तालाबों का शहर पन्ना बेपानी हो गया !
नोट - सभी तस्वीर आशीष सागर स्वतः है,बिना स्थान संदर्भ दिए जनहित में प्रयोग न करे ! सन्दर्भ से पन्ना के लोग शायद पानीदार हो जाये !
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बुंदेलखंड के एमपी वाला हिस्सा और पन्ना जल संकट से बेहाल है,बेदम है तब जब कभी यहाँ चन्देल कालीन तीन बड़े तालाब जिनकी उपमा के लिए उनके नाम से सागर शब्द जोड़ दिया गया था आज पानी विहीन है !..ऐसे ही तीन तालाब लोकपाल सागर( महेंद्र महाराजा लोकपाल सिंह जूदेव ने 1894 - 1909 के मध्य बनवाया था,इन्हे तत्कालीन अंग्रेज अफसर ने इस पुन्य कार्य के लिए 'राजनीतिक एजेंट' करार दिया था जो 147 एकड़ के लोकपाल सागर तट पर लगे शिलापट पर अंकित है.वर्ष 2005 के में आई बाढ़ के बाद यह भरा नही अब तक पूर्णरूप से). इस लोकपाल सागर के एक बड़े हिस्से में अवैध कब्जे है,यहाँ तक की एक हिस्से में जल दोहन करने वाले यूके लिपटिस का बाग़ तैयार है,तस्वीर में देखे !...हाँ आज तालाब में इतना पानी अवश्य बचा है कि आदमी की जगह 'गधे' उसमे उतारकर अपनी प्यास बुझा सके जैसा तस्वीर से साफ है ! ...आज पन्ना के धर्म सागर कुल रकबा 75 एकड़ है यह कभी किलकिला नदी जो पन्ना-सतना मार्ग की पहाड़ियों से निकली है के किलकिला फीडर से भरता था ! मगर आज स्थानीय दलित ग्रामीण ने सियासी साथ पाकर एक मुहल्ला फीडर की छाती पर बसा दिया है ! ...यह ऐसे तालाब थे कभी कि जहाँ तक नजर हो पानी ही दिखता रहा होगा !...नगर पालिका के साथ पन्ना जिला कलेक्टर शिवनारायण सिंह चौहान भी इस कब्जे को अवैध नही मानते है !
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'पन्ना के तालाब बन गए गधों की चोहड़ ' !
17 अप्रैल - गत 10 अप्रैल से 14 अप्रैल तक बुंदेलखंड के उत्तर प्रदेश - मध्यप्रदेश के 6 जिलों से गुजर कर जो देखा और सुना वो बुंदेलखंड के सूखे की विकरालता को समझने के लिए काफी है ! मेरे साथ बीबीसी (हिंदी ) के समीर आत्मज मिश्रा भी थे ! यहाँ सूखा है इसलिए कथित घास की रोटी नही बनेगी यह भी सच है ! जाहिर है जब पानी नही तब घास कहाँ से आएगी ?बुंदेलखंड के एमपी वाला हिस्सा और पन्ना जल संकट से बेहाल है,बेदम है तब जब कभी यहाँ चन्देल कालीन तीन बड़े तालाब जिनकी उपमा के लिए उनके नाम से सागर शब्द जोड़ दिया गया था आज पानी विहीन है !..ऐसे ही तीन तालाब लोकपाल सागर( महेंद्र महाराजा लोकपाल सिंह जूदेव ने 1894 - 1909 के मध्य बनवाया था,इन्हे तत्कालीन अंग्रेज अफसर ने इस पुन्य कार्य के लिए 'राजनीतिक एजेंट' करार दिया था जो 147 एकड़ के लोकपाल सागर तट पर लगे शिलापट पर अंकित है.वर्ष 2005 के में आई बाढ़ के बाद यह भरा नही अब तक पूर्णरूप से). इस लोकपाल सागर के एक बड़े हिस्से में अवैध कब्जे है,यहाँ तक की एक हिस्से में जल दोहन करने वाले यूके लिपटिस का बाग़ तैयार है,तस्वीर में देखे !...हाँ आज तालाब में इतना पानी अवश्य बचा है कि आदमी की जगह 'गधे' उसमे उतारकर अपनी प्यास बुझा सके जैसा तस्वीर से साफ है ! ...आज पन्ना के धर्म सागर कुल रकबा 75 एकड़ है यह कभी किलकिला नदी जो पन्ना-सतना मार्ग की पहाड़ियों से निकली है के किलकिला फीडर से भरता था ! मगर आज स्थानीय दलित ग्रामीण ने सियासी साथ पाकर एक मुहल्ला फीडर की छाती पर बसा दिया है ! ...यह ऐसे तालाब थे कभी कि जहाँ तक नजर हो पानी ही दिखता रहा होगा !...नगर पालिका के साथ पन्ना जिला कलेक्टर शिवनारायण सिंह चौहान भी इस कब्जे को अवैध नही मानते है !
