Thursday, July 12, 2012

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सूचना अधिकार की खातिर सत्याग्रह

साझा संघर्ष और लगातार रचनात्मक प्रयास के कारण सूचना अधिकार अधिनियम 2005 आम जनता को हथियार के रूप मे मिला है। इस कानून के तहत हमें किसी सांसद और विधायक के समान ही अधिकार प्राप्त है। जो जानकारी किसी सांसद और विधायक के पूछे जाने पर सरकार छुपा नहीं सकती वह जानकारी आम आदमी को सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6 (1) में आवेदन करने पर सरकार और सरकार से जुड़े उपक्रम, एजेन्सियां ,सरकार सहायतित स्वयं सेवी संगठन उपलब्ध कराने के लिए बाध्य हैं ।
ग्राम पंचायत से लेकर प्रधान मंत्री कार्यालय तक भारत सरकार और राज्य सरकारों के जितने भी दफ्तर हैं उन सभी से सूचना प्राप्त करना हमारा हक है । सूचना को सार्वजनिक करने की बात भारतीय संविधान को अंगीकार करते समय भी रखी गयी थी लेकिन अधबुने लोकतंत्र में यह सूचना अधिकार के बाद ही तय हो सका ।
सूचना देने का काम हर दफ्तर में नियुक्त लोक सूचना अधिकारी का है। लेकिन ज्यादातर दफ्तरों में यह व्यवस्था सही रूप में नहीं है यहां तक कि उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयोग में भी लम्बित पड़े वाद एक साल बाद भी निस्तारित नही हो पा रहे हैं। सूचना पाने हेतु नागरिकों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं । कानून की सही जानकारी आम जनता एवं सरकारी अमले को न होना भी इसकी बदहाली का एक और कारण है। ऐसी ही विसम परिस्थितियों से बुन्देलखण्ड के लोग सूचना अधिकार कानून की सरकारी महकमें द्वारा की जा रही भू्रण हत्या से जूझते हुए सूचना अधिकार की खातिर सत्याग्रह पर निकल पड़ें हैं।
आर0टी0आई0 की अपीलें जब कूड़ेदान का हिस्सा बनने लगें तो आम आदमी का सड़कों पर उतरना वाजिब है । पांच वर्षाें से बुन्देलखण्ड सहित प्रदेश स्तर पर आर0टी0आई0 में काम कर रहे युवा समाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर दीक्षित जिन्हे दैनिक जागरण समूह, अमर शहीद मंगल पाण्डेय फाउण्डेशन ने सम्मानित किया है पिछले दिनों सात दिनों से आर0टी0आई0 की मुहिम में सत्याग्रह पर रहे है। बकौल आशीष सागर एवं सत्याग्रह में शामिल टीम के सूर्यप्रकाश तिवारी, राजा बाबू प्रजापति, राघवेन्द्र मिश्रा, रत्नेश गुप्ता तल्ख लहजे मे कहते है कि सूचना अधिकार को बंुदेलखंड में अपाहिज बना दिया गया है। सूचना अधिकार के संरक्षण के लिये हम सूचना न देने वाले विभागों के खिलाफ गांधीवादी तरीके से सत्याग्रह कर रहे है। उन्होने बताया कि तपती धूप की तपिश में सत्याग्रह करने के बाद भी गिने चुने विभागों ने सूचनायें प्रदान की है। आर0टी0आई0 माखौल उडाने की बात पर टीम के सदस्यों पर झल्लाता हुआ गुस्सा साफ देखा जा सकता है। उन्होने कहा कि चाहे बंुदेलखंड के जिला प्रशासन की बात हो या फिर उ0प्र0 के लोकायुक्त कार्यालय का मामला किसी ने भी निर्धारित 30 दिन में सूचनायें प्रदान नही की है। अपील के बाद भी हमारी अर्जियों को कूड़ेदान में पडे वेस्ट पेपर का हिस्सा समझ लिया जाता है। सूचना मांगने वालों को तरह तरह