताया कि जिसके क्रेशर लगे है। कामगार से पूछने पर वह इतना घबड़ा गया कि कहने लगा कि मेरी जान बचा लेना। इस बात से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि अवैध काम कराने वाला माफिया कितना ताकतवर होगा।
ऐसे में सवाल यह होता है कि जिला प्रशासन के नाक के नीचे मौत का खतरनाक खेल खेलने वालों पर बालू की अवैध खनन की जांच में निकली सी0बी0आई0 टीम इन तथ्यों पर भी गौर करेगी और उस चैधरी का पता खोलेगी? या फिर गौरहारी का इतिहास फिर दोहराया जायेगा और खनिज अधिकारी यह कहकर बच निकलेगा कि पहाड़ बन्द था। प्रशासन को सूचना दे दी गयी थी खनिज विभाग को इस खनन की जानकारी ही नहीं लगी। सीबीआई भले ही बालू की खदानों में मिटे हुए साक्ष्यों की पैबंद खोजने जाये मगर महोबा से पहाड़ो की पड़ताल कार्यवाही तक जारी है ! - प्रवासनामा डेस्क बाँदा
पंकज सिंह परिहार @ महोबा
हाथों में आर0डी0एक्स0 लेकर मौत की खदानों में उतर रहे है मासूम
तीन सौ फिट गहरी खदान में नही है माइनिंग प्लान
महोबा। पैसे की भूख मिटाने के लिये जिस तरह पहाड़ों में अधांधुध खनन किया जा रहा है वो काबिले गौर है ! बुंदेलखंड के महोबा में धरती का सीना छलनी करके पहाड़ माफिया आरडीएक्स(प्रतिबंधित बारूद)का इस्तेमाल खनन में कर रहे है उसे देखकर लगता है कि इस देश में निजाम है ही नहीं ! कागजों में बन्द खनन तो हो ही रहा है लेकिन इस काम में कितनो की जिन्दगी दाव में लगी रहती है इसका उदाहरण गौरहारी में हुई घटना में सबने देख लिया है। महज कुछ ही दिनों मे निलम्बित खनिज अधिकारी फिर से कुर्सी पर आ गया है। उनके निलंबन की प्रक्रिया से जैसे खनन करने वालों को सदमा लग गया था ! जुगाड़ के इस देश / प्रदेश ने इस खनिज अधिकारी को एक बार फिर महोबा को खोखला करने की आजादी समाजवादी सरकार में दे रखी है.
गौरहारी की शक्ल में किसी घटना की इबारत महोबा मुख्यालय से 10 किमी0 की दूरी पर चल रहे डहर्रा पहाड़ पर लिखी जा रही है। खनन के नियम कानून तो छोड़िये। यहां मासूम पत्थरों में आर0डी0एक्स0 लगा रहे है। डहर्रा का गाटा संख्या-339 में प्रवीण कुमार पुत्र नरेन्द निवासी विवेक नगर कबरई पट्टे की वैधता 9 फरवरी 2015 को समाप्त हो गयी थी लेकिन आज ही यहां प्लास्टिंग करके भारी अर्थमूविंग मशीनों से काम कराया जा रहा है। पहाड़ों की पड़ताल में निकलने पर जो तस्वीर सामने आ रही है उन्हें देखकर लगता है कि यहां कोई सुरक्षित नहीं है। जहां ब्लास्टिंग के नियम कहते है कि लाईसेंस धारक प्रशिक्षित ब्लास्टर के बिना ब्लास्टिंग नहीं कराई जा सकती है लेकिन यहां तो मासूम हाथों में आर0डी0एक्स लेकर मौत की खदानों में उतर रहे हैं।
किताब की जगह उनके हाथों में आर0डी0एक्स0 थमाने के पीछे किसका हाथ है जानने के लिये हमारे कैमरे में जो टेप हुआ है वह हैरान कर देने वाला है। पहाड़ में ही काम करने वाले ने बताया कि पप्पू यादव व शीतल यादव नाम के व्यक्ति इस पहाड़ पर काम करा रहे है और किसी चौधरी के आदमी है जिसके पार्टनर शिप में यह पहाड़ चल रहा है। बतलाते चले चौधरी का पूरा पता कामगार बताने से पहले कैमरे के रूख को भाप चुका था। उसने सिर्फ इशारा में बताया कि जिसके क्रेशर लगे है। कामगार से पूछने पर वह इतना घबड़ा गया कि कहने लगा कि मेरी जान बचा लेना। इस बात से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि अवैध काम कराने वाला माफिया कितना ताकतवर होगा।
ऐसे में सवाल यह होता है कि जिला प्रशासन के नाक के नीचे मौत का खतरनाक खेल खेलने वालों पर बालू की अवैध खनन की जांच में निकली सी0बी0आई0 टीम इन तथ्यों पर भी गौर करेगी और उस चैधरी का पता खोलेगी? या फिर गौरहारी का इतिहास फिर दोहराया जायेगा और खनिज अधिकारी यह कहकर बच निकलेगा कि पहाड़ बन्द था। प्रशासन को सूचना दे दी गयी थी खनिज विभाग को इस खनन की जानकारी ही नहीं लगी। सीबीआई भले ही बालू की खदानों में मिटे हुए साक्ष्यों की पैबंद खोजने जाये मगर महोबा से पहाड़ो की पड़ताल कार्यवाही तक जारी है ! - प्रवासनामा डेस्क बाँदा
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