राजपक्षी सारस को कैसे बचायेंगे समाजवादी मुख्यमंत्री !
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' मुख्यमंत्री का सारस प्रेम बालू माफिया बने एमएलसी ! '
बाँदा- हमीरपुर 4 फरवरी जारी -
मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश अखिलेश यादव ने बीते मंगलवार को सैफई ( इटावा) में वेटलैंड संरक्षण की अंतर्राष्ट्रीय संगोष्टी में कहा कि पर्यावरण युनिवर्सिटी या सारस संरक्षण के लिए अगर जिले से शोध केंद्र खोलने का प्रस्ताव आता है तो उसे मंजूरी दी जाएगी. इसके लिए सारस मित्र को एक हजार रूपये मानदेय मिलेगा ! राजपक्षी सारस पर मुख्यमंत्री के इस ऐलान से
बुंदेलखंड के बाँदा जहाँ सर्वाधिक राजहंस / लाल चोच वाला सारस पाया जाता है के प्रेमियों में उत्साह है ! मगर यह कोफ़्त भी है कि बाँदा की केन नदी का रेतीला इलाका जहाँ इनका सर्वाधिक प्रवास होता है सर्दी में वही पर सरकार बेख़ौफ़ खनन माफिया से बालू उलीचने का काम करवा रही है !....दहाड़ मारती लिफ्टर और पोकलैंड मशीन लाल बालू का धंधा पर्यावरण के मानकों को घुटनों में रखकर करती है ! ....यह सारस मानवीय अतिक्रमण और ट्रको,मशीनों की आवाजाही से सहम जाते है !....अब इनका विचरण खेतो की तरफ है मगर वहां शिकारी नही बचने देते है ! बुंदेलखंड के बाँदा - चित्रकूट में इनके सुरक्षित प्रवास की कोई सुविधा आज तक नही हुई ! वनविभाग अगर बालू माफिया के विरोध में बोले तो स्थानीय मंडल आयुक्त और जिलाधिकारी उसको चुप करा देते है क्योकि राजस्व वसूली और सिंडिकेट का रुतबा कायम है !....उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में 96 सारस मिले जो अगले साल 148 पाए गए ! वर्ष 2014 में ये 234 थे लेकिन इस साल यह 203 रह गए है ! यह तो सरकारी आंकड़ा है जबकि इनकी वाजिब संख्या इससे बहुत अधिक है जो खेतों में है समूह या जोड़े में !...नदी किनारे कीड़े,मछली खाकर रहने वाला ये वन्यजीव वाइल्ड लाइफ की संरक्षित प्रजाति है मगर बालू माफिया के आगे सब कानून सजदा है !
बुंदेलखंड के बाँदा जहाँ सर्वाधिक राजहंस / लाल चोच वाला सारस पाया जाता है के प्रेमियों में उत्साह है ! मगर यह कोफ़्त भी है कि बाँदा की केन नदी का रेतीला इलाका जहाँ इनका सर्वाधिक प्रवास होता है सर्दी में वही पर सरकार बेख़ौफ़ खनन माफिया से बालू उलीचने का काम करवा रही है !....दहाड़ मारती लिफ्टर और पोकलैंड मशीन लाल बालू का धंधा पर्यावरण के मानकों को घुटनों में रखकर करती है ! ....यह सारस मानवीय अतिक्रमण और ट्रको,मशीनों की आवाजाही से सहम जाते है !....अब इनका विचरण खेतो की तरफ है मगर वहां शिकारी नही बचने देते है ! बुंदेलखंड के बाँदा - चित्रकूट में इनके सुरक्षित प्रवास की कोई सुविधा आज तक नही हुई ! वनविभाग अगर बालू माफिया के विरोध में बोले तो स्थानीय मंडल आयुक्त और जिलाधिकारी उसको चुप करा देते है क्योकि राजस्व वसूली और सिंडिकेट का रुतबा कायम है !....उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में 96 सारस मिले जो अगले साल 148 पाए गए ! वर्ष 2014 में ये 234 थे लेकिन इस साल यह 203 रह गए है ! यह तो सरकारी आंकड़ा है जबकि इनकी वाजिब संख्या इससे बहुत अधिक है जो खेतों में है समूह या जोड़े में !...नदी किनारे कीड़े,मछली खाकर रहने वाला ये वन्यजीव वाइल्ड लाइफ की संरक्षित प्रजाति है मगर बालू माफिया के आगे सब कानून सजदा है !
मुख्यमंत्री को यह भी बतलाना चाहूँगा कि बाँदा - हमीरपुर से समाजवादी पार्टी ने एमएलसी टिकट खनन व्यवसाई रमेश मिश्र को दिया है यह गायत्री प्रजापति के करीबी है !....पूर्व बसपा सरकार में इनके परिवार के पास 11 बालू के पट्टे रहे है !...इसकी लोकायुक्त ने जाँच की जिसमे अवैध खनन की शिकायत भी थी !...जैसे बाँदा में सीरजध्वज सिंह का नाम बोलता है वैसे ही हमीरपुर में रमेश मिश्र हावी है बालू में ! .....अन्दर खाने की खबर यह भी है कि सपा के युवराज सिंह पूर्व एमएलसी और बालू व्यवसाई / सीरज के भाई ( जिन्हें एक प्रगतिशील किसान किसान बतलाते है यहाँ ) से टिकट के बदले एक बड़ी रकम की मांग हुई थी जो रमेश ने पूरी की !...अब बुंदेलखंड में जब पंजाब - हरियाणा का सिंडिकेट बैठ रहा है तब नदी और पहाड़ में सरकार के लोकसेवक अपना कब्ज़ा कर ले ऐसी मंशा है !....क्या ये गठजोड़ करके मुख्यमंत्री सारस / राजहंस और पर्यावरण को सहेजने का दावा करते है ? ....प्रकृति से प्रेम के लिए खनन माफिया को नेता नही बनाया जाता सरकार जी ! जबकि आपने नरेंद्र सिंह भाटी ( दुर्गाशक्ति नागपाल केस ) और रमेश के टिकट से ऐसा ही किया है ! कैसे बचेंगे सारस ? - Ashish Sagar,EX. WCCB ( Wildlife Crime Control Bureau) Special Officer / Photo By - Ashish Sagar,Place Naraini Block,Banda area
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