Wednesday, July 25, 2012

प्रणव दा ने सपथ ली ?

आज देश के तेरहवे राष्ट्रपति के रूप में प्रणव दा ने सपथ ली ....इंग्लिश में , उनका हिंदी रूपांतरण कर रहे उप रास्त्रपति हामिद अंसारी 
ने जब प्रणव का अभिभासन पढ़ा तो उनसे हिंदी के आपेक्छा और विवेकानद कहने में गलतिया हुई , आज पहली बार 
प्रणव जी ने अपनी पुरानी राजनीति तस्वीर और पूजीवादी मानसिकता से ऊपर संबोधन में खुलकर भारत से गरीबी , भ्रस्टाचार , आतंकवाद ,
समानता देने , युवाओ को अधिक अवसर देने की वकालत की जो एक ज़मीनी राष्ट्रपति को कहना चाहिए .....वही आज जंतर - मंतर में टीम 
अन्ना के अनसन में एन ,एस,यू .आई के कार्यकर्ताओ ने बवाल काटा कारण था अनसन करियो का राष्ट्रपति की तस्वीर यानि प्रणव की फोटो को ढख कर प्रदर्शित करना , अब जबकि प्रणव का सक्रिय राजनीति से जुडाव कम ही रहेगा और वे आधे - अधूरे लोकतंत्र के राष्ट्रपति चुने जा चुके है ,तो ऐसे में अन्ना टीम का प्रणव के तस्वीर को ढख कर रखना उचित नहीं है , क्या गाँधी ने विरोध का यही निचला रास्ता अनसन की परिभाषा 
में बतलाया है ? क्या ये हिंसा भडकाने की कवायद नहीं है ? क्या अगर सांसद या भ्रस्टाचारी अन्ना की तस्वीर ढख कर प्रदर्शित करे तो ठीक लगेगा ? ये भी सही है की देश के लोग भ्रस्टाचार से अभी भी पूरी तरह ऊबे नहीं ही यदि ऐसा ही होता तो रेलवे स्टेसन में लाइन लगाकर टिकट
लेने वाला आम आदमी सीट भरी है की बात जानकर स्टेसन से चला जाता ....जुगाड़ लगाकर हरा नोट देने की - सीट के लिए कवायद नहीं करता .....जैसा आम जीवन में हो रहा है, छोटी सी अपनी जरुरत के लिए हम ही रिश्वत देने की पहल कर रहर है , ! याद रहे आप साम्राज्य वाद में तो बड़ा जन आन्दोलन लम्बे समय तक खड़ा कर सकते है लेकिन
अपने ही चुने हुये लोकतंत्र की सरकार के खिलाफ नहीं , जिनको खुद आपने वोट देकर चुना है , भ्रस्टाचार आज देश की बुनियादी बीमारी है मगर उसको दूर कार्नर का सही तरीका है की हम सब अपने नियत की खुद रोज पड़ताल करे...

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