बुंदेलखंड के जिला बाँदा में शाहपाटन को उजाला भी नसीब नही !
32 लाख का रपटा पहली बारिश में निपटा !
नरैनी / बाँदा - दोआबा क्षेत्र के अति पिछड़े गाँव शाहपाटन के हाल भी अजब - गजब है.जहाँ सम्पूर्ण स्वक्षता अभियान / निर्मल भारत के तहत बने वर्ष 2003-2010 तक के 41 गरीब शौचालय जो 1,31,200 रूपये से बनाए गए थे नदारद है! ग्राम पंचायत के प्रधान हरिशंकर निषाद का कहना है कि मैंने जो धनराशी निकाली थी लाभार्थियों को बाँट डी है अब वे शौचालय नही बनवाते तो मै क्या कर सकता हूँ ! शायद इतना कहने मात्र से लोकसेवक और तंत्र अपने नैतिक ज़िम्मेदारी से बचने का प्रयास करता है.अब तक इस गाँव में कुल 6 ग्राम प्रधान निर्वाचित हुए है निषाद बाहुल्य ये गाँव रंज और बागे नदी के मध्य बसा है.शाहपाटन में प्रधान के किये सर्वादय विकास को देखना हो तो आप इसी गाँव के रहवासी तीन सगे भाइयो दिलीप,बेटालालऔर दादू को देख सकते है,जन्म से असहाय और जिस्म
से लाचार इनकी हालत देखकर मुफलिसी का अहसास हो जाता है. इनके पिता रज्जन मुंबई में मजदूरी करते है और माँ बिट्टन गाँव में मजदूरी ! ( तीनो भाई बेलंग / लकवे से पीड़ित है ) . मजे की बात ये है कि इनके पास कोई राशन कार्ड नही है ! गाँव में बिजली है नही इसलिए दीपक से काम ये भी चला लेते है मगर इन्ही बच्चो की माने तो गाँव का दयामंत्री / कोटेदार उन्हें दया करके मिट्टी का तेल दे देता है ! खबरनबीस के पैरो से ज़मीन तब अलग हुई जब 90 फीसदी कर्जदार किसान से पटा हुआ ये गाँव आज भी प्राथमिक स्कूल के खुलने की राह तकता है ! आगे बढ़ने पर इस गाँव के और भी रंग देखने को मिले ! उल्लेखनीय है कि ग्रामीण विकास अभियंत्रण सेवा (आरईएस) के मृतक अभियंता योगेन्द्र सिंह की निगरानी में इस गाँव की रंज नदी को पार करने के लिए 31.55 लाख का रपटा बनवाया गया था.विकासखंड के ब्लाक प्रमुख मीना मिश्रा के पति दिनेश मिश्रा की ठेकेदारी और मृतक अभियंता की कमीशन खोरी में ये रपटा पहली बारिश में बह गया. जनसूचना अधिकार से प्राप्त तथ्यों पर गौर करे तो इस रपटे पर 448.60 घनमीटर बालू,2555 बोरी सीमेंट,150 घनमीटर बोल्डर,43.47 कुंतल लोहा आयरन सरिया,96.10 घनमीटर गिट्टी का प्रयोग किया गया था मिले कागजो के मुताबिक. बीस दिसंबर 2011 को प्रारंभ किया ये काम 21 नवम्बर 2012 को समाप्त हुआ था.
से लाचार इनकी हालत देखकर मुफलिसी का अहसास हो जाता है. इनके पिता रज्जन मुंबई में मजदूरी करते है और माँ बिट्टन गाँव में मजदूरी ! ( तीनो भाई बेलंग / लकवे से पीड़ित है ) . मजे की बात ये है कि इनके पास कोई राशन कार्ड नही है ! गाँव में बिजली है नही इसलिए दीपक से काम ये भी चला लेते है मगर इन्ही बच्चो की माने तो गाँव का दयामंत्री / कोटेदार उन्हें दया करके मिट्टी का तेल दे देता है ! खबरनबीस के पैरो से ज़मीन तब अलग हुई जब 90 फीसदी कर्जदार किसान से पटा हुआ ये गाँव आज भी प्राथमिक स्कूल के खुलने की राह तकता है ! आगे बढ़ने पर इस गाँव के और भी रंग देखने को मिले ! उल्लेखनीय है कि ग्रामीण विकास अभियंत्रण सेवा (आरईएस) के मृतक अभियंता योगेन्द्र सिंह की निगरानी में इस गाँव की रंज नदी को पार करने के लिए 31.55 लाख का रपटा बनवाया गया था.विकासखंड के ब्लाक प्रमुख मीना मिश्रा के पति दिनेश मिश्रा की ठेकेदारी और मृतक अभियंता की कमीशन खोरी में ये रपटा पहली बारिश में बह गया. जनसूचना अधिकार से प्राप्त तथ्यों पर गौर करे तो इस रपटे पर 448.60 घनमीटर बालू,2555 बोरी सीमेंट,150 घनमीटर बोल्डर,43.47 कुंतल लोहा आयरन सरिया,96.10 घनमीटर गिट्टी का प्रयोग किया गया था मिले कागजो के मुताबिक. बीस दिसंबर 2011 को प्रारंभ किया ये काम 21 नवम्बर 2012 को समाप्त हुआ था.
नरैनी के पत्रकार प्रदुम्न कुमार दिवेदी की शिकायत पर तत्कालीन संयुक्त विकास आयुक्त नरेद्र त्रिपाठी ने इसकी जाँच की और कार्यदाई संस्था ,अभियंता को दोषी पाया था लेकिन संयुक्त विकास आयुक्त के जाते ही ये जाँच सरकारी दफ्तर में दफ़न कर डी गई है आज तक.
विकास से महरूम ये गाँव जहाँ आज शौचालय से विहीन है वही बरसात में कच्ची सडको से हैल कर गांववाले अपना रोना रोते है. समाजसेवी आशीष सागर दीक्षित ने मौके पर जाकर गाँव वाले के बयान लिए उनमे रामगोपाल(रज्जू का पुरवा),विसाली (छनिया पुरवा मजरा),जागेशरण शाहपाटन ने रपटे में की गई धांधली के पुनः जाँच की मांग की है.1400 वोटर कुल आबादी तीन हजार वाले इस गाँव की तकदीर कब बनेगी ? सांसद जी इसको क्यों गोद नही लिया है ? रंज और बागे की मंझधार में उलझा शाहपाटन ! - आशीष सागर
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