राष्ट्रीय जलजीव डाल्फिन को लेकर प्रदेश सरकार संजीदा !
गंगा मिशन में होगी डाल्फिनों की गणना !
उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के सभी जिलों में गंगा और उसकी सहायक नदियों पर डाल्फिन की गणना करवाने जा रही है.वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ के माध्यम से वनविभाग के अधिकारी, वनरेंजर और पर्यावरण से जुड़े सामाजिक संघठन के लोग इसके प्रशिक्षण हेतु गत 24 सितम्बर को इलाहाबाद में एकत्र हुए.दो दिवसीय डाल्फिन गणना प्रशिक्षण में बुंदेलखंड क्षेत्र,फतेहपुर,झाँसी,फ़ैजाबाद आदि से आये लोगो ने शिरकत की.बतलाते चले कि वर्ष 2012 में यह गणना हुई थी जिसमे उत्तर प्रदेश में 600 डाल्फिन पाई गई थी.प्रदेश में सर्वाधिक डाल्फिन का गढ़ रतनिया घाट, बहराइच में माना जाता है.डाल्फिन एक मछली नही है जैसा आमतौर पर सुनते है.गंगा-ब्रह्मपुत्र में पाई जाने वाली डाल्फिन विशाल स्तनपाई मांसाहारी जलजीव है.व्हेल- डाल्फिन का डाटाबेस तैयार करने के लिए विशेष प्रोटोकाल जारी किया गया है.ये बच्चे देती न की अंडे.शावक डाल्फिन गुलाबी/भूरा या स्लेटी रंग का होता है.नर डाल्फिन मादा से छोटा दिखता है.डाल्फिन का थूथन लम्बाई में अधिक होता है लेकिन मादा थूथन में नर से लम्बी और ऊपर की तरफ मुड़ी होती है. एक वयस्क डाल्फिन का वजन लगभग 150 किलोग्राम होता है.मादा 2.4 से 2.6 मीटर तक होती है.मीठे जल में रहने वाला ये जलजीवनेचर में मनुष्य प्रेमी होता है लेकिन अपना प्रवास शांत और गहरे पानी में करता है.इसके संरक्षण और कम होती संख्या को देखते हुए भारत सरकार ने इसको वन्य जीव अधिनियम 1972 के अंतर्गत राष्ट्रीय जलजीव घोषित किया है.अमिताभ बच्चन के चलचित्र अजूबा में आपने इसकी हुनरमंदी देखी होगी.30 से 120 सेकेण्ड में यह पानी से ऊपर आती है यानी हर तीन मिनट में.डाल्फिन की गणना के लिए उपयुक्त समय सुबह 7 से 11 बजे और शाम को तीन से 5 तक होता है.सर्बेक्षण के लिए इलाके का नक्शा,जीपीएस,दूरबीन,कैमरा,डाटासीट, लाइफ जैकेट,मोटरबोट आवश्यक है.
डाल्फिन प्रवास में खतरे – प्रदूषण@बालू खनन@व्यवसायिक रूप में मछली शिकार, डाल्फिन का मांस कड़वा होता है इसलिए इसको नही खाते.जिन इलाकों में खनन मसलन बुंदेलखंड की केन -बेतवा,यमुना में अधिक है उने यह कम मिलती है.इनको सहेजने के लिए पर्यावरण के प्रति संजीदा होने की आवश्यकता है.बाँदा प्रभागीय वनअधिकारी प्रमोद गुप्ता, बाँदा रेंज अफसर जेके जयसवाल, पैलानी रेन से एसबी सिंह और संवाददाता सहित ग्यारह सदस्य इलाहाबाद के संगम तट पर उपस्थित रहे.समूह ने ट्रेनिंग के बाद क्षेत्र भ्रमण में गंगा नदी में एक डाल्फिन को देखा जो संगम घाट से पूरब दिशा में 4 किलोमीटर नदी के अन्दर देखने को मिली.आगामी एक से नौ अक्तूबर तक ये गणना संभावित है...
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