Thursday, February 05, 2015

कालिंजर किले को सुन्दर बनाने की कवायद में केंद्र सरकार !
  • अब टिकट लेकर देख सकेंगे चन्देल कालीन धरोहर 
  • कालिंजर को संरक्षित करेगा पुरातत्व विभाग 
बुंदेलखंड / बाँदा  - चन्देल कालीन अजेय दुर्ग कालिंजर को जो अब तक मुफ्त में देखे है उनके लिए बुरी लेकिन इस धरोहर और कालिंजर के प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है l 
अब आने वाले दिनों में कालिंजर भी झाँसी और खजुराहो किले की तर्ज पर टिकट लेकर ही देखा जा सकेगा l राष्ट्रीय पुरातत्त्व विभाग और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय सचिव रविन्द्र सिंह के गत दिवस हुए यहाँ भ्रमण ने इसके लिए अपने दावे में संकेत दिए है l दुर्ग के अन्दर आने संग्रहालय को और अधिक सुन्दर बनाकर, कलाकृतियों का संरक्षण और यहाँ किले में स्थापित कोटि तीर्थ तालाब , अन्य तालाबो को पास की नदियों से भरकर पर्यटन को सुधारने की कवायद की जाएगी l बागे - केन दो नदियाँ  इसकी तलहटी में है जिससे यहाँ के तालाब भरे जा सकते है l पुरातत्व विभाग की हार्टिकल्चर टीम अगले सप्ताह तक यहाँ का दौरा कर सकती है l निकट भविष्य में इसका सर्वेक्षण किये जाने के दावे किये जा रहे है l गौरतलब है कि बाँदा जिले की नरैनी तहसील में मध्यप्रदेश की सीमा से लगा ये किला अपने विशालतम इतिहास और अजेय दुर्ग के शिलालेख के रूप में भी जाना जाता है l कहते है समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष की जलन को शांत करने के लिए भगवान शंकर को यहाँ आना पड़ा था l यहाँ स्थापित नील कंठ का मंदिर और नटराज मुद्रा में शिव पार्वती जी की लाल पथर की मूर्ति बेहद संजीदा करती है आस्था धर्मियों को l कहते है काल भी जहाँ जर ( मर जाता है ) हो जाये वो कालिंजर है l
कालिंजर में अगर ये संभव हुआ तो आस पास के ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा , अपराधिक तत्वों का किले में प्रवास को रोका जा सकेगा l वर्तमान भाजपा से सांसद भैरो प्रसाद मिश्र ने यहाँ का एक गाँव कटरा कालिंजर गोद भी लिया है आदर्श सांसद ग्राम योजना के तहत l लोक सेवक चाहे तो कालिंजर को विश्वपटल में ले जा सकते है जिससे जर्जर होते इतिहास को सहेजा जा सकता है l  यहाँ स्थापित मृगधारा और सात खम्भों के कुण्ड का तो रहस्य ही निराला है l झाँसी , खजुराहो की तरह यहाँ भी साउंड लाइटिंग , सुन्दर पार्क बनाये जा सकते है जो कालिंजर के इतिहास को दस्तावेजी रूप दे सकते है ...सभी तस्वीर - आशीष सागर








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