ये कैसी आजादी है और कैसा गणतंत्र ?
'' जिन्होने अपने चेहरे पर आज तिरंगा लगाया है,
वाल पर भारत माता को सजाया है !
उनसे ही एक अदद सवाल,
कौन वर्ष भर रहा वतन का दलाल ?
क्यों देश की सम्पति, एकता और संप्रभुता पर किये प्रहार,
कौन माना इस सड़ती व्यवस्था से हार !
साल भर सरकारी सड़को, चौराहों को किया पीक से लाल ,
अविरल नदी में अपनी जूठन और मैले को डाल !
खुद के घर की करते रहे रखवाली,
मगर दफ्तर में बैठकर खाते हो दलाली !
जब कभी आये मदद के अवसर,
संवेदना और आत्मा से गए तुम मर !
कभी सियासी रैलियों की भीड़ में खड़े हुए,
दिखलाई दिए वहां मुर्दों से पड़े हुए !
जरा सोचना गणतंत्र के मान पर क्या किया तुमने ,
इस देश को कब,कितना और क्या दिया तुमने ?
ये जो तस्वीरों में गरीबी की ज़िल्लत है,
गौर करो यहाँ क्यों एक रोटी की किल्लत है ? ''
( फोटो बाँदा के गोबरी गाँव की...आधी - अधूरी सही ये आजादी है ...सपनो को बुनने की,उन्हें जीने की - गणतंत्र दिवस की बधाई जी )
वाल पर भारत माता को सजाया है !
उनसे ही एक अदद सवाल,
कौन वर्ष भर रहा वतन का दलाल ?
क्यों देश की सम्पति, एकता और संप्रभुता पर किये प्रहार,
कौन माना इस सड़ती व्यवस्था से हार !
साल भर सरकारी सड़को, चौराहों को किया पीक से लाल ,
अविरल नदी में अपनी जूठन और मैले को डाल !
खुद के घर की करते रहे रखवाली,
मगर दफ्तर में बैठकर खाते हो दलाली !
जब कभी आये मदद के अवसर,
संवेदना और आत्मा से गए तुम मर !
कभी सियासी रैलियों की भीड़ में खड़े हुए,
दिखलाई दिए वहां मुर्दों से पड़े हुए !
जरा सोचना गणतंत्र के मान पर क्या किया तुमने ,
इस देश को कब,कितना और क्या दिया तुमने ?
ये जो तस्वीरों में गरीबी की ज़िल्लत है,
गौर करो यहाँ क्यों एक रोटी की किल्लत है ? ''
( फोटो बाँदा के गोबरी गाँव की...आधी - अधूरी सही ये आजादी है ...सपनो को बुनने की,उन्हें जीने की - गणतंत्र दिवस की बधाई जी )
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