धर्म सागर के अन्दर जमा सिल्ट को सफाई का रूप देकर अभी बड़ी जेसीबी मशीन से उलीचा जा रहा है,पानी निकालने के बाद यह भरा कैसे जायेगा यह अहम् सवाल स्थानीय समाजकर्मी ( मानसी संस्थान सचिव / अध्यक्ष) सुदीप श्रीवास्तव बार- बार करते है ! सुदीप कहते है कि शिवराज सिंह सरकार ने पन्ना -सतना मार्ग पर जो सगरिया बांध बना दिया है हीरापुर गाँव के आदिवासी परिवार ( घोसी ठाकुर और गोड ) को विस्थापित करके वह भी आज धूल फांक रहा है ! यह सगरिया बांध करीब 3 करोड़ रूपये से बना था आज भी इसमे काम जारी है ! बाँध की दीवार जगह-जगह से दरकी है,इस बात को पन्ना कलेक्टर ने आफ द रिकार्ड स्वीकार किया कि यह सब फर्जी बना है !सगरिया बांध के पश्चिम में धोबी,पूर्व में यादव और बीच में गोड बसे थे !...चन्देल कालीन विशाल तालाबों से घिरा रहने वाला बुन्देली पन्ना हीरे की खदान से भी हलकान है ! ...प्राकृतिक जल स्रोत की सीधी हत्या इस इलाके के सरकार परस्त नेता,विधायक करते नजर आते है !...अगर यही सूरत रही तो पानी से बेदखल पन्ना मई तक त्राहि माम करता हुआ दहाड़ मारेगा !
अब पन्ना से साथी युसूफ बेग की नीचे लिखी पीड़ा पढ़े - साभार -
Yousuf Beg @ पन्ना से -
उफ मई की ये गर्मी अप्रेल में ही शुरू हो गई, पन्ना जिले में पेय जल का संकट गहराता जा रहा है. इंसान किसी तरह से नालों, झरियों, का गंदा पानी पीकर किसी तरह अपने गले तर कर रहा है लेकिन इस भीषण गर्मी से जानवरों के जीवन पर भी संकट छा गया है ।
आज ग्राम पंचायत रमखिरिया के राजापुर ग्राम में देखा की लोग नालों ओर झिरियों के गंदे पानी से पेय जल की पूर्ति कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर ग्राम खजरी कुडार में येसा भीषण पेय जल संकट है की 1 माह में लगभग 100 गायों ने दम तोड़ दिया है । गौ कमाता के नारे लगाने वालों को भी सूचित कर देना चाहता हूँ की इन माताओं को इस विकट परिस्थिति से निकालने का सार्थक प्रयास करें तभी हम गौ माता को माता का रूप कहने के हक पा सकते हैं नहीं तो दंगा फसाद फैलाने ओर धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए गौ माते के नारों का उपयोग करते हुए माता जैसे पवित्र शब्द का अपमान करते हैं ।
हमारी पूरी टीम ने ग्राम पंचायत कुडार के लोगों से जन भागी दारी से पशुओं को पेय उपलब्ध कराने के लिए प्रयास शुरू कर दिया है कल खजरी कुडार के लोगों के साथ गाँव से लगे हुए जल श्रोतों की सफाई ओर गहरीकरन का कार्य किया जाएगा जिससे गौ माता के साथ साथ इस गाँव में जहां सबसे ज्यादा पशुओं की मोतें हो रही हैं उनकी जीवन को बचाने के लिए जल श्रोतों को ठीक किए जाने का काम किया जा रहा है ।
अब पन्ना से साथी युसूफ बेग की नीचे लिखी पीड़ा पढ़े - साभार -
Yousuf Beg @ पन्ना से -
उफ मई की ये गर्मी अप्रेल में ही शुरू हो गई, पन्ना जिले में पेय जल का संकट गहराता जा रहा है. इंसान किसी तरह से नालों, झरियों, का गंदा पानी पीकर किसी तरह अपने गले तर कर रहा है लेकिन इस भीषण गर्मी से जानवरों के जीवन पर भी संकट छा गया है ।
आज ग्राम पंचायत रमखिरिया के राजापुर ग्राम में देखा की लोग नालों ओर झिरियों के गंदे पानी से पेय जल की पूर्ति कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर ग्राम खजरी कुडार में येसा भीषण पेय जल संकट है की 1 माह में लगभग 100 गायों ने दम तोड़ दिया है । गौ कमाता के नारे लगाने वालों को भी सूचित कर देना चाहता हूँ की इन माताओं को इस विकट परिस्थिति से निकालने का सार्थक प्रयास करें तभी हम गौ माता को माता का रूप कहने के हक पा सकते हैं नहीं तो दंगा फसाद फैलाने ओर धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए गौ माते के नारों का उपयोग करते हुए माता जैसे पवित्र शब्द का अपमान करते हैं ।
हमारी पूरी टीम ने ग्राम पंचायत कुडार के लोगों से जन भागी दारी से पशुओं को पेय उपलब्ध कराने के लिए प्रयास शुरू कर दिया है कल खजरी कुडार के लोगों के साथ गाँव से लगे हुए जल श्रोतों की सफाई ओर गहरीकरन का कार्य किया जाएगा जिससे गौ माता के साथ साथ इस गाँव में जहां सबसे ज्यादा पशुओं की मोतें हो रही हैं उनकी जीवन को बचाने के लिए जल श्रोतों को ठीक किए जाने का काम किया जा रहा है ।
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