मुख्य सचिव के आगमन पर भाकियू ( भानु ) का ज्ञापन !
सेवा में,
श्रीमान मुख्य सचिव,
उत्तर प्रदेश शाषन,लखनऊ
विषय - बुंदेलखंड के जिला बाँदा,महोबा में आपके भ्रमण सन्दर्भ पर सूखे के भयावह परिद्रश्य एवं उसके समाधान विषयक ज्ञापन पत्र, इस ज्ञापन की प्रतिलिपि देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी
को प्रेषित।
आप सादर बुंदेलखंड की चटियल सूखी धरती में आये है। हम जल संकट से जूझते बुन्देली आपके माध्यम से राज्य और केंद्र सरकार तक अपनी गुहार पहुंचा रहे है, कृपया निम्न बिन्दुओं पर ध्यान आकृष्ट करने का कष्ट करे।
1 - वर्ष 1887 से 2015-16 फसली वर्ष में यह उन्नीसवां सूखा है। लगातार तीसरा वर्ष जलसंकट त्रासदी का खड़ा है , तब जब केंद्र के 7266 करोड़ रूपये में से 1305 करोड़ रूपये बुंदेलखंड विशेष पैकेज के यहाँ खर्च हो चुके है डैम और बंधियो,वृक्षारोपण में। इसकी सीबीआई गत दो साल से चल रही है मगर दोषियों पर आज तक कार्यवाही नही हुई।
2- विगत 5 नवम्बर को केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय एवं सहकारिता मंत्रालय(हार्टिकल्चर) के निदेशक अतुल पटेल,निदेशक के निजी सचिव पीएस सुनील कुमार ने सात जिलों के फौरी भ्रमण के बाद यहाँ 70 फीसदी खेत में खरीफ की फसल का नुकसान पाया था। यहाँ तक कि रबी की खेती में भी खेत खाली पड़े है क्योकि तालाब,कुओं और नलकूपों में पानी नही है। ग्राउंड वाटर 3 मीटर से अधिक नीचे जा चुका है बानगी के लिए यहाँ की सभी नदियाँ देख लेवे।
3- गत एक दशक में उत्तर प्रदेश - मध्यप्रदेश से 62 लाख बुन्देली महानगर में रोजगार के लिए पलायन किया है(प्रवास सोसाइटी के आंतरिक सर्वे के अनुसार)तब जब मनारेगा से काम के अधिकार के दावे किये जाते है।
4- आज भी बाँदा के तहसील नरैनी क्षेत्र दोआबा(रंज-बाघे नदी) में बसे दो दर्जन गाँव मसलन मोहनपुर-खलारी,रानीपुर,शाहपाटन, नीबीं,नौगांवा,बरसड़ा मानपुर,फतेहगंज के बघेलाबारी,गोबरी-गुड़रामपुर सहित अन्य ग्राम पंचायत बिजली,स्वास्थ्य सुविधा से वंचित है इनके रहवासी दिए से अपना अंधकार मिटा रहे है। ऐसे ही गाँव शाहपाटन में आज तक पीडीएस सिस्टम दलित लोगों(रज्जन निषाद के तीन विकलांग पुत्र)को नही मिला है। अगर यह आगामी विधान सभा चुनाव तक नही प्राप्त हुए तो मतदाता नोटा का प्रयोग करेगा।
5- बुंदेलखंड के जनपद के बाँदा,महोबा और चित्रकूट में किसान बैंकों की दलाली व बीमा कम्पनी से हलकान है। बीमा कम्पनी बीमा प्रीमियम करने के उपरांत भी क्लेम न देने का चक्रव्यूह रचती है जिससे अब बड़े कास्तकार भी सदमे और आत्महत्या का शिकार हो रहे है, ऐसा आप बाँदा के जसपुरा-पैलानी क्षेत्र में जानकारी लेवे। बैंक,बीमा कम्पनी और राज्य सरकार तीनों किसान के जान के दुश्मन नजर आते है।
6-बाँदा के नरैनी तहसील के ग्राम पंचायत हुसैनपुर(अल्पसंख्यक)में ग्राम प्रधान सगीर अहमद के मुताबिक 270 परिवार भूमिहीन भुखमरी की कगार पर है जिन्हें तत्काल राहत की आवश्यकता है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून बहाली होवे।
7- बुंदेलखंड को सूखा,अकाल से स्थाई रूप में बचाने के लिए जल,जंगल और पहाड़ -नदी का संरक्षण करे,यहाँ नदी और पहाड़ो का खनन पूरी तरह प्रतिबंधित होवे क्योकि ये इलाका अब नेचुरल डिजास्टर की तरफ है। कृषि भूमि क्रेशर उद्योग के चलते परती है महोबा में।
8- किसानों को समय से सरकार अपने विधायक और सांसद के माध्यम से किसान लाभार्थी सूचि देकर गाँव -गाँव मुआवजे बंटवाने की व्यवस्था करे ताकि लेखपाल की दलाली से राहत मिले। अन्ना प्रथा को रोकने के लिए ग्राम पंचायतो में पूर्व में स्थापित चारागाह की जमीन को भू माफिया से मुक्त करवाए (इस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी है तालाबों-चारागाह के सम्बन्ध में)।
9- गाँव में कृषि आधारित रोजगार और पारंपरिक खेती के बीजो का संरक्षण करे ताकि मोटे अनाज और सजीव खेती को लाभ हो सके।
( सादर सूचनार्थ कार्यवाही हेतु प्रेषित )
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