सूचना हकदारी के दस साल ....!
15 जून जारी -
सूचना हकदारी के दस साल ....,
नही पैदा हुए अभी तक सरकारी हलाल !
कही होती आरटीआई. कार्यकर्ताओ की हत्या तो कही धमकी,
ये है मेरे तंत्र में अधिकार का कमाल !
दस सालो में दो केंद्र सरकार और अन्य राज्य की सरकार,
नही दूर कर पाई सूचना आयोग से सचिवालय तक दलाल ? '' -आशीष सागर
पोस्ट में दी गई दो तस्वीर क्रमशः एक आज के अमर उजाला 15 जून की बाँदा से और दूसरी शहीद आरटीआई कार्यकर्ता निवासी जिला बहराइच के गुरुप्रसाद की है जिसकी गत 13 जून को स्थानीय ग्राम प्रधान ( सपा कार्यकर्ता ) ने मनारेगा मामले में पैरवी करने के चलते निर्मम हत्या करके एक और कर्मवीर का पूर्ण विराम कर दिया ! सूचना अधिकार के आज से दस साल हो गए और अब तक तीन दर्जन के करीब आरटीआई एक्टिविस्ट मारे जा चुके है क्योकि वो सड़ते लोक में गिद्ध रूपी सरकारी / गैर सरकारी भ्रस्ट दानवो के शिकार है ! खुले या अचानक किये गए कुठाराघात की दबिश में !
मृतक गुरुप्रसाद को बीते 16 अप्रैल को राजधानी लखनऊ में सूचना अधिकार पर काम करने के लिए मेरे साथ ' विष्णु शर्मा मेमोरियल एवार्ड 2015 मिला था ! वो मार दिया गया और मुझ जैसे अदने से लोग आज अभी तक जिंदा है ! ...आओ हम सबको मार दो ,कर दो हम सबकी हत्या !...कभी गोली से और कभी राह चलते वाहन से कुचलकर एक लावारिस लाश में तब्दील करने के लिए !...हैरानी है उस समाज पर लखनऊ के ही कुछ दिग्गज घोषित फाइटर ने इस कम छपे गाँव के लड़ैया शहीद गुरुप्रसाद को सूचनाधिकार कार्यकर्ता ही नही माना !....उनके कुंठित प्रयास से ऐसे ही गुमनाम कर्मवीर आज मार दिए जा रहे है क्योकि उन्हें उनके मुकाबिल प्रायोजित मंच नही मिलता !...उन्हें उनकी ही लाभी के लोग और कुछ प्रमोट किये गए व्यक्ति ' दलाल और ब्लैकमेलर ' तक कह डालते है !.....हाँ मुझे भी कहते है जिनके मन में घुटन और कुंठा है कि आखिर हम कैसे छप सके / एवार्ड और मुद्दा बन सके !....हाँ मै भी दलाल हूँ और मृतक गुरुप्रसाद भी दलाल ही था !....जिन्हें अपने शब्दों पर कोफ़्त और मलाल नही वे आज जश्न मना सकते है ...गरीब को न्याय दिलाने वाला सूचनाधिकार अपंग स्थति में दस साल का हो चुका है !..
मृतक गुरुप्रसाद को बीते 16 अप्रैल को राजधानी लखनऊ में सूचना अधिकार पर काम करने के लिए मेरे साथ ' विष्णु शर्मा मेमोरियल एवार्ड 2015 मिला था ! वो मार दिया गया और मुझ जैसे अदने से लोग आज अभी तक जिंदा है ! ...आओ हम सबको मार दो ,कर दो हम सबकी हत्या !...कभी गोली से और कभी राह चलते वाहन से कुचलकर एक लावारिस लाश में तब्दील करने के लिए !...हैरानी है उस समाज पर लखनऊ के ही कुछ दिग्गज घोषित फाइटर ने इस कम छपे गाँव के लड़ैया शहीद गुरुप्रसाद को सूचनाधिकार कार्यकर्ता ही नही माना !....उनके कुंठित प्रयास से ऐसे ही गुमनाम कर्मवीर आज मार दिए जा रहे है क्योकि उन्हें उनके मुकाबिल प्रायोजित मंच नही मिलता !...उन्हें उनकी ही लाभी के लोग और कुछ प्रमोट किये गए व्यक्ति ' दलाल और ब्लैकमेलर ' तक कह डालते है !.....हाँ मुझे भी कहते है जिनके मन में घुटन और कुंठा है कि आखिर हम कैसे छप सके / एवार्ड और मुद्दा बन सके !....हाँ मै भी दलाल हूँ और मृतक गुरुप्रसाद भी दलाल ही था !....जिन्हें अपने शब्दों पर कोफ़्त और मलाल नही वे आज जश्न मना सकते है ...गरीब को न्याय दिलाने वाला सूचनाधिकार अपंग स्थति में दस साल का हो चुका है !..
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.गौरतलब है कि गुरुप्रसा
द की हत्या प्रकरण में जिला बहराइच के थाना हरदी में तहरीर 338 / 2015 में IPC की धारा 147,148,452,302,323 में नामजद मुकदमा पंजीकृत हुआ है....इसमे ग्राम प्रधान को मुख्य अभियुक्त बनाया गया है.....पीड़ित गुरुप्रसाद की पत्नी भी शहीद जागेन्द्र पत्रकार जिला शाहजहाँपुर की तरह न्याय की गुहार उनसे ही कर रही है जो उनके संरक्षकों के हत्यारे / पनाहगार है.आप सभी साथी गुरुप्रसाद की पत्नी के नंबर - 09795482944 पर बात करके मुद्दे की और गहराई तक जा सकते है !.
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.मुझे गुरुप्रसाद की हत्या की जानकारी सबसे पहले लखनऊ के बुजुर्ग साथी संजय शर्मा ने दी वाया टेलीफोन बीती रात तेरह जून को ,कल मै नेट सुविधा दायरे से बाहर पन्ना टाइगर रिजर्व में था इसलिए आज पोस्ट कर रहा हूँ...सवाल यहाँ ये है कि देश के प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सीमा के 34 बड़े विभागों को सूचनाधिकार से अलग कर दिया है.वही महाराष्ट्र राज्य के सूचना आयुक्त दीपक देशपांडे तत्कालीन मंत्री छगन भुजबल प्रकरण में कानून की गिरफ्त में है ! ...उत्तर प्रदेश के हाल में नए सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी पूर्व ब्यूरोक्रेट्स और सपा करीबी है !...सूचना आयुक्त अरबिंद सिंह बिस्ट सपा मुखिया के समधी है !...ये चेहरे क्या इस अधिकार को ज़मीन पर उतरने देंगे ? देश में यह अधिकार हथियार नही बल्कि गरीब की अंतिम उम्मीद है इसको मत कुचलने दो ....मृतक सभी लोगो को संवेदना और न्याय मिले !
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