हजारो शौचालय का रुपया खा गए गाँव वाले और प्रधान !
देश के प्रधानमंत्री और ' निर्मल भारत ' अभियान के संयोजक नरेंद्र मोदी जी यूँ तो अपने संसदीय इलाके काशी के जयापुर गाँव में आदर्श सांसद ग्राम योजना से विकास कार्य करवा रहे है !....लेकिन क्या उनके फालोवर अन्य नेता और दलों के लोकसेवक अपने - अपने संसदीय क्षेत्र में जाते है या गए है ये सवाल है मोदी से ? बुंदेलखंड के चित्रकूट बाँदा लोकसभा से सांसद भाजपा भैरो प्रसाद मिश्रा का ये गोद लिया गाँव है !....कटरा कालिंजर ( नरैनी तहसील में ) .....ये तीन तस्वीरे बहुत कुछ कह रही है ....सम्पूर्ण स्वक्छ्ता अभियान / निर्मल भारत पर पलीता लगाती ये तस्वीरे बाँदा के जिला मुख्यालय के अमूमन हर गाँव में है ! गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर प्रत्येक जिले आला अधिकारियो ने भी गाँव गोद लिए है ! बाँदा में पूर्व में चयनित 168 गाँव में अब अठारह गाँव गोद लिए गए है जिनको आयुक्त,जिलाधिकारी ,उपजिलाधिकारी,तहसीलदार ने गोद लिया है ! सबसे अधिक ये शौचालय इन्ही अठारह गाँव में नदारद है ! इनमे मुंगुस,गुखरही,डिंगवाही ( पूर्व निर्मल गाँव ),लुकतरा ( पूर्व निर्मल गाँव ),बरसडा बुजुर्ग,मसनी,मौसोनी -भरतपुर,पुकारी,नीबी ,गुरेह आदि है ! साथ ही नरैनी के रानीपुर ग्राम पंचायत,परसहर का बरियारपुर ,सौता हरिजन बस्ती ,नौगाँव इनमे मौके से 50 से 100 शौचालय गायब पाए गए है ! इनका रुपया हजम किया गया !...गाँव वाले कहते है कि पहले मिलने वाले 3200 रूपये से शौचालय नही बन सकता अब 12 हजार मिलना है तब बनायेंगे ( राज्य वित्त से ) !!! क्या करे नियत का सवाल है ? यहाँ ये भी कहना चाहूँगा कि खेत में मल त्यागना बुरा नही है लेकिन उसको मिट्टी से दबा देवे या खुले में मल त्यागने पर राख से जब आप अपनी नैतिकता को भूलकर मल ऐसे ही छोड़ते है तो बीमारी के इंतजामात आप खुद कर रहे है ! इस अभियान के जागरूकता के लिए गैरसरकारी संस्था को जो धन मिलता है वो तो अलग ही है !
उत्तर प्रदेश की शान कालिंजर किले की तलहटी में बसा ये गाँव आज भी अपने विकास के मायने खोज रहा है !
इसके साथ बाँदा जिले की अन्य ग्राम पंचायतो में निर्मल भारत अभियान की सच्चाई यही है कि गाँव के बुजुर्ग ,महिला ,किशोरी और बच्चे खेतो में आज भी शौच जाते है आजादी के 68 साल बाद भी !
सांसद जी इस गाँव में गत आठ महीने में दो बार गए है मगर उनके नाम का पत्थर अभी तक गाँव में नही लगा है !....तीन सैकड़ा ग्राम पंचायतो में इस अभियान के तहत वर्ष 2003 से वर्ष 2014 वित्तीय माह तक कुल 2441714.62 लाख रूपये खर्च हुआ है गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालो के शौचालय बनवाने में !...सूचनाधिकार से मिले ये आकंडे गाँव की बदहाली की पोल तो खोल ही रहे है साथ ही ये भी बतलाते है कि यह देश आज भी कहाँ खड़ा है ? .....हकीकत ये भी है कि सरकारी योजनाओ से मुफ्तखोर बन चूका इस देश का ग्रामीण तबका मल त्यागने के रूपये खाकर भी बेहया है !...इस भ्रस्टाचार में शामिल है उसके साथ ग्राम प्रधान ,सचिव और अन्य आला अधिकारी !.....इन्ही ग्राम पंचायतो में बीस निर्मल ग्राम भी है जिन्हें एक लाख रूपये पुरुस्कार और राष्ट्रपति का सम्मान भी मिला सफाई के लिए मगर सब कागजो पर खेल हुआ !
तस्वीर और बहुत सी है मगर अभी बस इतना ही कहना है कि इस मुल्क नियत आयोग की दरकार है नीति आयोग की नही मोदी जी !...पहले अपने तंत्र / सांसद और पंचायती राज का कोढ़ साफ करिए बाकि जुमलेबाजी बाद में क्योकि हमें आज भी खुले में हगने / मल करने ( टट्टी करने खुले शब्द ) की आदत है और ये सब तब है जब आपके देश में बेटियां घर में शौचालय न होने से आत्महत्या कर रही है ...बारात वापस करती है !....गाँव ने कहा कि प्रधान ने हमसे कमीशन माँगा और हमने भी शौचालय नही बनवाया !......बाँदा से आशीष सागर / RTI Activist
1 Comments:
पांच साल में 18271 शौचालय पर 9,3979200 लाख रूपये का खेल ! इसमे सात करोड़ वर्ष 2003 से 2010 तक के और जोड़े तो कुल सोलह करोड़ रूपये के टाईलेट कागज पर ....बाँदा में.....
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