Wednesday, February 29, 2012

www.amarujala.com
http://www.amarujala.com/city/Banda/Banda-65260-41.html

ढाई हजार वर्ग किमी भूमि में नहीं उगता दाना

Story Update : Wednesday, February 29, 2012    12:01 AM
बांदा। भूमि सुधार की तमाम कवायदें बुंदेलखंड में बेअसर साबित होती नजर आ रही हैं। कहीं बारिश के कटाव ने भूमि बर्बाद की तो कहीं खनन ने। समूचे बुंदेलखंड में लगभग ढाई हजार वर्ग किलोमीटर भूमि अनुपयोगी होकर रह गई है। लगभग दस फीसदी इस भूमि को परती कहा जाता है। शासन-प्रशासन की योजनाओं की कवायद भी इस आंकड़े को कम नहीं कर सकी। साथ ही मौसम की बेरुखी से भी अक्सर बुंदेलखंडी किसान परेशान रहते हैं।
किसान तो हमेशा से कहते आ रहे हैं कि दिन-ब-दिन भूमि बंजर हो रही है। कहीं पानी की कमी है तो कहीं जंगली आवारा पशुओं के डर से बुवाई नहीं की जा रही। सैकड़ों बीघा भूमि इन्हीं वजहों से बंजर बन गई है। उधर, ग्रामीण विकास मंत्रालय भूमि संसाधन विभाग, भारत सरकार भी इससे इनकार नहीं कर रहा। इस मंत्रालय के आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि बुंदेलखंड में बंजर भूमि का दायरा बढ़ता जा रहा है। सातों जनपदों में तकरीबन 2500 वर्ग किलोमीटर भूमि अनुपयोगी हो चुकी है। जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने बताया है कि बुंदेलखंड में 859 वर्ग किलोमीटर भूमि बारिश के कटान से बेकार हो गई है। यह नाले-नालियों के रूप में बदल गई है। इसी तरह 897 वर्ग किलोमीटर भूमि में झाड़-झंखाड़ खडे़ हुए हैं। यहां कुछ पैदावार नहीं होती। 50 किलोमीटर भूमि ऐसी है जहां झाड़-झंखाड़ तो नहीं हैं फिर भी यहां पैदावार नहीं होती। आंकड़ों में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि 8 किलोमीटर जमीन नहरों के पानी से पैदा हुए छार ने बर्बाद कर दी है। इस जमीन में कोई फसल नहीं हो पाती। 274 वर्ग किलोमीटर भूमि को नोटीफाइड वन भूमि के रूप में घोषित कर रखा गया है। यहां कोई फसल नहीं होती। इसमें 248 किलोमीटर भूमि झांसी मंडल में और 27 वर्ग किमी चित्रकूटधाम मंडल में है। भूमि संसाधन विभाग ने यह भी बताया है कि 77 वर्ग किलोमीटर कृषि योग्य वन भूमि खेतीबारी के काबिल नहीं है। लगभग हरेक जिले में रातदिन हो रहे अंधाधुंध खनन ने बुंदेलखंड की आठ वर्ग किलोमीटर भूमि को चौपट कर दिया है। इसके अलावा 198 वर्ग किमी जमीन पथरीली होने से अनुपयोगी बताई गई है।

खनन से 28 वर्ग किमी भूमि बंजर हुई

Story Update : Wednesday, February 29, 2012    12:01 AM
बांदा। बुंदेलखंड में उपजाऊ को बंजर भूमि बनाने में खनन का काफी बड़ा हाथ है। हर साल खनन से 28 वर्ग किलोमीटर कृषि जमीन बंजर हो रही है जबकि सरकारी आंकडे़ मात्र 8 वर्ग किलोमीटर बता रहे हैं। स्वयंसेवी संगठन प्रवास के आशीष सागर का कहना है कि कुछ संगठनों ने हाल ही में सर्वे किया है। इसमें यह बात सामने आई है कि पहाड़ और बालू खनन और क्रेशरों से वर्ष 2010-11 में करीब 28 वर्ग किलोमीटर कृषि जमीन बंजर के रूप में तब्दील हुई है जबकि ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों में यह मात्र आठ वर्ग किमी बताई गई है। क्रेशरों की डस्ट फसल चौपट किए हुए है। पहाड़ी धूल से खेत बंजर हो रहे हैं। ब्यूरो