की धमकियां, सामाजिक मनोदबाव, भ्रामक व अपूर्ण सूचनायें प्रदान करना हर जिले की रणनीति है। जब तक आवेदक राज्य सूचना आयोग से सूचनायें प्राप्त करता है उस अवधि तक सूचना मांगने के मूल में छिपा हुआ जनहित का उद्देश्य मर जाता है। उन्होने बतलाया कि 30.01.2012 को उ0प्र0 के लोकायुक्त कार्यालय से आर0टी0आई0 के तहत पांच बिंदुओं पर सूचना चाही गयी थी। निर्धारित 30 दिन बीतने के बाद अपील की गयी लेकिन आज तक सूचनायें प्राप्त नही हुयी है और अब राज्य सूचना आयोग की चैखट पर जिरह करने की तैयारी है।
इसी प्रकार जनपद बांदा से पिछले महीनों में लघु डाल नहर खंड कार्यालय अधिशाषी अभियंता, प्रांतीय लोक निर्माण विभाग खंड बांदा, जिला खनिज विभाग से कार्यालय में सक्रिय अवैध खनन में माफियाओं की सूची निदेशक भू तत्व एवं खनिकर्म उ0प्र0 लखनऊ के पत्रांक सं0 1797 /एम 38 ए 22/2005 13 फरवरी 2008 के संदर्भ में सूचना चाही गयी थी और जिला पूर्ति अधिकारी से बांदा में संचालित आराधना गैस सर्विस से सूचना मांगी गयी जिसके बावत जिला पूर्ति अधिकारी ने तीन दिन बाद ही पत्रांक सं0 1558/जि0पू0अ0/सू0अ0/20.04.2012 के आदेश के बावजूद आज तक सूचनायें प्राप्त नही हुयी है। कुछ एैसा ही उत्पीडन आर0टी0आई0 मांगने वालों के साथ जिला उपभोक्ता फोरम मे दाखिल वाद के साथ भी हो रहा है। जहां प्रवास सोसायटी के लंबित प्रकरण में पं0 जे0एन0डिग्री कालेज बांदा के निलंबित प्राचार्य ने अपने तथाकथित भ्रष्टाचार को छिपाने के लिये आ़ैर तहसीलदार सदर , नगर पालिका,जिलाधिकारी कार्यालय ने आर0टी0आई0 का जवाब नहीं दिया।
सूचना मांगने वाले एक अन्य अब्दुल हमीद ने जब रजिस्ट्रार विभाग से कार्यालय में कार्यरत वलीउल्जमां पुत्र मुजफर हुसैन के सम्बंध में जानकारी चाही थी अपील के बाद अब्दुल हमीद को जो सूचना प्राप्त हुयी उसका जवाब चैकाने वाला है सूचना देने वाले बाबू ने पत्र में लिखा कि ‘‘आपके द्वारा मांगी गयी सूचनायें नही दी जा सकती क्योंकि सूचना देने से उनकी जान को खतरा है। ’’ यहां यह बताना है कि अब्दुल हमीद ने वलीउल्जमां की सर्विस बुक के मुताबिक दर्ज सम्पत्ति सहित अन्य तीन बिन्दुओं पर जानकारी चाही थी । अब्दुल हमीद की माने तोे रजिस्ट्रार कार्यालय में काम कर रहे इस लिपिक की कुल सम्पत्ति 15 करोंड़ रुपये के करीब है । एक लिपिक के पास इस आय के स्रोेत क्या हैं यह अभी तक अनसुलझा पहलू है । सूत्रों का कहना है कि पूर्व बसपा सरकार के बाहूबली मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी से वलीउल्जमां उर्फ वली बाबू के खास सम्बंध हैं।
सूचना अधिकार कानून के लिए किये गये विभागों के सामने सात दिवसीय सत्याग्रह अपने आप में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है यदि सरकार और जिला प्रशासन अपने अपने विभागों में सूचना सेल बनाकर जन सूचना अधिकारी नामित करें और आवेदक को मांगी गयी सूचना 30 दिवस में उपलब्ध कराये तो आम जनता को सरकार द्वारा दिये गये जनसूचना अधिकार के लोकतंत्र में जनहितार्थ विकल्प और समाधान तलाशे जा सकते है।
By: आशीष साग

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